महिलाएं भी जानें हृदय रोग के बारे में

 

आधुनिक जीवन शैली, भागदौड़ की ज़िन्दगी, तनावपूर्ण वातावरण ये सब इन्सान को कई बीमारियों की ओर धकेल रहा है जैसे हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्राल की अधिकता, मधुमेह, मोटापा और हार्ट अटैक आदि। सब कुछ जानते हुए भी हम अंजान बन उस चूहे बिल्ली की दौड़ को नहीं छोड़ना चाहते चाहे परिणाम जो भी हो। अपने लिए दो पल नहीं सकून से जीने के लिए। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों को हार्ट अटैक होने के बाद बचने के अवसर कम होते हैं। शायद इसका एक कारण यह है कि महिलाओं के दिल और रक्त वाहिनियों का आकार छोटा होता है जो आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाता है। पहले दिल के दौरे के बाद दूसरा दौरा सहन करना महिलाओं के लिए मुश्किल होता है।
महिलाओं में हृदय रोग होने के कई कारण होते हैं उनमें से मुख्य कारण हैं:-
उच्च रक्तचाप
लगातार उच्च रक्तचाप रहने से हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाता है। उन महिलाओं को उक्त रक्तचाप होने का खतरा अधिक होता है जिन महिलाओं का वजन अधिक हो।
रक्त में कोलेस्ट्राल की अधिक मात्रा
रक्त में अधिक मात्रा में कोलेस्ट्राल होने से रक्त धमनियां संकरी पड़ जाती हैं जिनसे रक्त आपूर्ति में बाधा पड़ती है। अध्यनकर्ताओं के अनुसार 55 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं में कोलेस्ट्रल बढ़ने की मात्रा पुरुषों से अधिक होती है। अधिक कोलेस्ट्राल होने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
शारीरिक श्रम की कमी
अपने दिल को दुरुस्त रखने के लिए ज़रूरी है शारीरिक रूप से सक्रिय रहना। जो महिलाएं आराम की ज़िन्दगी बसर करती हैं उनमें हृदय रोग उन स्त्रियों की तुलना में अधिक होने की सम्भावना रहती है जो महिलाएं असक्रिय होती हैं उनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और हृदय रोग का खतरा अधिक रहता है।
तनाव
जब से महिलाओं ने घर के साथ-साथ बाहर के कार्यक्षेत्रों को सम्भालना प्रारम्भ किया है तब से महिलाओं पर तनाव और दबाव बढ़ा है। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार कामकाजी महिलाएं तनाव और दबाव अधिक झेलती हैं घरेलू महिलाओं के मुकाबले में। उन्हें हार्ट अटैक के खतरे की सम्भावना अधिक होती है क्योंकि उन्हें उसी समय में दो मोर्चे एक साथ सम्भालने होते हैं और वे दोनों मोर्चों में परफेक्ट रहना चाहती है।
डायबिटीज
मधुमेह ग्रस्त लोगों में हृदय रोगों की सम्भावना चार गुना अधिक होती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं मधुमेह का शिकार भी अधिक होती हैं। डायबिटीज में हार्ट अटैक का अंदेशा ही नहीं होता। उन्हें साइलेंट हार्ट अटैक होता है और बचने की सम्भावना भी कम होती है। हृदय के चार वाल्व होते हैं। जब उनमें विकार होता है तो उसे वाल्वुलर हार्ट रोग कहते हैं। इसमें वाल्व संकुचित हो जाते हैं या इनमें रिसाव भी हो सकता है। ऐसे केस में रोगी का वाल्व या तो बदल देते हैं या वाल्व मुरम्मत की जाती है।
हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों और महिलाओं में कुछ भिन्न होते हैं पर अधिकतर लक्षण सामान्य होते हैं जैसे :-
स्नसीने में तेज दर्द या दबाव का होना।
स्नसांस फूलना।
स्नपसीना आना।
स्नसीने में जकड़न।
स्नकंधे, गर्दन या बांहों तक दर्द फैल जाता है।
स्नसीने में जलन या अपच की शिकायत, उल्टी आने की शिकायत हो सकती है।
-अचानक उनींदापन या कुछ समय को बेहोशी आना।
स्नबिना कारण कमजोरी व थकान होना।
ध्यान रखें
स्नधूम्रपान न करें।
स्न नियमित व्यायाम करें।
स्नमोटापे से बचें।
स्नपोषक और सेहतमंद आहार लें।
स्नतनाव से दूरी बनाकर रखें। (स्वास्थ्य दर्पण)
-नीतू गुप्ता