वो कर दिखलाया आज!
इन्सान भूल जाते हैं
यह है उनकी िफतरत।
तीन सौ पचास साल पहले,
एक मसीहा ने दी थी शहादत।
ज़ुल्म के खिलाफ लड़े, दे दी अपनी जान।
कश्मीरियों को बचाने, गुरु तेग बहादुर हो गए थे कुर्बान।
फिर कश्मीर में तीन सौ पचास साल बाद,
हिन्दुओं पर होने लगे अत्याचार,
तब फिर निकला दिल से गुरु तेग बहादुर पुकार।
उस समय जनेऊ ़खतरे में था,
अब ़खतरे में हुआ सिंदूर,
क्या दोष है मासूम हिन्दुओं का,
क्या है इनका कसूर?
मासूमों का जो कत्ल करे, आतंकी नहीं, वो है समाज का नासूर।
सेवादार को शस्त्र उठाने पर करते हैं मजबूर।
किसी की ज़िन्दगी उजाड़ कर, क्या देख रहे हो ख्वाब,
़कयामत के वक़्त जालिमो, देना पड़ेगा हिसाब।
कुदरत का इन्साफ देखो, फिर भेज दिया है दूत
आतंक पर ऐसा वार किया, बना दिया है भूत।
सारे जहां ने साथ दिया, आतंकियों को धिक्कारा
धन्य हैं हमारे प्रधानमंत्री, धन्य है हिन्दुस्तान हमारा।
आपने बहन-बेटियों के सिंदूर की रखी लाज,
जो कर न सके पहले,
वो कर दिखलाया आज।