पंजाब में बढ़ रही आपराधिक घटनाएं और पुलिस थानों में हो चुका है राजनीतिकरण


पट्टी, 17 फरवरी (अवतार सिंह खैहरा) : पंजाब पुलिस, जिसकी संख्या भारत के सभी राज्यों से ज्यादा है, का रौब भी सबसे अलग है, परन्तु अफसोस संख्या ज्यादा व रौब अलग होने के बावजूद भी पंजाब में सबसे ज्यादा गैंगस्टर, गुंडागर्दी, नशों की तस्करी, रेता की अवैध माईनिंग, लूट-पाट, डकैतियां और कत्लेआम जैसी आपराधिक घटनाएं होती हैं, परन्तु इसके बावजूद जब राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए यदि भारत में किसी पुलिस प्रशासन का नाम आता है, तो वह पंजाब पुलिस के जवानों का जोकि सबको हैरान कर देने वाली रौचक कहानी जैसी बात हो जाती है, परन्तु यदि इसकी सच्चाई बयान की जाए तो वह भी हैरान करने वाली है, जिसको समझना आम व्यक्ति की समझ से बाहर है। 
वर्णनीय है कि पंजाब में भारत के शेष राज्यों में पंजाब पुलिस की ज्यादा संख्या, जिसकी संख्या 70000 के करीब है व रौब भी अलग, जिसको देखकर पंजाब के बाहरी राज्यों के नागरिक जब पंजाब आते हैं तो वह खाकी का रौब देख कर ही कोई गैर-कानूनी कार्य करने से डर जाते हैं, परन्तु अफसोस संख्या और रौब अलग होने के बावजूद आपराधिक घटनाओं का होना यदि बयान किया जाए तो सच्चाई यह है कि पंजाब पुलिस में डी.जी.पी., ए.डी.जी.पी., आई.जी., एस.एस.पी., एस.पी., डी.एस.पी. और इंस्पैक्टर के स्तर की संख्या 5 प्रतिशत हो चुकी है। 20 प्रतिशत पुलिस कर्मचारी व अधिकारी, जिनको बाहरी पुरस्कार मिलते हैं, वह लम्बे समय से राजनीतिक छत्रछाया में पुलिस विभाग के कार्यालयों में ही तैनात हैं व वहीं उनकी सेवा-मुक्ती हो जाती है। 15 प्रतिशत पुलिस कर्मचारी एस.पी., विधायक, चेयरमैनों, डायरैक्टरों, सिविल प्रशासन के गनमैन के तौर पर तैनात हैं। 
5 प्रतिशत कर्मचारी कोर्ट कचहरियों में तैनात हैं, 2 प्रतिशत जेलों में हवालातियों को भुगताने में तैनात हैं, 20 प्रतिशत पुलिस कर्मचारी एस.टी.एफ., ट्रैफिक, सांझ केन्द्र, सी.आई.डी. वुमैन सैल, एन.आर.आई आदि बनाए गए विंगों में तैनात हैं और शेष बची 33 प्रतिशत संख्या पुलिस थानों में तैनात है, जिस पर पूरे पंजाब की सुरक्षा का बोझ है व पुलिस थाने होमगार्ड के जवानों के सहारे ही चल रहे हैं व जो थानों में पुलिस कर्मचारी तैनात हैं, उनमें 5 प्रतिशत को सरकारी डाक का कार्य दिया गया है व 2 प्रतिशत अस्वस्थ (शारीरिक तौर पर तंदरुस्त नहीं) हो चुके हैं व 2 प्रतिशत नशों की लपेट में आ चुके हैं, परन्तु जो पंजाब में आपराधिक घटनाएं बढ़ चुकी हैं व यहां के नागरिक अपने आप को असुरक्षित समझने लग पड़े हैं, की सुरक्षा यदि सरकार ने यकीनी बनानी है तो पुलिस प्रशासन के कार्यालयों में लम्बे समय से तैनात पुलिस कर्मचारियों की तैनाती थानों में की जाए। पुलिस कर्मचारियों की विभिन्न विंगों में तैनाती समाप्त करके उनको थानों में तबदील किया जाए व चल रहे विंगों की नई भर्ती की जाए। राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा में कटौती और बेतुकी शौहरत के लिए रखे गनमैन वापिस थानों में भेजे जाएं और जो राजनीतिकरण पुलिस का हो चुका है, उसको समाप्त किया जाए ताकि पुलिस प्रशासन आजाद होकर आपराधिक घटनाओं को रोकने में कामयाब हो सकें व पंजाब के निवासी खौफ 
के डर से मुक्त होकर अपनी ज़िंदगी व्यतीत कर सकें।