ध्यान के द्वारा संसार को बदलना

‘शांत व्यक्ति ही शांत समाज की रचना करता है।’ इस गहन सोच से श्री श्री रवि शंकर ने ध्यान के द्वारा विश्व भर में बदलाव की लहर चलाई है। उनका उद्देश्य प्रत्येक इन्सान के चेहरे पर मुस्कान लाना तथा एक तानव-मुक्त, हिंसा-मुक्त संसार बनाना है। वर्तमान समय में उन्होंने ध्यान लगाने के इस अति-पुरातन ज्ञान को पुनर्जीवित किया है। इसने तनाव, मानसिक और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे संसार के लिए सार्थक एवं आसान मार्ग बनाया है।
उनके अनुसार ध्यान सिर्फ आरामदायक तकनीक नहीं है—यह मौजूदा समय में जीवन की कला है। ध्यान का उद्देश्य आंतरिक शांति एवं बाहरी गतिशीलता है।
बदलाव की कहानियां : श्री श्री रवि शंकर की सोच के प्रभाव को अनेक ज़िन्दगियों में देखा जा सकता है, जैसे कि सुधीर चपटे, जो कज़र् के बोझ के नीचे होने से आत्महत्या करने तक की सोचने लगे थे। आर्ट आफ लिविंग के प्राकृतिक कृषि कार्यक्रम में भाग लेने के बाद, वह अपनी कृषि में अधिक लाभ कमाने लगे। आज, वह सिर्फ फसल नहीं उगा रहे, अपितु आशा की किरण बांट रहे हैं। इसी प्रकार के बदलाव भारत में हर तरफ जारी हैं। अनेक युवाओं ने आर्ट आफ लिविंग के युवा नेतृत्व कार्यक्रम में हिस्सा लेकर अपने जीवन तथा अपने समुदायों को बदला है। श्री श्री रवि शंकर जी के मार्गदर्शन में 8 राज्यों में 70 से अधिक दरिया तथा छोटी नदियों को पुनर्जीवित किया गया है, जिससे 20,000 गांवों में 3.45 करोड़ लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ा है। 
विश्व शांति के लिए संदेश : ध्यान की शक्ति सिर्फ व्यक्तियों तक सीमित नहीं रही। इसने दीवारों को गिराया है तथा राष्ट्रों को भी बदला है। कोलम्बिया, जो 5 दशकों के सशस्त्र संघर्ष से टूट-फूट का शिकार था, श्री श्री रवि शंकर जी के संवाद तथा ध्यान के दखल से वर्षों की नफरत को समाप्त किया गया। इराक, सीरिया तथा श्रीलंका जैसे युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में ध्यान ने 1.5 लाख से अधिक युद्ध पीड़ितों को शांति प्रदान की। आर्ट आफ लिविंग की सामान्य शास्त्र तकनीकों से, कई पीड़ित शरणाथियों ने अपने अदृश्य ज़ख्मों को शक्ति में बदला।  
ध्यान का प्रभाव : ध्यान अब कार्पोरेट दफ्तरों तथा सरकारी हालों में भी जगह बनाने लगा है। गूगल तथा माइक्रोसाफ्ट जैसी कम्पनियों ने श्री श्री रवि शंकर के कार्यक्रम अपनाए हैं, जिनसे कर्मचारियों के उत्पादन तथा मानसिक शुद्धता में सुधार हुआ है। जापान की संसद ने भी हाल ही में योग क्लब की शुरुआत की है, जो श्री श्री रवि शंकर की प्रेरणा का परिणाम है। कैदखानों में ध्यान ने हज़ारों कैदियों को एक नया जीवन दिया है। प्रिज़न स्मार्ट कार्यक्रम के माध्यम से 60 देशों में 8,00,000 से अधिक कैदियों ने हिंसा के चक्र से मुक्ति पाई। श्री श्री रवि शंकर के नेतृत्व में दुनिया की सबसे बड़ी वालंटियरों के माध्यम से चलाई गई गैर-सरकारी संस्था आर्ट आफ लिविंग फाउंडेशन ने 180 देशों में 80 करोड़ से अधिक ज़िन्दगियों पर प्रभाव डाला है। 
1981 में आर्ट आफ लिविंग की स्थापना से लेकर श्री श्री रवि शंकर 43 वर्षों से ध्यान के कार्यक्रमों का नेतृत्व कर रहे हैं। 2005 से अब तक 150 देशों के 25 लाख लोग बेंग्लुरू, भारत में ध्यान करने की प्रक्रिया से जुड़े हैं। 2016 के वर्ल्ड कल्चर फैस्टीवल में 100 देशों के 37 लाख लोग ध्यान करने के लिए इकट्ठे हुए। 2023 में श्री श्री रवि शंकर ने वाशिंगटन, डी.सी. के नैशनल मॉल पर 10 लाख लोगों के साथ ध्यान करके इतिहास रचा। अब 21 दिसम्बर को पहले विश्व ध्यान दिवस के लिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से संसार का नेतृत्व किया है।
 -आर्ट आफ लिविंग  

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