ओसामु सुज़ुकी का भारत के लिए योगदान
वाहनों की दुनिया में जापान के ओसामु सुज़ुकी ने भारत में जन-साधारण की पहुंच में आने वाली सस्ती एवं टिकाऊ कारों के उत्पादन में जो क्रांति लाई, वह अविस्मरणीय नहीं है। सुज़ुकी ने उस समय भारतीय कार बाज़ार में पांव रखे थे, जब यहां लाइसैंस राज चलता था। बाहरी किसी भी उद्योगपति के लिए भारत में उद्योग स्थापित करना बेहद जोखिम भरा काम था। यदि आज भारत में छोटे एवं मध्यम वर्ग की पहुंच में कारें हैं तो इसका श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को जाता है, जिन्होंने सस्ती एवं छोटी मारुति कार का उत्पादन भारत में करने की योजना बनाई थी। चाहे उनके इस प्रोजैक्ट के लिए हर तरफ से कड़ी आलोचना भी होती रही परन्तु वह अंत तक अपनी बनाई इस योजना पर काम करते रहे। चाहे उनकी विमान हादसे में अचानक मौत हो जाने से वह अपने इस शुरू किए काम में सफल न हो सके परन्तु उसके बाद के घटनाक्रम में सरकार की ओर से इस कार्य को अपने हाथ में ले लिया गया।
उस समय जापान के कार-निर्माताओं की विश्व में चर्चित नाम ओसामु सुज़ुकी ने भारत के साथ में कारें बनाने के लिए भागीदारी की थी। चाहे उस समय सुज़ुकी ने इस कम्पनी में 26 प्रतिशत की ही पूंजी लगाई थी परन्तु बाद में उसका हिस्सा बढ़ता गया और भारत सरकार इस प्रोजैक्ट से अपने पांव पीछे खींचती गई। सुज़ुकी की ओर से कम्पनी में अपने शेयर बहुसंख्या में कर लिए गए। उसके बाद इस कम्पनी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। फिर मारुति-सुज़ुकी कारों का उत्पादन हज़ारों से लाखों तक पहुंच गया। मध्यम वर्ग को ये कारें सस्ते मूल्य पर मिलीं, जिस कारण भारतीय कार बाज़ार में मारुति-सुज़ुकी की सरदारी कायम होती गई। आज भी देश में बनने वाली तथा बाहर से आने वाली सभी कारों का 40 प्रतिशत हिस्सा मारुति-सुज़ुकी का है। समय के साथ इसकी विश्वसनीयत बढ़ती गई। ये कारें जन-साधारण की पहली पसंद बनती गईं। छोटी और सस्ती कारें बनाने वाली कई अन्य बड़ी कम्पनियों ने भी बाद में अपनी कारें बाज़ार में उतारीं परन्तु कोई भी कम्पनी मारुति-सुज़ुकी का मुकाबला न कर सकी।
नि:संदेह इस क्षेत्र में ओसामु सुज़ुकी का बहुत बड़ा योगदान माना जाएगा। उसने ज़िन्दगी के अंत तक भारत से अपना लगाव कायम रखा। उसके इस सहयोग के दृष्टिगत ही भारत में उसकी बेहद प्रशंसा होती रही है। मारुति-सुज़ुकी इंडिया के चेयरमैन आर.सी. भार्गव के अनुसार ओसामु ने सभी तत्कालीन प्रधानमंत्रियों का विश्वास जीता। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनके करीबी संबंध रहे। आज करोड़ों की संख्या में भारतीय उनके प्रशंसक हैं। ओसामु सुज़ुकी को भारतीय आर्थिकता में बड़ा योगदान डालने के दृष्टिगत पद्म भूषण के साथ भी सम्मानित किया गया था, क्योंकि उनकी दूरदर्शी सोच से न सिर्फ वाहन जगत को ही एक आकार मिला, अपितु लाखों ही भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने में भी उनकी अहम भूमिका मानी जाएगी। इसमें सन्देह नहीं कि यदि ओसामु सुज़ुकी भारतीय वाहन जगत में शामिल न होते तो भारत ने इस क्षेत्र में एक बड़ा उत्पादक नहीं बन पाना था। उसकी दूर-दृष्टि के बिना ऑटो मोबाइल उद्योग में ऐसी क्रांति नहीं आती।
आज सुज़ुकी की दूरदर्शिता के कारण ही लाखों लोग बेहतर जीवन जी रहे हैं। इस कम्पनी की बदौलत ही भारत और जापान के संबंध और भी सुखद हुए हैं। जापान ने टैक्नालोजी के अनेक क्षेत्रों में भारत को बड़ा सहयोग दिया है। आज वह विश्व के कुछ ऐसे देशों में से एक है, जिसके जहां भारत के साथ व्यापारिक संबंध शिखर पर हैं, वहीं दोनों देशों में मेल-मिलाप एवं सहयोग भी एक उदाहरण का रूप धारण कर गया है। ऐसे संबंधों में ओसामु सुज़ुकी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द