अडानी पुन: कटघरे में

विगत लम्बी अवधि से भारत का बड़ा ‘रईस’ कई तरह के चक्करों में फंसा दिखाई देता है। एक नये मामले में उस पर अमरीका में रिश्वतखोरी एवं धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं तथा इस संबंध में वहां की एक अदालत द्वारा उसे तथा उसके भतीजे की गिरफ्तारी के वारंट भी जारी किए गए हैं। इससे पहले जनवरी, 2023 में अमरीका की एक खोज संस्था हिंडनबर्ग ने उसके बहुत तेज़ी से बेहद अमीर हो जाने की परतों को खोलते हुए खुलासे किए थे, कि अडानी की कम्पनियों द्वारा विदेशों में फर्जी कम्पनियां, जिन्हें शैल कम्पनियां भी कहा जाता है बना कर विदेशों से शेयरों के रूप में भारत में अपनी ही कम्पनियों में निवेश करवाया जा रहा है। इससे देश में अडानी की कम्पनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ती हैं तथा इस तरह छवि बना कर आगे से अडानी की कम्पनियों द्वारा बैंकों से कज़र् भी हासिल किए जाते हैं। यह मामला सामने आने पर उस समय इसकी राजनीतिक और ़गैर राजनीतिक क्षेत्रों में बड़ी चर्चा भी हुई थी।
लम्बी अवधि से कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अडानी की नज़दीकी होने के कारण उसकी लगातार आलोचना करते आ रहे हैं तथा उस पर अनियमितताओं के अनेक आरोप भी लगाते रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया था कि अडानी के इतनी शीघ्र व्यापारिक क्षेत्र में इतनी ऊंचाई पर जाने का एक बड़ा कारण उनके राजनीतिज्ञों के साथ तथा खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संबंध रहे हैं। हिंडनबर्ग मामले को लेकर भी कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी की कड़ी आलोचना की थी परन्तु अंतत: कोई पुख्ता प्रमाण सामने न आने के कारण अडानी ग्रुप को जहां बड़ी राहत मिली, वहीं शेयर मार्किट में बड़ा नुक्सान हो जाने के बाद वह पुन: पांवों पर खड़ा हो गया था।
आज अडानी ग्रुप का दायरा हर क्षेत्र में फैला दिखाई देता है। समुद्री बंदरगाहों से लेकर एयरपोर्टों, बिजली क्षेत्र, सोलर एनर्जी, सीमेंट के क्षेत्र एवं मीडिया के क्षेत्र में भी वह बेहद प्रभावशाली हो चुका है। ऊर्जा के क्षेत्र में उसने भारत के विभिन्न राज्यों, जिनमें ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडू, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश आदि शामिल हैं, के साथ बिजली खरीदने के समझौते किए हैं, जिसके लिए उसकी कम्पनियों ने अमरीकी निवेशकों से भी बड़ी राशि निवेश के रूप में हासिल की हुई हैं। अब वहां यह राज सामने आ रहे हैं कि भारत में विभिन्न राज्यों की सरकारों से बिजली आपूर्ति के ठेके हासिल करने के लिए उसके द्वारा भारतीय अधिकारियों को बड़ी राशि रिश्वत के रूप में दी गई है या देने की योजना बनाई गई है। ऐसा अडानी की कम्पनियों ने निवेशकों को धोखे में रख कर किया है। एक अनुमान के अनुसार विभिन्न सौदों में यह रिश्वत अरबों रुपये तक पहुंच जाती है।
अडानी ग्रुप ने इस संबंधी अपना पक्ष पेश करते हुए इन सभी तथ्यों को झूठा बताया है तथा कहा है कि वह स्पष्ट रूप में पेश इन तथ्यों को रद्द करते हैं, जबकि अमरीका के डिप्टी असिस्टैंट अटार्नी जनरल लिज़ा सिलर ने कहा है कि अडानी एवं उसके साथियों ने अमरीकी निवेशकों के खर्चे पर भ्रष्टाचार एवं धोखाधड़ी के ज़रिये कई राज्यों से बिजली सप्लाई करने के ठेके प्राप्त करने का यत्न किया है। इस समूचे घटनाक्रम की  विस्तारपूर्वक परतें खुलनी तो अभी शेष हैं, परन्तु इसने भारतीय शेयर बाज़ार में तथा उससे भी अधिक भारत की राजनीति में एक बार फिर भूकम्प ला दिया है। इससे जहां लगातार अडानी की आलोचना करते राहुल गांधी का हौसला और भी बढ़ा है, वहीं एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा बचाव की स्थिति में आ गई प्रतीत होती है।
अब देखना यह होगा कि तथ्यों के आधार पर सामने आए इस बड़े विवाद से अडानी एवं भाजपा स्वयं को बाहर निकालने के लिए क्या नीति अपनाते हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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