ऑपरेशन सिंदूर : भारत को मिली बड़ी जीत

पाकिस्तान के आतंकियों द्वारा कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में 26 भारतीयों की बड़ी बेरहमी से हत्या की गई थी। आतंकियो ने पर्यटकों का धर्म पूछ-पूछ कर हिन्दू पुरुषों को अपना शिकार बनाया। हिंदुओं की धार्मिक पहचान जानने के लिए उनकी पैंट उतारकर देखा गया कि वो हिन्दू ही हैं। इस घटना के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई थी और देश चाहता था कि सरकार इस दुर्दांत हमले का जवाब दे। 2014 से पहले जब भी देश पर आतंकी हमला होता था तो जनता कभी बदले की बात नहीं करती थी। इसके लिए कुछ दिन आतंकवादियों और उनके आका पाकिस्तान को कोसा जाता था फिर इसके बाद देश अपने रास्ते पर चल पड़ता था। सरकार हर आतंकी हमले के बाद उसका एक डॉजियर बनाकर पाकिस्तान को आतंकी संगठनों पर कार्यवाही करने के लिए भेज देती थी। भारत ऐसे हमलों के बाद दुनिया के प्रभावशाली देशों को भी पाकिस्तान पर दबाव डालने को कहता था लेकिन कहीं कुछ नहीं होता था। 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकियों ने सैन्य ठिकाने पर बड़ा हमला करके 18 सैनिकों को शहीद कर दिया। 
इसके बाद पहली बार मोदी सरकार ने पाकिस्तान को कीमत चुकाने की चेतावनी दी और कुछ दिन बाद भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर आतंकवादी कैंप पर हमला करके कई दर्जन आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद कश्मीर के पुलवामा में एक बड़ा आत्मघाती हमला करके आतंकवादियों ने 40 सीआरपीएफ जवानों को शहीद कर दिया। जनता ने फिर एक बार मोदी की ओर देखा तो मोदी जी ने बयान दिया कि इस हमले का जवाब दिया जाएगा। दो सप्ताह बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में बड़े आतंकवादी शिविर पर हमला करके सैकड़ों आतंकवादियों को ठिकाने लगा दिया। इस बार जब 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या कर दी तो जनता ने फिर मोदी की ओर देखा कि क्या इस बार भी पाकिस्तान को सबक सिखाया जायेगा। प्रधानमंत्री मोदी और उनके कई नेताओं ने बयान दिया कि इस हमले की पाकिस्तान के आतंकियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। मोदी जी ने कहा कि इस बार भारत ऐसी कार्यवाही करेगा जिसकी आतंकवादियों और उनके पीछे बैठे उनके आकाओं ने कल्पना भी नहीं की होगी।
भारतीय सैन्य बलों ने 6-7 मई की रात को 1:30 बजे के बाद करीब आधे घंटे में पाकिस्तान में स्थापित 9 आतंकवादी शिविरों पर बड़ा हमला करके उन्हें मिट्टी में मिला दिया। देखा जाए तो इस बार भी भारत ने आतंकियों और उनके आका पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिर्फ आतंकवादी अड्डों पर हमला किया था और पाकिस्तान को बता दिया गया कि हमने जो कार्यवाही करनी थी कर दी गई है। पाकिस्तान को कहा गया कि भारत ने सिर्फ आतंकवादी शिविरों पर हमला किया है, किसी भी सैन्य और नागरिक ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया है। अगर पाकिस्तान ने भारत के ऊपर हमला किया तो उसे कड़ा जवाब दिया जाएगा। इससे साबित होता है कि आतंकवादी शिविरों पर हमला करने के बाद भारत का लक्ष्य पूरा हो गया था, अगर पाकिस्तान भारत पर हमला नहीं करता तो मामला खत्म हो जाता। पाकिस्तान के हुक्मरानों के लिए ये असहनीय था कि भारत इतना बड़ा हमला करे और उन्हें चुप रहना पड़े, इसलिए 8 और 9 मई की रात में पाकिस्तान ने भारत पर बड़े हमले किये। मोदी सरकार के लिए कार्यवाही करना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि उनके समर्थकों में कुछ न होने पर भारी निराशा और नाराजगी पैदा हो जाती। देखा जाए तो मोदी जी के लिए आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के कारण कार्यवाही करना ज़रूरी था। 7 मई की कार्यवाही के मोदी जी का ये लक्ष्य पूरा हो चुका था। 
अब सवाल उठता है कि मोदी सरकार ने कार्यवाही करने में इतना समय क्यों लिया। वास्तव में 8 और 9 मई को पाकिस्तान ने भारत पर जो हमला किया था उसकी मोदी सरकार को पूरी आशंका थी। मोदी सरकार चाहती तो तीन चार दिन में पाकिस्तानी आतंकी शिविरों पर कार्यवाही कर सकती थी लेकिन पाकिस्तान के जवाबी हमले की तैयारी करने के लिए इतना समय लिया गया था। कोई नहीं कह सकता कि भारत और पाकिस्तान के बीच छोटी सी झड़प कब बड़े युद्ध का रूप ले सकती है इसलिए युद्ध की तैयारी के बाद ही सरकार ने कार्यवाही की थी। देखा जाए तो भारत और पाकिस्तान के बीच पूरा युद्ध नहीं हुआ है बल्कि एक बड़ा संघर्ष हुआ है। हो सकता था कि पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध में चला जाता लेकिन सिर्फ तीन दिन की कार्यवाही में भारत ने पाकिस्तान की ऐसी हालत कर दी कि युद्ध के आगे बढ़ने में पाकिस्तान को अपनी सम्पूर्ण बर्बादी नज़र आने लगी। यही कारण है कि वो कई देशों के आगे जाकर गिड़गिड़ाया और बाद में भारत के साथ संघर्ष को विराम लग गया। वैसे देखा जाए तो युद्ध में दोनों पक्षों का नुकसान होता है, किसी का कम होता है और किसी का ज्यादा होता है लेकिन फायदा सिर्फ एक पक्ष का होता है जो जीतता है। भारत को इस संघर्ष में बड़ी जीत मिली है तो उसके फायदे भी बड़े हैं। भारत का आतंकी शिविरों पर कार्यवाही करने का उद्देश्य यह था कि आतंकवादियों को संदेश दिया जाए कि वो भारतीय नागरिकों की हत्या करके कहीं छुप नहीं सकते। वो हमला करके पाकिस्तान में जाकर कार्यवाही से बच नहीं सकते। 
इस संघर्ष में पाकिस्तान ने तुर्की और चीन के हथियारों का इस्तेमाल किया लेकिन भारत के सामने वो बेकार साबित हुए। इस युद्ध में साबित हो गया कि तुर्की के वो ड्रोन भारत के सामने बेकार हैं जिनका पूरी दुनिया में डंका बज रहा है। चीन के हथियार किसी काम के नहीं हैं, इस संघर्ष में साबित हो गया। भारत ने इस संघर्ष से अनजाने में इतना बड़ा लक्ष्य हासिल कर लिया जिसके बारे में उसने सोचा भी नहीं था। भारत ने साबित कर दिया कि मेक इन इंडिया के हथियार कितने घातक और असरदार हैं। आने वाले समय में भारत के लिए हथियारों का बड़ा बाजार खुलता दिखाई दे रहा है और चीन की दुकान बंद होती नज़र आ रही है।

#ऑपरेशन सिंदूर : भारत को मिली बड़ी जीत