सहयोग की भावना

मानसून के खत्म होने की संभावना बन गई है। दरियाओं के पानी का उफान भी कम हो रहा है। पंजाब के अलग-अलग स्थानों पर लाखों एकड़ में पानी भरा हुआ है, अब इस पानी के अधिकतर स्थानों पर सूखने की संभावना बन गई है। जितना ज़मीन पर पानी सूख गया है। वहां बाढ़ से हुआ नुकसान साफ दिखाई दे रहा है। फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं और ज़मीन पर रेत और गार बिछ गई है। आगामी फसल के लिए इस ज़मीन को दोबारा तैयार करना बहुत मुश्किल लगता है। महीनेभर से भी ज्यादा समय तक इस बाढ़ ने बहुत सारे लोगों को घर से बेघर कर रखा था। उनमें से अधिकतर लोगों को अब भी अस्थायी स्थानों पर रहने के लिए मज़बूर होना पड़ रहा है। 
इस बड़े नुकसान की पूरी तरह भरपाई करनी तो बेहद मुश्किल है परन्तु इस संकट की घड़ी में जिस प्रकार पंजाब की ही नहीं बल्कि देश-विदेश की समाज सेवी संस्थाओं ने अलग-अलग तरह की खाने-पीने की वस्तुएं और अस्थायी स्थानों पर प्रभावित लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए जिस तरह लोगों में राहत सामग्री बांटी, वह सब कुछ ज़रूर हैरान कर देने वाला था। जिस लगन और समर्पण के साथ यह काम किया गया वह विश्वास भी पैदा करता है और उस पर गर्व भी किया जा सकता है। ऐसी भावना दु:ख और दर्द को घटाती है और विश्वास पैदा करती है। इन राहत कार्यों और मदद के युग में पंजाब सरकार के मंत्रियों सहित ऊपर से लेकर नीचे तक हर तरह के कार्यकर्ताओं ने अपना योगदान डाला है। देश तथा विदेश की समाज सेवी संस्थाओं ने भी पंजाब के प्रहरियों के साथ मिलकर इस यज्ञ के प्रभाव को बढ़ाया। कलाकार भी ज़मीन पर उतर कर अधिक से अधिक मदद तथा सहयोग के लिए सामने आए। अनेक स्तरों पर शुरू किए गए राहत फंडों में लोगों ने खुले मन से आर्थिक सहायता दी है। हरियाणा तथा दिल्ली सरकारों ने बड़ी आर्थिक सहायता ही नहीं भेजी, अपितु हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इस संबंधी भावुक अपील करते हुए यह भी कहा कि हरियाणा अपने पड़ोसी राज्य की मदद के लिए प्रत्येक तरीके से खड़ा है। केन्द्र सरकार की बहुत-सी टीमों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। केन्द्रीय मंत्री अब भी लगातार यहां दौरे कर रहे हैं। 
इसी क्रम में विपक्ष के नेता तथा कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा तथा प्रभावित लोगों को मिलना भी बड़ा अर्थपूर्ण कहा जा सकता है। पंजाब सरकार ने हुए इस नुकसान के बाद पुनर्निर्माण के लिए लगातार अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। इससे यह उम्मीद अवश्य बंधती है कि साझे यत्नों से जल्द से जल्द राज्य के प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण की योजनाएं शुरू हो जाएंगी। इसमें पंजाब सरकार के साथ-साथ केन्द्र सरकार को भी अधिक से अधिक आर्थिक सहायता करने की आवश्यकता होगी, ताकि प्रभावित हुए जनजीवन को पुन: पटरी पर लाया जा सके।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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