बीपीएल कार्ड बनाने और काटने को लेकर विपक्ष के निशाने पर है सरकार
हरियाणा में पिछले चुनाव से ठीक पहले लाखों लोगों के बीपीएल कार्ड बनाने और अब चुनाव के बाद उसी स्पीड से लाखों लोगों के बीपीएल कार्ड काटने को लेकर विपक्षी दल सरकार की तीखी आलोचना कर रहे हैं। कांग्रेस, इनेलो से लेकर जेजेपी तक सभी दल इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगे हुए हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि पिछले चुनाव के समय जल्दीबाजी में वोटरों को प्रलोभन देने के लिए बीपीएल कार्ड बनाए गए, अब गलत ढंग से पात्र लोगों के बीपीएल कार्ड काटे जा रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव से पूर्व हरियाणा के बीपीएल कार्डों की संख्या 27 लाख से बढ़ाकर 51 लाख कर दी गई। अब उसी रफ्तार से बीपीएल कार्ड काटे जा रहे हैं और पिछले तीन महीने में 6,36,136 परिवारों के बीपीएल कार्ड काटकर करीब 25.44 लाख लोगों को गरीब की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि हरियाणा में चुनाव से पूर्व बीपीएल कार्डों की संख्या 27 लाख थी। उन्हें करीब 75 प्रतिशत बढ़ाकर लोकसभा चुनाव तक 45 लाख कर दिया गया और विधानसभा चुनाव तक यह संख्या 51.09 लाख कर दी गई।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच करीब 5-6 महीने में ही साढ़े 5 लाख से अधिक नए बीपीएल कार्ड बने। खासकर जुलाई और अक्तूबर के बीच ही 4.84 लाख नए बीपीएल राशन कार्ड बने। अब उसी रफ्तार से ये बीपीएल कार्ड काटे जा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच केवल 22 हजार वोटों के अंतर से सरकार बनाने का फैसला हुआ। विपक्षी दलों ने कहा कि अनेक जगहों से शिकायतें आ रही हैं कि उनकी फैमिली आईडी में गलत तरीके से चारपहिया वाहन रजिस्टर करके राशन कार्ड काट दिया गया। परिवार पहचान पत्र में फर्जीवाड़े की शिकायतें लगातार मिलती रही हैं। विपक्षी दलों ने कहा कि हाल में ही बीपीएल कार्ड धारकों को मिलने वाले 2 लीटर सरसों तेल की कीमत को 40 रुपए से 100 रुपए करना भी बीपीएल कार्ड धारकों पर दोहरी मार जैसा है।
राव इंद्रजीत की साफगोई
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह बिना किसी लाग लपेट के बोलते हैं। लगातार छठी बार सांसद बने हैं। उन्हें तीसरी बार केंद्र सरकार में मंत्री की जिम्मेदारी मिली हुई है। उनकी बेटी आरती राव पहली बार विधायक बनी हैं और नायब सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। आरती राव ने जब अहीरवाल क्षेत्र के विधायकों को अपने घर बुला कर खाना खिलाया तो बवाल हो गया। इसके अलग-अलग मायने निकाले जाने लगे। जितने मुंह उतनी बातें! किसी ने कहा कि राव इंद्रजीत सिंह मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक हैं। उन्होंने 12 विधायकों को इकट्ठे कर अपनी राजनीतिक ताकत का परिचय दे दिया है। यहां तक कहा गया कि अगर कांग्रेस का साथ मिल जाए तो वे 12 विधायकों को भाजपा से तोड़ लेंगे। ऐसे में बहुमत उनके पक्ष में हो जाएगा। राव साहेब हरियाणा में तख्ता पलट कर सकते हैं और भी न जाने क्या-क्या कहा गया। लेकिन खुद राव इंद्रजीत सिंह ने ऐसे सभी कयासों की यह कहते हुए हवा निकाल दी कि वे तो ऐसे ही चलते रहे हैं और आगे भी ऐसे ही चलते रहेंगे। मेरी बेटी ने विधायकों को खाने पर बुलाया था, लेकिन कुछ लोगों को यह सब हज़्म नहीं हुआ और उन्होंने अफवाहें उड़ानी शुरू कर दीं। जिसको जो बोलना है बोले, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
आरती राव की किस्मत
आरती राव किस्मत की धनी हैं। पहली बार भाजपा ने उन्हें अटेली क्षेत्र से टिकट दिया और वह जीत कर विधानसभा में पहुंच गईं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पहली बार विधायक बनी आरती राव को बतौर कैबिनेट मंत्री अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और स्वास्थ्य महकमे की जिम्मेदारी दे दी। उनकी कोशिश भी है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करें और अहीरवाल क्षेत्र के लिए ऐसा कुछ करें कि लोगों को उन्हें विजयी बनाने पर फख्र महसूस हो।
आरती राव चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। इससे पहले उनके पिता राव इंद्रजीत सिंह हरियाणा में कैबिनेट मंत्री होते थे। अब केंद्र में मंत्री हैं। उनके दादा राव वीरेंद्र सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं और केंद्र सरकार में भी कई बार मंत्री रहे थे। उनके पड़दादा राव तुलाराम को एक बड़ी शख्सियत के रूप में जाना जाता है। ऐसे में आरती राव को राजनीति विरासत में मिली है लेकिन आरती राव ने शायद ही कभी कल्पना की हो कि उनका विधायकों को खाना खिलाने का मामला इतना तूल पकड़ लेगा कि उनके पिता राव इंद्रजीत सिंह को खुद सफाई देनी पड़ेगी। हालांकि, इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की तरफ से अभी तक किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है। राव की सफाई के बाद अब प्रतिक्रिया की कोई जरूरत भी नहीं रह गई है। जिस ढंग से मामला एकदम से उछला था, उसी तरह शांत भी हो जाएगा।
अहीरवाल क्षेत्र के लोगों का मत
जो भी हो, अहीरवाल क्षेत्र के लोगों का मत है कि राव इंद्रजीत सिंह के साथ भाजपा ने न्याय नहीं किया है। भाजपा की लगातार तीन बार सरकार बनवाने का श्रेय अहीरवाल क्षेत्र को ही जाता है। भाजपा को हमेशा ही इस इलाके का अच्छा समर्थन मिला है। अहीरवाल क्षेत्र ने आज तक किसी आंदोलन के जरिए भाजपा सरकार के लिए कभी कोई परेशानी खड़ी करने की कोशिश नहीं की। लेकिन उन्हें मलाल है कि केंद्र में राव इंद्रजीत को उम्मीद के मुताबिक महकमे नहीं मिले। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी नहीं दिया गया। सब जानते हैं कि डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में राव इंद्रजीत सिंह रक्षा राज्य मंत्री होते थे। इसके बाद वह कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आ गए और दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा का पलड़ा भारी हो गया। भले ही मोदी मंत्रिमंडल में राव को लगातार जगह मिलती रही है, लेकिन राज्य मंत्री से बढ़ा कर उन्हें अभी तक कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया है। ऐसे में लोगों को लगता है कि राव वीरेंद्र सिंह की तरह राव इंद्रजीत सिंह को कभी हरियाणा की बागडोर मिलेगी या नहीं? क्या समर्थकों का उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर देखने का सपना पूरा हो पाएगा? क्या भाजपा आलाकमान उन्हें इतनी तरजीह देगा कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं तो केंद्र में कोई अहम जिम्मेदारी मिल जाए। यही वजह है कि जब उनकी बेटी आरती राव ने 12 विधायकों को खाने पर बुलाया तो चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
मंजू चौधरी की भूमिका
नांगल चौधरी क्षेत्र की विधायक मंजू चौधरी की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। ऐसा इसलिए कि जो 12 विधायक कैबिनेट मंत्री आरती राव के घर खाने पर गए थे, उनमें मंजू चौधरी को छोड़ कर सभी भाजपा से हैं। मंजू चौधरी तो कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के पूर्व मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव को शिकस्त दे कर विधानसभा में पहुंची हैं। मंजू चौधरी के पति मूला राम भी विधायक रह चुके हैं। उनके ससुर फूसा राम तो कई बार विधायक चुने गए थे। अपने इलाके में फूसा राम का परिवार गुर्जर समुदाय में अच्छी पैठ रखता है। ऐसा नहीं है कि फूसा राम के परिवार की किसी एक पार्टी में आस्था है। समय और परिस्थितियों के मुताबिक पार्टियां बदलती रही हैं। पार्टियां बदलने की परिक्रमा पूरी कर चुके फूसा राम की पुत्रवधू अब कांग्रेस से विधायक हैं।
कांग्रेस की विधायक, भाजपा मंत्री के बुलाने खाने पर चली जाए, इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है, लेकिन ऐसा करके उन्होंने अपने विरोधियों को तो आलोचना का मौका दे ही दिया है। यही वजह है कि लोग सवाल करने लगे हैं कि मंजू चौधरी अगला विधानसभा चुनाव किस पार्टी से लड़ेंगी? राजनीति में ऐसे सवालों का जवाब उसी समय मिल पाएगा, जब आम चुनाव के लिए रणभेरी बजेगी।
डॉ. अभय यादव का न्यौता
राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ कहना मुश्किल है लेकिन पूर्व मंत्री डॉ.अभय सिंह यादव ने तो अभी से मंजू चौधरी को भाजपा में शामिल होने का न्यौता दे दिया है। उन्होंने कहा है कि उनका भाजपा में स्वागत है। इस पर मंजू चौधरी ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि डॉ. अभय सिंह यादव अभी तक अपनी हार का गम नहीं भुला पा रहे हैं। डॉ. अभय सिंह यादव पहले कॉलेज में लैक्चरार होते थे। फिर हरियाणा सिविल सेवा में आ गए। समय के साथ पदोन्नति पा कर आईएएस हो गए। नौकरी से इस्तीफा दे कर राजनीति में आ गए। नारनौल क्षेत्र से इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट नहीं मिली। किस्मत ने जोर मारा तो नांगल चौधरी क्षेत्र से भाजपा का टिकट मिल गया और जीत भी गए। दूसरी बार उन्हें भारी मतों के अंतर से जीत मिली। तीसरी बार मैदान में उतरने से पहले यादव को मंत्री पद भी मिल गया। उन्हें अपनी जीत का पूरा भरोसा था, लेकिन अहीरवाल की जनता ने ज्यादातर सीटों पर भाजपा का तो साथ दिया, लेकिन नांगल चौधरी से उन्हें हरा दिया। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक समीकरणों में डॉ. अभय सिंह यादव फिट नहीं बैठते। उन्हें चुनाव में राव समर्थकों की मद्द भी नहीं मिली। यही वजह है कि जैसे ही मंजू चौधरी स्वास्थ्य मंत्री के खाने पर गईं, डॉ. अभय यादव ने फौरन तन्ज़ कसा कि भाजपा में आपका स्वागत है।
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