पंजाब में आयुष्मान योजना पर संकट के बादल

देश में गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों और खास तौर पर बढ़ती उम्र के लोगों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने हेतु केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से चलाई गई आयुष्मान योजना नि:संदेह रूप से भारत जैसे विकसित होने जा रहे देश के लिए एक अति उत्तम उपलब्धि हो सकती है। इस योजना के तहत भारत सरकार आर्थिक एवं सामाजिक धरातल पर पिछड़े और अन्य कई धरातलों पर वंचित लोगों को लगभग पांच लाख रुपये तक की स्वास्थ्य-लाभ सेवाएं प्रदान करने की गारंटी देती है। इस योजना के तहत सरकारी हस्पतालों पर बढ़े दबाव के दृष्टिगत कुछ विशेष निजी अस्पतालों के साथ भी करार किया गया जिस हेतु कुल खर्च का कुछ हिस्सा केंद्र सरकार को और कुछ राज्य सरकार को देना होता है। पंजाब में इस योजना पर संकट के बादल तब छाये जब प्रदेश की भगवंत मान सरकार द्वारा अपने हिस्से की राशि की अदायगी न किये जाने से निजी हस्पतालों की इस राशि का बकाया 600 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। अभी हाल में केन्द्र सरकार के एक ताज़ा फैसले के अनुसार इस योजना का विस्तार करते हुए, सत्तर वर्ष से अधिक आयु वर्ग के देश के सभी लोगों को इसके दायरे के अन्तर्गत लाये जाने की घोषणा की गई है। बेशक यह एक बहुत अच्छा फैसला है, किन्तु पंजाब में इस योजना के सुचारू ढंग से क्रियान्वित होने के पथ पर प्रदेश सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियों के कारण अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई प्रतीत होती है। इस कारण इस योजना का निर्बाध लाभ उन पात्र लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है जो सही मायनों में इसके हकदार हैं। 
वैश्विक धरातल पर भारत आबादी के दृष्टिकोण से सर्वाधिक घना देश है, किन्तु इसके मुकाबले सरकार के पास स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाले केन्द्रों की संख्या बहुत कम है। बहुत स्वाभाविक है कि निजी स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए आर्थिक पक्ष से 600 करोड़ रुपये की यह राशि बहुत अधिक हो सकती है, किन्तु इस कारण बीमार एवं वरिष्ठ नागरिकों को पेश होने वाली समस्याएं भी द्विगुणित हो गई हैं। बेशक  पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री ने इस दावे का खंडन करते हुए बकाया राशि को 600 करोड़ की बजाय 357 करोड़ रुपये तक बताया है, किन्तु समस्या तो अस्पतालों द्वारा उपचार बन्द कर दिये जाने की है। अब इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के पंजाब प्रधान ने भी प्रदेश में लगभग 400 निजी हस्पतालों द्वारा आयुष्मान योजना के तहत उपचार बंद कर देने की घोषणा कर दी है। इससे स्वास्थ्य मंत्री को दावा स्वत: निर्मूल सिद्ध हो जाता है। इस कारण इस योजना के तहत निजी हस्पतालों में ईलाज बंद हो जाने से मरीज़ इधर-उधर भटकने को विवश हो रहे हैं।
नि:संदेह विश्व के कुछ बड़े एवं विकसित हो चुके देशों में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं अवश्यमेव तौर पर दी जाने वाली सहूलतों में शुमार होती हैं। अनेक पश्चिमी देशों में तो वरिष्ठ जनों को ये सुविधाएं उनके घर-द्वार तक जाकर प्रदान की जाती हैं। इसके विपरीत भारत में आज भी गरीब और वरिष्ठ मरीज़ अस्पतालों के भीतर और बाहर धक्के खाते और लावारिस तौर पर मरते देखे जा सकते हैं। देश में निजी अस्पतालों में मिलने वाला उपचार इतना महंगा है कि 90 प्रतिशत लोगों के लिए यह दुर्लभ जैसा होता है। खास तौर पर उन लोगों के लिए बड़ी परेशानीजनक समस्या खड़ी हो जाती है जो किसी प्रकार से पैन्शनधारी नहीं होते अथवा जिनके पास बीमा जैसी सुरक्षा नहीं होती। ऐसे लोगों की चिन्ता बढ़ती है, तो उनके रोग की गम्भीरता भी बढ़ने लगती है। नि:संदेह भारत जैसे देश में जहां आज भी सरकारी दृष्टिकोण से 80 प्रतिशत से अधिक लोग गरीब हैं, आयुष्मान भारत जैसी योजना  खासकर 70 वर्ष से अधिक के सभी आयु-वर्ग के लोगों को लाभ प्रदान किये जाने की घोषणा के बाद बेहद स्वीकार्य हो सकती है।
केन्द्र सरकार की इस नई घोषणा से 70 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 15 लाख लोग इसके लाभ-पात्रों में आते हैं। नि:संदेह 6 करोड़ वरिष्ठ जनों को मुफ्त उपचार प्रदान करने वाली देश की यह एक बहुत अच्छी योजना है, हालांकि इसमें आऊट-डोर सुविधाओं को शुमार किये जाने की भी बड़ी ज़रूरत है। दक्षिणी राज्यों में बेशक इस योजना का विस्तार और क्रियान्वयन बड़े अच्छे ढंग से हुआ है, किन्तु पंजाब जैसे उत्तर भारत के कुछ राज्यों में इसके समुचित निरीक्षण की अभी बड़ी ज़रूरत है। पंजाब की सरकार को इस केन्द्रीय योजना के साथ अधिक तालमेल करके और इस हेतु समुचित धन-राशि की व्यवस्था करके इसे दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ लागू करना चाहिए। हम समझते हैं कि पंजाब की भगवंत मान सरकार को निजी हस्पतालों की बकाया राशि की संख्या को लेकर किसी नये विवाद को पैदा न करके  जितना भी बकाया है,यथाशीघ्र उसकी अदायगी करके निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत पुराने और नई घोषणा के तौर पर सभी वरिष्ठ जनों को समुचित उपचार दिया जाना सुनिश्चित करना चाहिए। निजी अस्पताल बेशक बिना बकाया लिये उपचार शुरू न करने पर अड़े हुए हैं, किन्तु सरकार को इस हेतु अवश्य कोई तलाश करना होगा।

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