‘मन की बात’ के 10 वर्ष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की, भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार तीसरी बार प्रशासन चला रही है। देश बड़ा है, गुंजलदार है, अनेकानेक समस्याओं के साथ जूझ रहा है। इस समय में इसने जहां बड़ी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है, वहीं उसको अनेक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा है। नरेन्द्र मोदी चर्चित प्रधानमंत्री रहे हैं लेकिन उनकी सख्त आलोचना भी होती रही है।
यदि इस पक्ष से देखा जाए तो वर्ष 2002 में जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो वहां हुए भयानक साम्प्रदायिक दंगों संबंधी अभी तक भी उन पर निशाने लगाए जाते रहे हैं। उनके प्रधानमंत्री बनते 2014 में अलग-अलग प्रदेशों में अनेक बार एकत्रित हुई भीड़ द्वारा, स्वयं घोषित हुए दोषियों को निर्ममता से मार दिये जाने की घटनाएं अभी तक भी सरकार के माथे का द़ाग बनी हुई हैं। गौ-रक्षकों ने जिस तरह देश भर में हिंसा फैलाई, उसके लिए भी प्रधानमंत्री निशाने पर रहे हैं। कोविड महामारी के समय चाहे उनकी कारगुज़ारी को काफी प्रभावशाली माना गया लेकिन देश भर में लम्बे समय तक रही तालाबंदी के कारण उनकी सख्त आलोचना भी होती रही। वर्ष 2016 में नोटबंदी के बड़े प्रभावों की भी लगातार चर्चा जारी रही। किसानों के लम्बे समय तक चले आंदोलन ने भी उनके प्रभाव को घटाया था। इसके साथ ही वर्ष 2023-24 में मणिपुर में मैतेई और कूकी कबीलों के बीच घटित हुई और हो रही हिंसा की घटनाओं का कोई हल न निकलने के कारण भी उन पर उंगली उठाई जा रही है। लेकिन इसके साथ-साथ ‘ऑल इंडिया रेडियो’ पर प्रसारित होते उनके कार्यक्रम ‘मन की बात’ की भी बड़े स्तर पर चर्चा बनी रही है।
उन्होंने इस बार अपने प्रसारण में कहा कि लोग सकारात्मक कहानियों तथा प्रेरणादायक उदाहरणों को बेहद पसंद करते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा यह अनूठा कार्यक्रम 3 अक्तूबर, 2014 के शुरू किया गया था। प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को 11 बजे आधे घंटे का यह प्रसारण करोड़ों देशवासियों की दिलचस्पी का केन्द्र बना रहा है। आगामी तीन अक्तूबर को ‘मन की बात’ के 10 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री देश भर में इस कार्यक्रम के लिए सुझाव भी मांगते रहे हैं। इसमें  आम तौर पर नागरिकों के लिए उन बातों का ज़िक्र होता है, जो उनके दैनिक जीवन से संबंधित होती हैं। उन्होंने अक्सर अपने सम्बोधनों में पानी बचाने की बात कही है, युवाओं के मामलों की बात की है और देश की आर्थिकता की भी बात की है। 22 भाषाओं में प्रसारित होते इस कार्यक्रम के माध्यम से मोदी देश के सामान्य मामलों के संबंध में लोगों को सम्बोधित होते हैं। उन्होंने अक्सर स्वच्छ भारत अभियान की भी बात की है। बेटियों को प्रत्येक पक्ष से ऊंचा उठाने की बात की है और विशेष तौर पर प्रदूषित हो रहे पर्यावरण के प्रति अपनी चिन्ता व्यक्त की है। शुरू से ही उनका ज़ोर स्वदेशी पर रहा है और वह बार-बार ‘मेक इन इंडिया’ की बात भी करते रहे हैं। 
किसी भी प्रधानमंत्री द्वारा लगातार आम लोगों के मामलों संबंधी उनके साथ साझ डालने की यह अनूठी वार्ता है जिसका जन-मानसिकता पर प्रभाव पड़ना प्राकृतिक है।  लगभग प्रत्येक सम्बोधन में वह छोटे कारीगरों तथा अलग-अलग क्षेत्रों में निचले स्तर पर विचरण करने वाले लोगों की सफलता के उदाहरणों को सामने लाते रहे हैं, जिन्हें आम जन को उत्साहित करने का यत्न कहा जा सकता है। आगामी समय में इस कार्यक्रम में उठाए गये मामलों का समाधान करने के लिए किस प्रकार तथा कितना क्रियान्वयन किया जाता है, उस संबंधी सामने लाए जाने वाले ठोस परिणाम ही प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को सार्थकता प्रदान कर सकते हैं। हम इस क्रम के 10 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री को अपनी शुभकामनाएं देते हैं।     
    

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द 

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