नशे के खिलाफ चेतना के लिए श्री श्री रविशंकर के यत्न

विश्व मानवतावादी दिवस पर विशेष 

आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर के सतत् कार्यों से भारी संख्या में लोगों को नशे के दुष्चक्र से बाहर निकालने में मदद मिली है। उनका कहना है कि जो लोग नशे में पड़ जाते हैं या जो शराब पीते हैं, उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा की ज़रूरत होती है। वे अपनी आत्मा को अनुभव करने की कोशिश कर सकते हैं। हमें इसे बदलने की ज़रूरत है और इसका एकमात्र समाधान है ध्यान एवं योग। 
नशीले पदार्थों तथा उनके दुरुपयोग के प्रति संवेदनशीलता का अनुमान नहीं लगाया जा सकता, परन्तु किसी भी पदार्थ के दुरुपयोग या नशे के सामान्य  प्रभाव विनाशकारी सिद्ध हो सकते हैं। इस आदत से छुटकारा पाने में उनकी मदद करने के लिए, उन्हें उन व्यक्तियों के तौर पर माना जाता है, जिन्हें विशेष ध्यान की ज़रूरत होती है और जिन्हें न सिर्फ शारीरिक तौर पर अपितु मानसिक तथा आध्यात्मिक तौर पर भी ठीक होने के लिए शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक सहायता की ज़रूरत होती है। यह कार्य भाईचारे के नेताओं की शमूलियत से किया जाता है। हाल ही में 20 से अधिक सरकारी अस्पतालों तथा मैडीकल कालेजों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया है। पंजाब के बहुत-से धार्मिक संस्थानों के संचालकों, ज़िला प्रमुखों तथा व्यापारिक घरानों और गांवों के सरपंचों ने नशे के इस्तेमाल की रोकथान एवं उपचार के लिए एक सम्पूर्ण पहुंच के रूप में इस कार्यक्रम का समर्थन किया है। 
एक अनुमान के अनुसार पंजाब में दो-तिहाई से अधिक परिवारों में कम से कम एक नशेड़ी है। नशे तथा इससे संबंधित अपराधों के कारण हो रही मौतों के बढ़ रहे आंकड़ों से चिंतित श्री श्री रविशंकर ने अगस्त 2007 में आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से नशा छुड़ाओ कार्यक्रम शुरू किया, जो गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, जालन्धर, फिरोज़पुर, फरीदकोट, मोगा, संगरूर, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब तथा बरनाला शहरों में लांच किया गया था। 2019 में श्री श्री रविशंकर ने संजय दत्त, कपिल शर्मा, गुरदास मान तथा बादशाह जैसी प्रसिद्ध शख्सियतों के अतिरिक्त विभिन्न कालेजों के 1.6 लाख विद्यार्थियों के समर्थन से चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में देश-व्यापी नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की। नशे की समस्या को जड़ से उखाड़ने के लिए युवाओं में नशे के दुष्प्रभावों बारे जागरूकता फैलाना बहुत ज़रूरी है। इस उद्देश्य के लिए आर्ट ऑफ लिविंग ने सरकार के साथ निकट से भागीदारी की है। राज्य भर के स्कूलों तक पहुंच की है और गत तीन माह में 15 हज़ार से अधिक बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम करवाए हैं। इन बच्चों को उनकी भावनाओं, हमउम्र साथियों के दबाव तथा कठिन चुनौतियों से निपटने के लिए ताकत देने के लिए ज़रूरी तरीकों जैसे कि ध्यान, सांस लेने की तकनीक तथा जीवन जीने की अन्य कलाओं को सीखने के लिए तैयार किया गया है, जो उन्हें नशाखोरी तथा नशे के दुरुपयोग की ओर ले जा सकते हैं। 
इससे पहले आर्ट ऑफ लिविंग ने अन्य एन.जी.ओज़. तथा चंडीगढ़ के प्रसिद्ध नागरिकों से मिल कर टाइप राइटर सुधार तरल के दुरुपयोग के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। हरियाणा हाईकोर्ट ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इसके उत्पादन, बिक्री या भंडारण पर पाबंदी लगाने के आदेश दिए हैं। हिंसा, अपराध तथा अविश्वास के माहौल में तनाव, चिन्ता तथा नशे जैसी समस्याओं को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता। इसलिए आर्ट ऑफ लिविंग ने न सिर्फ युवाओं को नशे तथा गरीबी के चक्कर से बाहर  निकालने का  कार्य किया है, अपितु बच्चों के विकास के लिए शांतिपूर्ण, अनुकूल तथा हिंसा-मुक्त समाज का सृजन करने के लिए भी काम किया है।
 चाहे यह सात उत्तर-पूर्वी राज्यों के 67 बड़े अलगाववादी समूहों को एकजुट करने का कार्य हो, जिन्होंने सुलह-सफाई तथा विकास के एक नये अध्याय की शुरुआत करने के लिए गुवाहाटी घोषणा-पत्र पर दस्तखत किए हैं, या कोलम्बिया का सिविल संघर्ष, शांति एवं न्याय पर आधारित संतुलन की मांग करता है, जहां श्री श्री रविशंकर ने 613 अलगाववादियों को अहिंसा के रणनीतिक प्रभावों बारे विश्वास दिलाया, या 500 वर्ष पुराने अयोध्या विवाद के समाधान के लिए मैत्रीपूर्ण ढंग से मध्यस्थता करना, सबसे विश्वसनीय आवाज़ बनना हो, श्री श्री रविशंकर कई बार विवादों के निपटान के लिए राजनीतिक केन्द्रों में भी मध्यस्थता के लिए जगह बनाते रहे हैं। उनकी पहुंच व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों पर केन्द्रित है। ज़मीनी स्तर पर उनकी संस्थाएं आध्यात्मिक एवं भौतिक शक्तिकरण प्रदान करती हैं। 
श्री श्री रविशंकर कहते हैं, ‘प्रत्येक अपराधी के पीछे एक पीड़ित होता है, जो मदद के लिए पुकारता है।’ उसके नेतृत्व में युवाओं के लिए कार्यक्रम कैम्पस तथा समुदायों में गैंग हिंसा, नशाखोरी तथा शराब की लत के खिलाफ शक्तिशाली उपाय सिद्ध हुए हैं। उनके द्वारा बनाए गए जेल कार्यक्रमों ने विश्व भर में 8 लाख से अधिक कैदियों के पुनर्वास में मदद की है। पर्यावरण संभाल के यत्नों में 70 नदियों तथा हज़ारों जलाशयों को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ विश्व भर में आपदातों तथा तनाव राहत यत्नों में हमेशा सक्रिय रहे हैं। शांति स्थापना में उनके कार्य का प्रभाव विश्व स्तर पर देखा जा सकता है। विश्व शांति एवं विकास में उनके योगदान को मान्यता देते हुए कोलम्बिया, मंगोलिया, पैराग्वे तथा सूरीनाम सहित चार देशों ने श्री श्री रविशंकर को उनके सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया है। पूर्व इराकी प्रधानमंत्री नूरी-अल-मलीकी ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को एकजुट करने में गुरुदेव के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि सिर्फ एक आध्यात्मिक गुरु ही ऐसा कर सकता है। (आर्ट ऑफ लिविंग)