अटकी हुई फाइल 

फाइल अटकी है। डाक्टर, वकील, वैज्ञानिक, नेताओं की नहीं है। शिक्षक की  फाइल तीसरी बार अटकी है। हर जगह शिक्षक की फाईल अटकती है। हर बार फाईल अटकने से शिक्षक भी लटका हुआ है। बेचारा शिक्षक देखते रहता है। फाइल कब आगे बढ़ेगी? कैसे बढ़ेगी? अनुभवी लोगों से संपर्क करने पर वे उसे मार्ग दर्शन देते हैं। उनके मार्ग दर्शन में वह दौड़-धूप करता है। धीरे-धीरे फाइल नामक जीव रेंगने, घिसटने लगता है। उसे समझ नहीं आता कि फाइल दौड़ क्यों नहीं रही है। व्यापारी, अधिकारी, बाबू, ठेकेदार की फाइल तो कभी नहीं अटकती, लटकती। मेरी फाइल क्यों अटकी। हालांकि उन्होंने कक्षा में गुरुत्वाकर्षण, चुंबकीय सिद्धांत को जिंदगी भर पढ़ाया है, लेकिन असल में चुम्बकीय बल को स्वयं नहीं समझ पाये। जैसे ही उन्होंने अपनी समझदारी का परिचय दिया। फाइल के ऊपर मूल्य के हिसाब से भारी वोटों का वजन रखा, मुस्कुराते हुए बाबू ने कहा, जाइये आपका काम हो जाएगा। यह शिष्टाचार है। सनातन काल से यह रिवाज चला आ रहा है। पत्रं पुष्पं फलं...। आज यह हर जगह विद्यमान है। जो नहीं जानता, नये लोगों में आक्रोश होता है। मालूम पड़ता है कल्याण इसी में है तो वह भी रच बस जाता है। किताबें कुछ और कहती हैं, यथार्थ में वहां अलग होता है। अब उनका काम विद्युत गति से होने लगा। अब इसे सदाचार या शिष्टाचार कह लो या आपकी मनचाही श्रद्धा। जो भी संबोधन दे दो। आज का यही भविष्यफल है, राशिफल। जिसकी राशि में जितनी अदायगी होती है, उसे उतनी अदा करनी पड़ती है। एक बार गोता लगाने के बाद सब समझदार हो जाते हैं। कोई आये या जाए, कुछ फर्क नहीं पड़ता। ग्रुतगति से यह रिवाज जारी रहता है।  फाइलें तरह-तरह की होती हैं। कुछ फाइलें गुमनाम हो जाती हैं। हिफाजत से रखी हुई गायब हो जाती हैं। भेंट मुलाकात में कुछ चढ़ावा चढ़ाने पर कब्र में द़फन हो चुकी भी मिल जाती है अन्यथा ईश्वर मालिक है। कुछ फाइलें रोज़ निकलती हैं। प्रतिदिन दर्शन कर सकते हो। तरह-तरह के लोग तरह-तरह की फाइलों का रिकॉर्ड रखते हैं। समस्यायें भी सबकी अलग-अलग होती हैं। सरकारी कार्यालय में काम करवाना है तो वहां के रस्मो-रिवाज के अनुसार चलने में दिक्कत नहीं होती है। कागज़ के टुकड़े फाईल को पहचानते हैं। टुकड़े-टुकड़े के लिए दिन भर बैठे रहते हैं। टुकड़ों के लिए मंदबुद्धि भी बुद्धिमान हो जाता है। 
अटकी हुई फाइल दौड़ने लगी और महज दो तीन दिन में महोदय का काम हो गया। उन्हें भी आज गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय सिद्धांत का प्रयोग समझ में आ गया। यह व्यवहारिक ज्ञान है जो व्यक्ति को अपने जीवन में समृद्धि, सम्पन्नता एवं खुशहाली प्रदान करता है। एक दिन क्लर्क ने उन्हें समझाया, आप पढ़े-लिखे हैं, आपको समझना चाहिए न कि फाइल क्यों अटकी हुई है। आपके साथ ही एक-दूसरे सज्जन ने भी कागज़ के टुकड़े मिले, तो उनका काम हो गया। जाओ, थोड़ा मुलाकात करो, काम बन जाएगा। इस तरह की भेंट-मुलाकात में आज तक कितने राजस्व की क्षति हुई, उसे वही जानते हैं। आप अकेले नहीं हो। सब करते हैं। इसी में गाडरकी ठाठ चले आ रहे हैं। ऊपर वाले भी मस्त, नीचे वाले भी खुश। सबको अपनी-अपनी हिस्सेदारी मिल जाती है।

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