स्मार्टफोन और साहब
साहब तो साहब हैं अफसर आदमी है उनका जीवन सेट है। साहब बनने के पहले और साहब बनने के बाद से उनके जीवन में आमूलचूल गौर करने लायक परिवर्तन देखने को मिला है। चेहरे की चमक.. शरीर की काया जेब में माया सब अफरात मात्रा में बढ़ने लगा है। उनके पेट का पिटारा कुर्ता फाड़ कर बाहर निकलने की अवस्था में लटकने भटकने लगा है। साहब जब नई-नई भर्ती हुए थे तो छुहारे थे अब साहब अदरक बन चुके हैं। और काफी तीखी किस्म के अदरक बन चुके हैं। साहब के साहब बन जाने के सारे चिन्ह आलोकित होने लगे हैं। जिससे उनके विरोधियों के मन में अफारा बढ़ने लगा है लेकिन साहब तो पद और पावर से सुसज्जित इंसान हैं इसलिए अफारा.. लोगों मन में ही बढ़ सकता है और कहीं नहीं।
साहब को किसी भी चीज से परहेज नहीं है हर चीज से प्यार है। इस धरती के सारी अच्छी चीजें खाने पीने, पहनने, ओढ़ने, धरती के सारे कार्यक्रम उनको अच्छे ही लगते हैं चाहे वह जाड़ा, गर्मी, बरसात कोई भी मौसम हो उन्हें सारा अच्छा लगता है। उन्होंने अपने आप को सबके लिए एडजेस्ट कर रखा है। साहब के जितना तो गिरगिट भी अपने आप को एडजस्ट नहीं कर पाता है। सारे मौसम के अनुसार सुसज्जित उनके पास रहने के लिए आलीशान बंगला है। उनके अधीनस्थ उनको भले ही बगुला भगत कहते रहे। लेकिन बंगला तो साहब के पास ही है। इसलिए उन्हें किसी के कुछ भी कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
उनका एक ही दुख है और उनकी एक ही खुन्नस है... उन्हें स्मार्टफोन देखते ही बेचैनी होने लगती है। लेकिन अपने हाथ में नहीं.. दूसरे के हाथ में देखकर उनका पारा हाई से हाई लेवल तक पहुंच जाता है। बिदकते ऐसे हैं जैसे सांड को लाल कपड़ा दिखा दिया गया है। और वह भड़क बहुत ही बुरी तरह जाते हैं। सबसे पहले तो उनके ऑफिस में स्मार्ट फोन लेकर अंदर जाना अलाउड ही नहीं है। और यदि कोई भूले भटके लेकर पहुंच गया तो पहले तो उसकी शामत आती है। उसके बाद बाहर काउंटर के पास ही जमा करवा लिया जाता है। उसके बाद ही साहब से मिलने और मिलाने का कार्यक्रम अपनी गति को पाता है।
जब साहब के इस खुन्नस के बारे में मालूम चला तो पता करने पर पता चला.. साहब को मिठाई खाने का बहुत शौक है। बिना मुंह मीठा किए हुए वह किसी का काम नहीं करते हैं। साहब ने मिठाई खाने का शौक अपने नौकरी के शुरुआती दिनों में ही पाल लिया था। किसी से भी मिठाई खाने के बारे में पहले कहने सुनने में झिझकते थे। पर मिठाई खाने की लत उनकी ऐसी है कि अब तो बिना भूमिका के भी कह लेते हैं। पहले टेबल के ऊपर से ही मिठाई खा लिया करते थे। तो एक बार किसी सरफिरे बागड़ बिल्ले ने मिठाई खिलाया तो खिलाया अपने स्मार्टफोन के कैमरे से बिना साहब के जानकारी के चुपचाप इस खाने और खिलाने के वाकये को अपने कैमरे में रिकॉर्ड भी कर लिया और ले जाकर सोशल प्लेटफॉर्म पर वायरल कर दिया। कुछ दिन खूब हो हल्ला मचा.. फिर धीरे-धीरे सब शांत हो गया पहले के जैसा हो गया।साहब मंझे हुए खिलाड़ी थे उन्होंने ऐसे बहुत आए गए आंधी तूफान देखे थे। इसलिए उन्हें निपटने का पूरा अनुभव था। हां यह बात है साहब को इस घटना से पार पाने में ऊपर से नीचे तक बहुत लोगों को मिठाई खिलाना पड़ा। इतना खिलाना पड़ा कि खुद उनका मुंह कड़वा कसैला हो गया और लगातार कुछ दिनों तक सिस्टम को लेकर कोसते रहे और लोगों की ईमानदारी को लानत भेजते रहे। लेकिन संतोष की बात यह थी कि साहब का काम हो गया मिठाई अपना रंग लाया और सब ने फिर से बहाल होने के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं भी दिए। लेकिन एक भोजपुरी कहावत है ‘हरकल माने ला पर परकल ना मानेला’ साहब जी मिठाई खाते हैं और अब भी खूब मजे ले ले कर खाते हैं। लेकिन सतर्कता के साथ सुरक्षा अपनी बनाए रखते हैं। और अब टेबल के ऊपर से नहीं टेबल के नीचे से खाते हैं। उसी वक्त से यह घटना हुई तब से उनके दफ्तर में स्मार्ट फोन निषेध की तख्ती टांग दिया गया। सावधानी ही सुरक्षा है।
तो जब साहब से मिलने जाना हो आपको तो मिठाई का इंतजाम करके जाइएगा.. वरना हो सकता है आप वेटिंग लिस्ट में रह जाएं।
मो-8736863697