पंडित दीनदयाल उपाध्याय की ‘अंत्योदय’ भावना को चिरतार्थ किया नरेंद्र मोदी ने

भारतीय राजनीतिक इतिहास में अनेकानेक नेता हुए हैं, जिन्होंने राष्ट्र को अलग-अलग दौर में नई दिशा देने का कार्य किया, लेकिन उनमें से विरले ही ऐसे हुए हैं, जिन्होंने राजनीति को विशेषाधिकार न मानकर सेवा, समर्पण व संकल्प का माध्यम माना। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऐसे ही एक महामानव थे, जिन्होंने राजनीति को समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के उत्थान से जोड़ा। उन्होंने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि यदि राष्ट्र निर्माण की कसौटी तय करनी हो, तो वह यही होनी चाहिए कि विकास की राह समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। ‘अंत्योदय’ उनके लिए केवल एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि जीवन का मंत्र था। उनका कथन था, ‘हमारी राजनीति का लक्ष्य सत्ता प्राप्ति नहीं, बल्कि सेवा के माध्यम से समाज का उत्थान होना चाहिए।’
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती मनाई गई, तो यह स्मरण करना आवश्यक है कि उनका दर्शन तत्कालीन समय की धारा को प्रभावित करता हुआ आज भी प्रासंगिक बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अंत्योदय भावना को न केवल आत्मसात किया, बल्कि उसे अपनी कार्यशैली और शासन तंत्र का मूल आधार बना लिया। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने अंत्योदय को केवल विचार या दर्शन से आगे बढ़ा कर विकास का व्यवहारिक स्वरूप दिया है। साढ़े बारह साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहते व विगत करीब साढ़े ग्यारह साल से प्रधानमंत्री के पद पर मोदी जी ने सरकार की नीतियों व योजनाओं के केंद्र में गरीब, वंचित, किसान, महिला और समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को विकास के केंद्र में रखा। 
26 मई 2014 को प्रधान सेवक के रूप में नरेंद्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली, तब भारत अनेक चुनौतियों से जूझ रहा था। सामाजिक-आर्थिक असमानता, व्यापक गरीबी और हाशिये पर पड़े वर्गों की उपेक्षा जैसी समस्याएं गहरी थीं। ऐसे में उन्होंने 15 अगस्त, 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किला की प्राचीर से बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले ही भाषण में उन गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने का साहसिक कदम उठाया, जो बैंकों के दरवाज़े तक जाने में झिझकते थे। ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ के तहत खुले 56 करोड़ बैंक खातों के ज़रिये गरीबों को वित्तीय समावेशन का अवसर मिला। यह केवल बैंक खाता खोलने की योजना भर नहीं बल्कि यह गरीब को आर्थिक आत्मनिर्भरता की पहली सीढ़ी प्रदान करने वाला युगांतरकारी कदम था। इस योजना से गरीब की बिचौलियों के चंगुल से मेहनत की कमाई सुरक्षित हुई, लाभकारी योजनाओं की धनराशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा हुई जिससे वे देश की अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जुड़ सके। अंत्योदय की भावना को घर के चूल्हे चौके तक ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ के जरिए पहुंचाया। जिन माताओं, बहनों ने पीढ़ियों तक धुएं से भरे चूल्हों पर खाना पकाया, उन्हें एलपीजी गैस कनेक्शन देकर न केवल स्वास्थ्य की सुरक्षा दी गई, बल्कि उनका सम्मान भी लौटा। 
पंडित दीन दयाल का अंत्योदय दर्शन बड़े पैमाने पर उस समय सामने आया जब दुनिया कोरोना महामारी, वैक्सीन, खाद्य संकट व नौकरियां जाने से जूझ रही थी। तब देश में मार्च 2020 से 80 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने की पहल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत की गई। स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा कवच प्रदान किया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि ने 11 करोड़ छोटे गरीब किसानों के खातों में प्रतिवर्ष छह हजार रुपये सीधे पहुंचा कर उनके जीवन को आर्थिक संबल दिया। प्रधानमंत्री आवास योजना ने करोड़ों गरीबों को छत दी, जल जीवन मिशन ने हर घर नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा, डिजिटल इंडिया ने गांव-गांव को तकनीक की शक्ति से जोड़ा। इन सबका सार वही था, जिसे दीनदयाल जी ने कहा था, ‘सच्चा विकास वही है, जिसमें अंतिम व्यक्ति तक सुविधा, अवसर और सम्मान पहुंचे।’
अपने तीसरे कार्यकाल में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी अंत्योदय भावना को आगे बढ़ा रहे हैं। ड्रोन दीदी योजना इसका नया उदाहरण है। यह योजना गांव की साधारण महिलाओं को ड्रोन तकनीक के माध्यम से कृषि कार्यों में दक्ष बनाकर न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि उद्यमिता का नया आयाम भी दे रही है। इन महिलाओं को समाज अब ‘लखपति दीदी’  के रूप में पहचान रहा है। यह अंत्योदय से सशक्तिकरण की यात्रा का जीवंत उदाहरण है। 
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती हमें स्मरण कराती है कि मन, वचन एवं कर्म में समरसता और सत्यनिष्ठा से राष्ट्र निर्माण की गति अजेय हो जाती है। जब राजनीति सेवा एवं समर्पण का पर्याय हो तो प्रगति केवल नीतियों का दस्तावेज नहीं, बल्कि करोड़ों गरीबों के जीवन में प्रकाश बन कर उतरती है। 

-केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री

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