बेहद घनिष्ठ इन्सान थे ओम प्रकाश चौटाला

ओम प्रकाश चौटाला के निधन से हरियाणा को तो भारी घाटा पड़ा ही है, पंजाब में भी एक शोक की लहर पैदा हुई है। चौटाला का कार्य क्षेत्र अधिकतर हरियाणा में ही रहा, जहां से वह 5 बार मुख्यमंत्री बने। उनके पिता चौधरी देवी लाल देश के उप-प्रधानमंत्री भी रहे। उनकी देश की कृषि एवं खास तौर पर हरियाणा के विकास के लिए भारी योगदान माना जाता है। दूसरी तरफ अपने जीवन में जिस तरह ओम प्रकाश चौटाला ने विचरण किया, उनका प्रभाव भी देश-व्यापी था। नितीश कुमार, ममता बैनर्जी, शरद यादव, एम.के. स्टालिन तथा अपने समय के देश भर के और वरिष्ठ नेताओं से उनकी लगातार निकटता बनी रही। अपने जीवन के अंतिम समय में वह एक बार फिर देश में कोई तीसरा विकल्प बनाने के इच्छुक रहे। पंजाब के साथ उनका विशेष स्नेह रहा। यहां के अपने समय के सभी छोटे-बड़े नेता उनका सम्मान करते थे तथा उनसे प्यार भी करते थे। स्वर्गीय मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल के साथ उनकी मित्रता जग-ज़ाहिर थी। चाहे वह जीवन के कई पड़ावों पर विवादपूर्ण भी बने रहे। अपने अंतिम पड़ाव में मुख्यमंत्री होते हुए अध्यापक भर्ती घोटाले में उन्हें 10 वर्ष की सज़ा भी हुई। उनकी अपनी बनाई पार्टी इंडियन नैशनल लोक दल (इनैलो) अंतिम दशकों में पारिवारिक झगड़े के कारण कमज़ोर हो गई और बंट भी गई परन्तु यह आश्चर्यजनक बात है कि उन्होंने अपने दृढ़ निश्चय को कभी डगमगाने नहीं दिया। दूसरे शब्दों में वह हमेशा हर स्थिति में चढ़दी कला में रहे।
जिस प्रकार ऊपर ज़िक्र किया गया है कि वह भिन्न-भिन्न समयों पर हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री बने। अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में सात बार विधायक रहे तथा राज्यसभा सदस्य भी बने। हरियाणा को उनकी भारी देन है। वह बेहतरीन प्रशासक थे। प्रदेश के आधारभूत ढांचे के विकास में विश्वास रखते थे। इसलिए उन्होंने अपने कार्यकालों में बड़े एवं छोटे उद्योगों को उत्साहित किया। उनके राजनीतिक जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आये। परिवार में भी विभाजन होते रहे, जिस कारण उन पर प्रत्येक तरफ से दबाव भी पड़ता रहा परन्तु कभी भी वह डगमगाये दिखाई नहीं दिये। सही अर्थों में वह अपने लोगों के साथ ज़मीनी स्तर पर जुड़े हुए थे। अपने कार्यकालों में उनकी ‘सरकार आपके द्वार’ नामक अभियान बड़ी चर्चा में रहा। अपने साथियों एवं पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्मान देना हमेशा उनकी प्राथमिकता बनी रही। चाहे उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियां बदलीं परन्तु हमेशा निडर होकर विचरण करना उनकी ़िफतरत में शामिल था। आपात्काल के दौरान वह लम्बे समय तक जेल  में भी रहे थे।
चाहे वह अपनी अनेक सीमाओं एवं विवशताओं के कारण उच्च स्तर की शिक्षा तो न ग्रहण कर सके परन्तु उनकी जानकारी हासिल करने की उत्सुकता लगातार बनी रही। जेल में भी उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा जारी रखी एवं यह बात वह अक्सर गर्व के साथ कहा करते थे कि लगातार जानकारी हासिल करने की उत्सुकता के कारण ही, उन्होंने अपने जीवन में लगभग डेढ़ सौ देशों की यात्रा की है। प्रत्येक देश की अच्छी यादें एवं अच्छे प्रभाव अंत तक उनकी पूंजी बने रहे। वह बेहद प्यार करने वाले इन्सान थे। उन्होंने जीवन में बहुत प्यार दिया तथा बहुत प्यार लिया क्योंकि वह यारों के यार थे। उनकी पसंद एवं नापसंद अपनी तरह की थी। इसीलिए वह अंत तक अपने साथियों के साथ न केवल जुड़े रहे, अपितु उनके प्रति प्रतिबद्ध भी रहे। जिनके साथ उनका सम्पर्क रहा, उनके लिए उनका बेहद घनिष्ठ एवं अमीर व्यक्तित्व को भुला पाना बहुत कठिन है। एक बड़े राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक प्यारा एवं घनिष्ठ राजनीतिज्ञ होना ओम प्रकाश चौटाला के हिस्से ही आया था। इन शब्दों से हम उन्हें अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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