भारत के लिए नए आलराउंडर बने नितीश कुमार रेड्डी

आंध्रप्रदेश में जन्मे 21 वर्षीय नितीश कुमार रेड्डी भारत के लिए दुर्लभ गेंदबाज़ी आलराउंडर हैं। लगभग एक माह पहले दिल्ली में बांग्लादेश के विरुद्ध टी-20 खेलते हुए उन्होंने मात्र 34 गेंदों में 74 रन का स्कोर खड़ा किया और उन्हें टीम इंडिया के साथ ऑस्ट्रेलिया के कठिन दौरे पर जाने का अवसर मिल गया। दिल्ली के मैच को एक माह बीत गया था, लेकिन जब पर्थ में अपने डेब्यू टैस्ट में रेड्डी बल्लेबाज़ी करने के लिए उतरे तो वह तब भी टी-20 के ही मोड में थे, जबकि भारतीय टीम की स्थिति अच्छी न थी कि उसका शीर्ष क्रम बहुत मामूली स्कोर पर पवेलियन लौट चुका था। भारत के कुल 150 रन के स्कोर में रेड्डी ने 41 धुआंधार रन का योगदान दिया। दूसरी पारी में भी क्रीज़ पर आते ही उन्होंने चौकों व छक्कों की बरसात शुरू कर दी और नाबाद रहते हुए 38 रन बनाये। रेड्डी की निडरता के बारे में पर्थ में रोहित शर्मा की जगह कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने कहा, ‘अगर आप डर गये तो आपका डर कभी नहीं जायेगा। इसलिए यह अति सकारात्मक संकेत है कि वह डरते नहीं हैं।’ बहरहाल, टैस्ट पर टी-20 मानसिकता का यह केवल एक ही रुख है। जून में टी-20 विश्व कप के बाद से टैस्ट क्रिकेट पर अधिक फोकस किया जा रहा है, विशेषकर इसलिए कि हर कोई अगले वर्ष लॉर्ड्स में होने जा रहे विश्व टैस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के दो स्थानों पर कब्ज़ा करने के प्रयास में है। डब्लूटीसी इस परम्परागत फॉर्मेट को जीवित रखने के सिलसिले में अच्छा काम कर रही है, लेकिन क्रिकेट के इस लम्बे फॉर्मेट के चरित्र में नाटकीय परिवर्तन आया है। अनेक अप्रत्याशित नतीजे सामने आये हैं, बहुत सी टीमें अपने घरेलू मैदानों पर असहज दिखायी दी हैं,बल्लेबाज़ी तकनीक पर सवाल खड़े हुए हैं और मेहमान गेंदबाज़ अपने से अधिक स्थापित मेज़बान गेंदबाज़ों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। पर्थ में ऑस्ट्रेलिया को भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने पहली पारी में मात्र 104 रनों पर समेट दिया। भारतीय बैटर्स को बेंगलुरु टेस्ट में न्यूज़ीलैंड ने केवल 46 रन पर आउट कर दिया था। न्यूज़ीलैंड के पार्ट टाइम स्पिनर्स ने हमारे 400-500 विकेट लेने वाले स्पिनर्स से बेहतर प्रदर्शन किया और अपनी टीम को 3-0 से अप्रत्याशीत विजय दिलायी। कुछ दिन पहले केपटाउन में दक्षिण अफ्रीका ने मात्र 13 ओवर में श्रीलंका को सिर्फ 42 रन पर आउट कर दिया था। पिछले पांच वर्षों के दौरान 10 अवसरों पर टीमें टैस्ट की एक पारी में 80 या उससे कम के स्कोर पर आउट हुई हैं। 
भारत के मुख्य कोच गौतम गंभीर का कहना है कि टी-20 क्रिकेट के कारण बैटर्स की रक्षात्मक तकनीक प्रभावित हुई हैं। गंभीर की बात से दिनेश कार्तिक सहमत हैं, जो एसए-20 लीग के लिए भारत के एम्बेसडर हैं। कार्तिक के अनुसार, ‘जब उन्होंने (गंभीर) कहा कि टी-20 के कारण रक्षात्मक तकनीक में कमी आयी है तो मैं इसे शिकायत नहीं समझता हूं बल्कि यह वास्तविकता है और खिलाड़ियों को फॉर्मेट का चयन करना पड़ेगा।’ संभवत: यही कारण है कि अब मुश्किल से ही कोई टैस्ट पांचवें दिन तक पहुंचता है या ड्रा होता है। अधिकतर टैस्ट तीसरे दिन ही खत्म हो जाते हैं। इसलिए टैस्ट को पांच दिन की बजाय चार दिन का करने की भी आवाजें उठने लगी हैं और यह भी कि टैस्ट खिलाड़ियों को पर्याप्त पैसा दिया जाये ताकि टी-20 का लुभावना मोह उन्हें टैस्ट त्याग के लिए न उकसाये। एसए-20 लीग के कमिश्नर व दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ का कहना है कि खिलाड़ी फॉर्मेट के अनुसार अपने खेल में परिवर्तन लाने का तरीका निकाल ही लेंगे। उनके अनुसार, ‘तकनीक का बदलना स्वाभाविक है। अगर मैं अपने परवरिश के दिनों को याद करूं तो टैस्ट क्रिकेट खेलने के लिए ही गेम को विकसित किया जाता था और फिर आप ओडीआई क्रिकेट के लिए खुद को तैयार करते थे। अब खिलाड़ी पॉवर के बारे में सोच रहे हैं कि उसके साथ कैसे उड़ा जाये। उनकी तकनीक एकदम अलग तरह की है, जिसे उन्हें टैस्ट फॉर्मेट के लिए विकसित करना होगा।’ 
आज खिलाड़ी वाइट-बॉल क्रिकेट खेलने के उद्देश्य से ट्रेनिंग शुरू करता है और इसके बाद अपनी तकनीक को टैस्ट के लिए विकसित करता है। दक्षिण अफ्रीका के टी स्टब्ब्स इसकी मिसाल हैं जो टी20 फॉर्मेट से टैस्ट में आये। उनसे पहले ऑस्ट्रेलिया के डेविड वार्नर ने भी यही तरीका अपनाया था। लेकिन इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि तीनों फोर्मट्स की व्याकरण एकदम अलग है। इसलिए ज्यादा खिलाड़ी नहीं हैं जो हर फॉर्मेट के अनुरूप अपने खेल को कर सकें। वार्नर जैसे खिलाड़ी अपवाद हैं। साथ ही यह भी नहीं भूलना चाहिए कि घरेलू स्तर पर उन्होंने कड़ी मेहनत की। दरअसल, खिलाड़ी को समझना होगा कि वह कहां मज़बूत है और वह किस फॉर्मेट की तकनीक में अधिक निवेश करना चाहता है। बात केवल तकनीक की ही नहीं है। टैस्ट के विभिन्न सेशनों में खेल बहुत तेज़ी से बदलता है। कोच भी अब बैटर्स को लाइसेंस दे रहे हैं कि वह पिच पर जाकर खुद को व्यक्त करें। अगर पहली गेंद का सामना करते हुए भी आपका स्वभाव उसे सीमा पार पहुंचाना है तो कोच आपको ऐसा करने से रोकेंगे नहीं बल्कि प्रोत्साहित करेंगे, जैसा कि रेड्डी के संदर्भ में देखने को मिला। आजकल रिवर्स स्वीप नेचरल शॉट हो गया है, जिसे टी-20 में ही नहीं टैस्ट में खेलने के लिए भी नेट्स में प्रैक्टिस किया जाता है। दिलचस्प यह है कि रिवर्स स्वीप सबसे पहले टी-20 या ओडीआई में नहीं बल्कि टैस्ट में पाकिस्तान के मुश्ताक मुहम्मद ने खेला था।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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