पाकिस्तान के सामने चुनौतियां

भारत और पाकिस्तान में 4 दिन तक सख्त लड़ाई होने के बाद दोनों देशों के बीच गोलीबारी बंद करने के लिए सहमति बनी थी। ऐसा दोनों देशों के डायरैक्टर जनरल मिल्ट्री आपरेशन्ज़ के बीच शनिवार को हुई बातचीत के बाद हुआ था। उस समय यह भी सहमति बनी थी कि दोनों सैनिक जरनलों के बीच अगली बातचीत सोमवार को होगी। इस तरह लड़ाई रुकने से दोनों देशों के लोगों ने एक बार तो सुख की सांस ली है। दुनिया भर के देशों की ओर से इस संबंधी चिंता प्रकट की जाती रही है और उनके द्वारा दोनों देशों को आपस में बातचीत करने के लिए अपीलें भी की जाती रही हैं। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गोलीबारी बंद होने संबंधी संतुष्टि प्रकट की है और यह भी आशा व्यक्त की है कि आगामी समय में दोनों देश आपसी बातचीत द्वारा बेहद उलझ चुके मामलों को भी हल करने का यत्न करेंगे।
नि:संदेह पाकिस्तान एक तयशुदा नीति के अंतर्गत आतंकी संगठनों को पाल कर भारत के विरूद्ध प्रयोग करता रहा है। पिछले लगभग 35 साल से उसके द्वारा हिंसक कार्रवाइयों को अंजाम दिया जाता रहा है। इसमें पाकिस्तान की सेना की बड़ी हद तक हल्लाशेरी और शमूलियत रही है। इसी कड़ी में देश भर में लगातार आतंकी हमले किये जाते रहे हैं, जिनको भुलाया नहीं जा सकता। ऐसा घटनाक्रम राष्ट्र के लिए अविस्मरणीय बन चुका है। चाहे इन कार्रवाइयों में अनेक तरह के आतंकी संगठनों की शमूलियत मानी जाती है पर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद और हिज़्बुल मुजाहिदीन तीन ऐसे संगठन हैं, जिनके मुख्य अड्डे गुलाम कश्मीर, पंजाब और पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में हैं और इन पर भारत में बड़ी घटनाएं करने का आरोप लगता है। इनमें साल 2008 में मुम्बई में किया गया हमला भी शामिल है। की गई ऐसी हिंसक कार्रवाइयों की शृंख्ला बहुत लम्बी है, जिनके प्रति पाकिस्तान को लगातार सूचित भी किया जाता रहा है, परन्तु वहां की सरकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। इसी क्रम में ही 22 अप्रैल को पहलगाम में किया गया आतंकवादी हमला शामिल है, जिसमें 26 भारतीयों को चुन-चुन कर गोलियों का निशाना बनाया गया था। 
इस दुखद तथा क्रूरतापूर्ण कार्रवाई के बाद भारत की ओर से 7 मई को जवाबी कार्रवाई को अंजाम दिया गया था, जिनमें पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी कैम्पों तथा उनके रहने वाले ठिकानों को निशाना बनाया गया था। इससे पहले भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौते को खत्म करने तथा पाकिस्तान के साथ राजनयिक स्तर के संबंधों को कम करने की घोषणा की गई थी। राजनयिक स्टाफ को कम करने, आपसी व्यापार बंद करने तथा प्रत्येक तरह का सहयोग खत्म करने ने पाकिस्तान की चिन्ता को बड़ी सीमा तक बढ़ा दिया था। 
अब सेना के तीनों अंगों के उच्चाधिकारियों द्वारा यह घोषणा की गई है कि कुछ दिन के सीमित युद्ध के बाद भारत के सभी सैन्य अड्डे तथा प्रबंध पूरी तरह सुरक्षित हैं और सामान्य कार्य कर रहे हैं और यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान में मिसाइलों के साथ आतंकवादियों के 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया, 11 हवाई अड्डों को नष्ट किया गया और 100 से अधिक आतंकवादियों को भी मार दिया गया है। भारत सरकार द्वारा यह भी घोषणा की गई है कि भविष्य में किसी भी आतंकवादी हमले को देश के विरुद्ध युद्ध समझा जाएगा। इस पड़ाव पर पहुंच कर पाकिस्तानी शासकों तथा सेना को यह समझ ज़रूर आनी चाहिए कि दशकों से उनकी ओर से की जा रही ऐसी कवायद ऐसे बुरे निष्कर्ष की धारणी हो सकती है, जिससे कि पाकिस्तान का भविष्य पूरी तरह अनिश्चित हो जाएगा।
पहले ही यह देश आर्थिक रूप में मंदी का शिकार है, जिस कारण वहां के करोड़ों नागरिक मंदहाली का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। ऐसी नीतियों के कारण ही पाकिस्तान को आज बड़ी आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और यदि वह अपना रवैया नहीं बदलता तो उसकी मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। 

    
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द 

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