ऩफरत के स्वर
सप्ताह भर पहले मध्य प्रदेश के एक मंत्री ने सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के संबंध में जो टिप्पणी की थी, वह बेहद शर्मसार करने वाली थी। पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 व्यक्तियों की निर्मम तरीके से गोलियां मार कर हत्या करने के बाद समूचे देश में ही इस घटना के संबंध में एक त़ूफान उठ खड़ा हुआ था। आतंकवादियों ने गोलियां मारने से पहले पर्यटकों का धर्म पूछा था और उन्हें चुन-चुन कर मारा था। उसके बाद भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर नाम के तहत पाकिस्तान में बड़े आतंकवादी ठिकानों पर हमले किए गए थे, जिनसे वहां भारी नुकसान हुआ था। 4 दिन तक दोनों देशों में हर स्तर पर लड़ाई चलती रही थी।
उसके थम जाने के बाद ही विदेश सचिव विक्रम मिसरी सहित विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी की ज़िम्मेदारी लगाई गई थी जो ज़िम्मेदारी से निभाई भी थी। इसे लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने इन्दौर में एक समारोह के दौरान कर्नल सोफिया के धर्म पर टिप्पणी की थी और यह भी प्रकट किया था कि सरकार द्वारा आतंकवादियों को जवाब देने के लिए उनकी बहन को ही भेजा गया था। इसके साथ जहां सेना की प्रतिभा पर सवाल उठा था, वहीं एक सैन्य अधिकारी को विशेष धर्म के साथ जोड़ना और उसकी और उसके पद के लिए बड़ी नामोशीजनक बात थी। विपक्षी दलों ने प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए तुरंत उपरोक्त मंत्री को त्याग-पत्र देने के लिए कहा था और उस पर मामला दर्ज करके कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग की थी। इसके साथ ही प्रदेश के उच्च न्यायालय ने अपने तौर पर इस शर्मनाक बयान का संज्ञान लेते हुए विजय शाह के संबंध में पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया था। जिसे लेकर इस मंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी अपील को अस्वीकार करते हुए बेहद कड़ी टिप्पणियां की थीं और कहा था कि विजय शाह के बयान से पूरा देश शर्मसार है। माननीय न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि उन्होंने वीडियो देखे हैं, जिसमें मंत्री ने निम्न स्तरीय भाषा का इस्तेमाल किया है। ऐसी घटिया टिप्पणियों के लिए उन्हें शर्म आनी चाहिए। इस मुद्दे को उसके द्वारा केवल माफी मांगने पर ही नहीं छोड़ा जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मंत्री के विरुद्ध कार्रवाई के लिए तीन बड़े पुलिस अधिकारियों की समिति बनाने का निर्देश दिया है, जो कुछ दिनों में ही इस संबंध में रिपोर्ट पेश करेगी।
विगत लम्बी अवधि से समय-समय पर बड़े-छोटे राजनीतिज्ञों के अक्सर ऐसे बयान आते रहते हैं, जिस कारण समाज में घृणा भी फैलती है और दरारें भी पड़ती हैं। ऐसे व्यक्तियों की कार्रवाइयों के कारण ही अक्सर दंगा-फसाद हो जाते हैं, जिनमें मानवीय जानें भी जाती है और सम्पत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचता है, परन्तु इससे भी आगे जाकर अलग-अलग समुदायों में इससे आपसी ऩफरत के बीज बोए जाते हैं, जो समय पाकर हवा को ज़हरीला बनाने का कारण बनते हैं। इस संबंध में राजनीतिज्ञों, राजनीतिक पार्टियों और समाज के प्रत्येक वर्ग के प्रमुख व्यक्तियों को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास करने की ज़रूरत होगी। नि:संदेह ऐसा सृजन किया जा रहा माहौल जहां भाईचारों में आपसी ऩफरत को और बढ़ाता है, वहीं देश के विकास की गति में भी अवरोध पैदा कर सकता है। मानवीय नैतिक मूल्यों का भी इस प्रकार के क्रियान्वयन से भारी नुकसान हो सकता है।
-बरजिन्दर सिंह हमदर्द