दक्षिणी राज्यों में कम हो रही जनसंख्या बनी चिन्ता का कारण
तमिल की एक प्राचीन कहावत के अनुसार लोगों के पास 16 अलग-अलग प्रकार की दौलत होनी चाहिए। इसको आधार बनाकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन चाहते हैं कि नव दम्पतियों को 16 बच्चे पैदा करने का लक्ष्य रखना चाहिए। सोलाह की संख्या तो उन्होंने मुहवारतन कही, दरअसल वह दक्षिण के राज्यों में जनसंख्या वृद्धि चाहते हैं ताकि आबादी के हिसाब से चुनावी क्षेत्रों के परिसीमन की जो केंद्र सरकार की योजना है, उससे दक्षिण की लोकसभा सीटों में कमी न आ जाये। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू का भी कहना है कि उनकी सरकार अधिक बच्चों वाले परिवारों को लाभान्वित करने की योजना बना रही है ताकि बूढ़ी होती जनसंख्या का समाधान निकाला जा सके और उन्होंने भी दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों से आग्रह किया कि वह अधिक बच्चे पैदा करने पर विचार करें। दोनों स्टालिन व नायडू की अधिक चिंता यह है कि उत्तर भारत के राज्यों में अधिक जनसंख्या होने के कारण संसद में उनके सदस्य ज्यादा होते हैं, जिससे देश की राजनीति उनके नियंत्रण में रहती है और दक्षिण के राज्य इस मामले में पिछड़ जाते हैं।
बहरहाल, कहां तो बात जनसंख्या नियंत्रण की हो रही थी कि इस संदर्भ में कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लम्बित हैं और कहां बल जनसंख्या वृद्धि पर दिया जाने लगा है। अब आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने गिरती हुई प्रजनन दर से चिंतित होकर भारतीय परिवारों से आग्रह किया है कि वह कम से कम तीन बच्चे पैदा करें। दूसरी ओर अमरीका के 47 वर्षीय सॉफ्टवेयर अरबपति ब्रायन जॉनसन जो मौत को मात देने के मिशन पर हैं, का सवाल है कि क्या हम ऐसी पहली पीढ़ी हो सकते हैं जिसे मौत नहीं आयेगी? जॉनसन की आयु पलटने की जो विवादित तकनीक हैं, उनमें यह भी शामिल है कि उन्होंने अपने किशोर बेटे का रक्त खुद को चढ़वाया है। जॉनसन का दावा है कि उनका दिल 37 वर्षीय व्यक्ति वाला है और उनकी त्वचा 28 वर्षीय व्यक्ति जैसी है।
स्टालिन, नायडू व भागवत जैसे हस्तक्षेप बेकार के हैं। महिलाएं जैसे-जैसे अपने अधिकारों को समझेंगी व हासिल करेंगी, वैसे-वैसे वह इस पुराने जाल में नहीं फंसेगीं कि मां बनना ही उनका सर्वोच्च गुण है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि न सिर्फ पूरब में बल्कि पश्चिम में भी बच्चे की परवरिश का अत्यधिक बोझ उन्हीं के कंधों पर पड़ता है। पुतिन, शी, मैक्रॉन, मस्क, मेलोनी, जेडी वेंस, दक्षिण कोरिया व जापान की सरकारें, सभी को जन्म दर में वृद्धि चाहिए और इनमें से एक की भी इच्छा पूरी होने नहीं जा रही है। अनुमान यह है कि इस सिलसिले में पुरुष की तानाशाही भी काम नहीं आयेगी कि महिलाओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए मजबूर किया जाए। शिशु-निर्माण ट्रेंड लाइन न सिर्फ सीधी हो जायेगी बल्कि उसकी दिशा नीचे की तरफ जाने लगेगी। जन्म दर कम होने की चिंता केवल सियासी नेताओं को ही नहीं है बल्कि हर क्षेत्र के विशेषज्ञ परेशान व चिंतित हैं कि श्रमिक बेस सिकुड़ जायेगा, जीडीपी कम हो जायेगी, बुजुर्गों की केयर करने का बोझ बढ़ जायेगा आदि।
बहरहाल, अगर स्वस्थ लम्बी आयु से संबंधित शोध सुरक्षित, सरल व सस्ते समाधान उपलब्ध करा देते हैं, जिनके बारे में जॉनसन जैसे आशावादियों का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस (एआई) की मदद से ऐसा संभव हो जायेगा, लेकिन तब भी बहुत बड़ा ‘अगर’ है, तो बूढ़े होते समाज की कुछ समस्याओं को संबोधित किया जा सकेगा। बुज़ुर्ग, शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ लोग लम्बे समय तक काम कर सकेंगे। अगर एआई उत्पादन चमत्कार कर देता है, जैसा कि उसके समर्थकों का विश्वास है, तो वह बुज़ुर्ग श्रमिकों के साथ मिलकर कम, युवा श्रमिकों और अत्यधिक पेंशन के बोझ की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। स्वस्थ बुज़ुर्ग लोग हेल्थकेयर सिस्टम के लिए भी समस्या नहीं होंगे। एक 80 साल के सेहतमंद बुज़ुर्ग को महंगे उपचार की ज़रूरत नहीं होती है, लेकिन इसी आयु के बीमार बुज़ुर्ग की दवाओं का खर्च जेबों को खाली कर देता है। सांस्कृतिक दृष्टि से स्वस्थ लम्बा जीवन दूसरे विश्व युद्ध के बाद युवाओं का जश्न मनाने की सहमति को चुनौती दे सकता है
जॉनसन का ‘मरना मत’ या लम्बी आयु का फार्मूला यह है कि वह बिना अलार्म के सुबह 5 बजे उठते हैं। दिन भर की विभिन्न थेरपी की ‘सुरक्षा व प्रभावकरिता चेक’ के लिए अंदरूनी कान का तापमान थर्मल स्कैन डिवाइस से मापते हैं। अपनी सर्केडियन रिद्म को सेट करने के लिए सूरज की जगह 10,000 लक्स थर्मल लैंप लाइट एक्सपोज़र के लिए प्रयोग करते हैं। अपने सारे भोजन सुबह 6 से सुबह 11 बजे तक कर लेते हैं, जिसमें 1,977 कैलोरीज और आयरन व विटामिन सी सहित 100 से अधिक सपप्लीमेंट होते हैं। अपना वज़न, बीएमआई, फैट, विसेरल फैट, मसल, वाटर, बोन व हार्ट रेट चेक करते हैं और अपने क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता भी। अपना रंग साफ रखने के लिए 5 मिनट तक ब्लू लाइट थेरपी लेते हैं और 10 मिनट तक ध्यान लगाते हैं। अपनी नाक पर एक डिवाइस लगाते हैं ताकि आंसू आयें और आंखें सूखी न रहें। बालों को गिरने से रोकने के लिए रेड लाइट कैप ओढ़ते हैं। प्रकृति का संतुलन बनाये रखने का अपना नियम है। इस नियम से छेड़छाड़ का नतीजा ही है कि जन्म दर में गिरावट समस्या बन गई है। बायो सिस्टम्स को बर्बाद करने के बाद इन्सान जो अब परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहा है उससे अनेक सवाल उठते हैं। बुज़ुर्गों व स्वस्थ लोगों के एनर्जी कंज़म्पशन के क्या प्रभाव होंगे? क्या पृथ्वी स्वस्थ मानव की लम्बी आयु को बर्दाश्त कर सकेगी? शायद इस किस्म के प्रश्नों के उत्तर मिल भी जायें, लेकिन पहले हमें सवाल तो करने ही होंगे। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर