लड़का हंसा कि फंसा
एक दिन एक छात्र ने एक मैडम को देखकर हंस दिया। वो मैडम पेशे से वकील थी। वो हर तरह की हंसी को पहचानती थीं। उनको पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि छात्र ने उनको ही देखकर हंसा है। वो ऐसे वैसे लोगों को अक्सर देखतीं थीं, जो उनको देखकर हंसते थे। तो वो उनको लताड़ देती थी। उसको बहुत बुरा भला कहकर ही छोड़ती थीं। जो बेवजह उनको देखकर हंसते या मुस्कुराते थे। उनको मुस्कुराने और हंसने वाले लोगों से चिढ थी। वकील साहिबा ने कईयों को इस तरह से हवालात के हवा खिला दिया था। शहर का ऐसा कोई सज्जन नहीं था। जो उनकी शिकायत पर जेल या कम से कम अदालत के चक्कर न लगा चुका हो।
वकील साहिबा का हुस्न कुछ इस तरह का था कि उनको देखकर लोग आहें भरते थे। लोग उनको देखने का कोई न कोई बहाना बनाकर उनको देखते रहते। इस तरह वकील साहिबा उस शहर की मिस सिटी थीं। केवल उनको औपचारिक तौर पर मिस सिटी का ताज मिलना बाकी रह गया था। वैसे वो अपने आपको मिस सिटी से कमकर भला कभी आंकती भी ना थी। उनको दूसरों की हंसी में हमेशा रहस्य ही दिखाई देता था। इस कारण उन्होंने अब तक शादी नहीं की थी। एक दूसरा कारण भी था कि यदि वो शादी कर लेतीं तो उनका ब्यूटी रेट कम हो जाता। इस तरह से लोगों का उनको देखकर हंसने का और मुस्कुराने का कोई चांस नहीं था। और वो ये चांस खोना नहीं चाहती थीं।
इस तरह प्राय: जो उनके शहर के लोग थे। और उनको अच्छे से जानते थे। प्राय: उनको देखकर हंसने से बचते थे। इस तरह जिस युवक ने वकील साहिबा को देखकर हंसा था। और इस कारण से वो फंसा था। उसके ऊपर एक केस वकील साहिबा ने दर्ज करवा दिया। कोर्ट में लड़के की पेशी हुई और जज ने उससे पूछा। तुमने वकील साहिबा को देखकर क्यों हंसा? तुम शहर में नये आये हो वकील साहिबा को देखकर हंसते हो। और इस कारण से आकर मुकदमे में फंसते हो।
युवक दरअसल जज साहब का लड़का था। जज साहब पहले वकील साहिबा के कहने पर सैंकड़ों को बड़े घर की हवा खिलवा चुके थे। लेकिन इस बार उनके लड़के की बात थी। पूछे तुमने इनको देखकर क्यों हंसा? इनमें ऐसा तुमने क्या देखा जो हंसा। लड़के ने जज साहब से कहा इनकी शक्ल मेरे भैंस से मिलती है। लिहाजा मुझे हंसी आ गई। और तो कोई बात नहीं थी। ऐसा सुनकर वादी-प्रतिवादी और खुद जज साहब भी हंस पड़े। लेकिन वकील साहिबा को अपनी हकीकत का उस दिन अंदाजा हो गया कि वो ‘मिस सिटी’ नहीं ‘मिस भैंस’ हैं!
लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि ये कहावत लड़कों पर बहुत बेहतर तरीके से लागू होती है। और कहावत को गलत तरीके से कहा गया है। या वर्णित किया गया है।
दरअसल लड़का हंसता है और फंस जाता है। और ऐसा फंसता है कि जो बात हंसी से शुरू होती है। वो शादी पर जाकर खत्म होती है। पति शादी और हंसने की महज एक गलती के कारण कांटे की तरह सूख कर रह जाता है। और पत्नी गुब्बारे की तरह बड़ी होकर फूल जाती है। ये महज एक बार हंसने से होता है।