भारत के लिए पाकिस्तान का परमाणु ़खतरा वास्तविक
यह अच्छी बात है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सशस्त्र संघर्ष जल्दी ही खत्म हो गया, इससे पहले कि यह एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध में बदल जाता, जिससे दोनों देशों में जान-माल का भारी नुकसान होता और आर्थिक तबाही मच जाती, शायद भारत से ज़्यादा पाकिस्तान में। हालांकि संघर्ष का अचानक खत्म होना जिसने पाकिस्तान के सैन्य बुनियादी ढांचे को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया, जो पाकिस्तान के संभावित परमाणु खतरे के कारण प्रतीत होता है, एक बड़ी चिंता का विषय है। सभी नौ परमाणु सशस्त्र राज्यों में से, पाकिस्तान शायद दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी राज्य है जिसने सेना के छावनी क्षेत्र में दुनिया के सबसे कुख्यात, हिंसक व वांछित आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को गुप्त रूप से शरण दी थी।
पाकिस्तान के तरीके भी उतने ही अप्रत्याशित हैं। पहले संयुक्त राज्य अमरीका का करीबी सहयोगी, पाकिस्तान अब सैन्य और आर्थिक रूप से चीन पर बहुत अधिक निर्भर है। खबरें बताती हैं कि अपने सैन्य ठिकानों पर भारतीय मिसाइल हमलों की बौछार से घबराया पाकिस्तान भारत को सबक सिखाने के लिए परमाणु जवाबी हमले पर विचार कर रहा था। पाकिस्तान दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी परमाणु शक्ति है जिसके पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं- ये सभी उसके एक बड़े दुश्मन भारत पर लक्षित हैं। परमाणु हथियार पाकिस्तान के सामूहिक विनाश के प्रमुख हथियार हैं। शुक्र है कि पाकिस्तान ने अभी तक इस उद्देश्य के लिए अन्य तीन हथियार विकसित नहीं किये हैं- जैविक, रासायनिक और रेडियोलॉजिकल।
भारत के विपरीत, पाकिस्तान तथाकथित परमाणु सिद्धांत पर बहुत कम ध्यान देता है। भारत के साथ युद्ध की स्थिति में, पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से पहले ‘पहले हमला न करने’ के विकल्प के साथ पलक भी नहीं झपकायेगा, अगर उसे लगेगा कि भारतीय सैन्य आक्रमण उसकी रक्षा को गहरायी से भेद रहा है और उसे एक बड़ा झटका दे रहा है जिसे पारंपरिक तरीकों से उलटा नहीं किया जा सकता है। ‘पहले परमाणु हमले’ न करने का विकल्प घातक हो सकता है क्योंकि यह दूसरे युद्धरत परमाणु शक्ति को उसके शस्त्रागार को इस हद तक नष्ट करके हरा सकता है कि हमलावर देश कमजोर जवाबी कार्रवाई से बच सकता है जबकि विरोधी पक्ष युद्ध जारी रखने में असमर्थ हो जाता है।
पाकिस्तान की सेना और सरकार भारतीय रक्षा बलों द्वारा की गयी बेहद तेज कार्रवाई से स्पष्ट रूप से चकित थी, जिसने उसके युद्ध तंत्र को लगभग हिलाकर रख दिया था। 10 मई की सुबह, भारतीय मिसाइलों ने रावलपिंडी में पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर हमला किया, जहां परमाणु-सशस्त्र देश की सेना का मुख्यालय स्थित है। पूरी तरह से भ्रमित पाकिस्तान ने शायद परमाणु विकल्प पर विचार किया। यह संभव है कि अमरीका को पाकिस्तान के इरादे के बारे में जानकारी थी। भारत भले ही इनकार करे, लेकिन व्हाइट हाउस ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए दोनों युद्धरत देशों से तत्काल युद्ध विराम के लिए कहा। फिर दोनों पक्ष सहमत हो गये और लड़ाई अचानक बंद हो गयी।
वास्तव में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत सरकार और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा इस घटनाक्रम की पुष्टि करने से कुछ घंटे पहले ही नई दिल्ली और इस्लामाबाद दोनों को पछाड़कर ‘पूर्ण और तत्काल’ भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम की घोषणा कर दी। युद्ध विराम के कुछ ही दिनों बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच एक कड़ा संदेश देते हुए घोषणा की कि ‘भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा।’ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘अब किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। भारत पर आतंकवादी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा और यह जवाब हमारी शर्तों पर दिया जायेगा।’ उन्होंने कहा कि भारत परमाणु धमकियों से नहीं डरेगा।
भारत के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस बहाने से काम करने वाले किसी भी आतंकवादी सुरक्षित ठिकाने पर सटीक और निर्णायक हमले किये जायेंगे।’ हालांकि जब तक पाकिस्तान की परमाणु युद्ध क्षमता को भारत बेअसर करने में सक्षम नहीं हो जाता, तब तक पाकिस्तानी ‘परमाणु ब्लैकमेल’ कारक को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करना मुश्किल हो सकता है, जो पूरी तरह से भारत की ओर निर्देशित है। थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के अनुसार, भारत के भौगोलिक आकार का केवल 25 प्रतिशत छोटा पाकिस्तान, 170 परमाणु हथियार रखता है- जो भारत से केवल 10 ही कम है। जनवरी 2024 तक की स्थिति के बारे में सिप्री ने अनुमान लगाया कि दुनिया भर में 12,121 परमाणु हथियार हैं। इनमें से लगभग 9,585 सैन्य भंडार में रखे गये थे, जिनमें से 3,904 सक्रिय रूप से तैनात थे- जो पिछले वर्ष की तुलना में 60 अधिक थे। अमरीका व रूस के पास कुल मिलाकर 8,000 से अधिक परमाणु हथियार हैं।
परमाणु हथियार भंडार के मामले में पाकिस्तान इज़रायल और उत्तर कोरिया से भी आगे है। पाकिस्तान कथित तौर पर उन चार देशों में से एक है, जिन्होंने अभी तक परमाणु हथियार तैनात नहीं किये हैं। अन्य तीन हैं: भारत, इज़रायल और उत्तर कोरिया। हालांकि परमाणु हथियारों की तैनाती कोई बड़ी बात नहीं है। डिलीवरी सिस्टम और विशिष्ट आवश्यकता के आधार पर उन्हें कुछ घंटों के भीतर किया जा सकता है। जमीन से लॉन्च की गयी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) को मिनटों में तैनात किया जा सकता है। पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों (एसएलबीएम) का भी यही हाल है।
‘सक्षम नौ’ द्वारा साल दर साल परमाणु हथियारों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के बावजूद उनमें से किसी ने भी युद्ध में अपने विरोधियों के खिलाफ उनका इस्तेमाल करने का साहस नहीं दिखाया है, क्योंकि अगस्त 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में अमरीका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराकर पहला और आखिरी परमाणु हमले के बहुत अधिक विनाशकारी दुष्प्रभाव हुए थे। अमरीका मैनहट्टन परियोजना के हिस्से के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमरीका परमाणु बम बनाने वाला पहला देश था, जिसने 16 जुलाई 1945 को पहला परमाणु हथियार का परीक्षण किया था। आज चीन, फ्रांस, भारत, इज़रायल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, यूनाइटेड किंगडम और अमरीका द्वारा निर्मित परमाणु हथियार हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराये गये परमाणु हथियारों से कई गुना अधिक शक्तिशाली हैं। वे पूरी दुनिया को तबाह करने में सक्षम हैं। (संवाद)