देश-विदेश में भारी मांग वाला अंजीर का पेड़

कई लोग गूलर और अंजीर में गफलत कर बैठते हैं। हालांकि गूलर और अंजीर दोनों ही एक ही ‘फिकस’ प्रजाति के फल हैं, लेकिन ये दोनों फल अलग-अलग हैं। मगर ये दोनों एक-दूसरे से इस हद तक मिलते जुलते हैं कि अच्छे-अच्छे जानकार भी दोनों को एक समझ बैठते हैं। मगर गूलर जहां उत्तर भारत में पाया जाने वाला छोटे और गुच्छों में लगने वाले फलों का पेड़ है, जिसकी आमतौर पर व्यावसायिक खेती नहीं होती, वहीं अंजीर छोटे, हल्के गूलर जैसा गोलाकार फल है, जो बेहद मीठा, नरम और स्वादिष्ट होता है। एक ताजे अंजीर में करीब 30 कैलोरी पायी जाती है, जबकि सूखे अंजीर में करीब 49 कैलोरी। इसके अलावा एक औसत अंजीर के फल में 0.579 ग्राम प्रोटीन, 12.42 ग्राम कार्ब, 2.32 ग्राम फाइबर, 0.222 ग्राम फैट, 0.445 ग्राम सैचुरेटेड फैट, 0.106 ग्राम पॉली अनसैचुरेटेड फैट, 0.049 ग्राम मोनो सैचुरेटेड फैट, 2 मिग्रा सोडियम के साथ ही इसमें 83 प्रतिशत चीनी पायी जाती है, जो इसे दुनिया का सबसे मीठा फल बनाती है। बावजूद इसके डायबिटीज के रोगियों के लिए दूसरे फलों की तुलना में ताजे और मीठे अंजीर का सेवन लाभकारी माना जाता है। शायद इस वजह से कि इसमें पोटैशियम भी ठीक ठाक मात्रा में पाया जाता है, जो कि रक्तचाप और सर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। 
मूलरूप से अंजीर मध्य एशिया और भूमध्यसागरीय क्षेत्र का पेड़ है, लेकिन यह भारत में भी विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पाया जाता है। भारत में विश्व प्रसिद्ध पुणे अंजीर की बागवानी महाराष्ट्र के पुणे शहर के आसपास होती है, जिसे साल 2016 में जीआई टैग हासिल हुआ है और जिसकी मांग दुनिया में काफी ज्यादा है। फिलहाल इसका जूस, पोलैंड और ताजे अंजीर हांगकांग को निर्यात होते हैं, लेकिन पूरी दुनिया में इसकी मांग है। आम तौर पर मौसम में ताजा अंजीर 100 से 250 रुपये प्रतिकिलो स्थानीय बाज़ार में मिल जाता है, लेकिन अगर यह पुणे अंजीर की किस्म है तो कम से कम 300 रुपये किलो मिलती है। वैसे ताजे अंजीर की कीमत फसल, मौसम, पैदावार और बाज़ार में मांग व उपलब्धता के आधार पर तय होती है। जहां तक ड्राई फिग या सूखे अंजीर की बात है तो यह आमतौर पर 600 से 1200 रुपये प्रतिकिलो मिलता है। हां, अगर विदेशों में निर्यात होने वाली क्वालिटी का अंजीर है, तो उसकी कीमत कम से कम 1500 रुपये प्रति किलो होती है। 
किसानों के लिए अंजीर का पेड़ लगाना कई वजहों से फायदेमंद होता है। एक तो बाज़ार में अंजीर के फल की उपलब्धता से ज्यादा मांग रहती है। औसतन जहां 200 रुपये प्रति किलो ताजा अंजीर बिक जाता है, वहीं सूखे अंजीर की कीमत 1200 से 1500 रुपये प्रतिकिलो के बीच है और न सिर्फ देश में बल्कि देश के बाहर भी इसकी अच्छी खासी मांग है। किसानों के लिए इसकी व्यावसायिक बागवानी या खेती इसलिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि अंजीर का पेड़ 2 से 3 साल के भीतर फल देने लगता है और 4 से 5 सालों के भीतर इसका अच्छा व्यावसायिक उत्पादन हो जाता है। अंजीर के पेड़ की ऊंचाई जहां 10 से 20 फीट तक होती है, वहीं अगर सही से कांट छांट करते रहा जाए तो इसका फैलाव 10 से 15 फीट तक चौड़ाई में होता है, जो कि उत्पादन के लिहाज से बहुत अच्छा फैलाव है। अंजीर का पेड़ आमतौर पर 40 से 50 साल तक बड़े आराम से जिंदा रहता है, लेकिन अगर इसकी सही से देखभाल की जाए तो यह 70 साल तक जीवित रहता है। मगर अच्छी व्यावसायिक फसल 15 से 20 साल तक ही देता है, इसके बाद फसल में गिरावट आने लगती है। अंजीर का पेड़ साल में दो बार फल देता है। एक बार गर्मियों में और दूसरी बार मानसून के बाद। फल आने के बाद 120 से 150 दिनों के भीतर इसका फल पक जाता है। पके हुए अंजीर की उम्र बिल्कुल नहीं होती। इसलिए ताजे अंजीर को कम से कम 5 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर भंडारण की सुविधा होनी चाहिए। इस तापमान पर भी इसे बमुश्किल 7 से 10 दिन तक ही रखा जा सकता है। 
जहां तक सुखाने की बात है तो इसे धूप या डिहाइड्रेटर का इस्तेमाल करके सुखाया जाता है। सूखे अंजीर की मांग भी काफी ज्यादा है और कीमत भी अच्छी मिलती है। अगर किसान भाई अंजीर की खेती करना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें। इसके लिए गर्म और शुष्क जलवायु ज़रूरी होती है। 15 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में यह अच्छी तरह से उगता है। इसके लिए दोमट या बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकासी की अच्छी सुविधा हो और मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 हो। खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें, उसमें कम से कम दो ट्रैक्टर ट्रॉली गोबर की खाद प्रति एकड़ मिलाएं। पौधा रोपण के लिए हमेशा नर्सरी से उच्च गुणवत्ता वाले ग्राफ्टेड या कटिंग से तैयार किये पौधे ही खरीदें। पौधों की रोपाई 10 से 15 फीट की दूरी पर करें। दो पौधों के बीच पर्याप्त जगह रखें ताकि पेड़ का विकास सही से हो सके। अंजीर के पेड़ को विकसित होने के लिए बहुत ज्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती, फिर भी गर्मी के दिनों में 7 से 10 दिनों के भीतर और सर्दियों में 15 से 20 दिनों के भीतर एक बार सिंचाई कर दें। मानसून के मौसम में पेड़ को पानी बिल्कुल न दें। 
अंजीर के हर पेड़ को वार्षिक 8 से 10 किलोग्राम गोबर की खाद, 100 से 200 ग्राम नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश दें। अंजीर के पेड़ को मार्च, अप्रैल और अक्तूबर, नवम्बर महीने में उर्वरक दें। हर साल सर्दियों के बाद इसकी खराब पीली पड़ गई और कटी फटी शाखाओं को तेज़ धार वाली कैंची से काट दें। ध्यान रखें नई शाखाओं पर अधिक फल आते हैं। लघु और मध्यम किसान जो फलों की व्यावसायिक खेती की तरफ जाना चाहते हैं, उनके लिए अंजीर की खेती एक लाभदायक विकल्प है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 
 

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