पंजाब में बढ़ता नशे का कारोबार

पंजाब के राज्यपाल द्वारा प्रदेश में विगत तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान नशे के प्रसार और नशीले पदार्थों की तस्करी और इसके कारोबार में भारी वृद्धि होने संबंधी ब्यान ने प्रदेश की आम आदमी पार्टी द्वारा नशे को खत्म करने के चुनाव-पूर्व के  तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी है। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के इस कथन का यह पक्ष अधिक चिन्ताजनक है कि पहले नशे के प्रसार का अधिक वावेला शहरी सीमाओं के भीतर तक ही सुनाई और दिखाई देता था, किन्तु आज इसकी पहुंच प्रदेश के गांव-गांव तक हो गई प्रतीत होती है। इसी के अनुरूप प्रदेश में नशे का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में भी वृद्धि हो गई है। नि:संदेह राज्यपाल महोदय के इस कथन की पृष्ठभूमि वाली पीड़ा को समझे जाने की बड़ी आवश्यकता है। प्रदेश में नशे का यह कारोबार कोई नई लहर नहीं है। पंजाब में नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप पहले भी लगते रहे हैं, किन्तु प्रदेश में आम आदमी पार्टी की भगवंत मान की सरकार के गठन के बाद से इसमें निरन्तर वृद्धि होते चली गई है। सीमा पार से होने वाली तस्करी बढ़ी है, तो प्रदेश भर के शहरों और गांवों में इसकी सप्लाई और आपूर्ति हेतु व्यापक जाल बुना गया दिखाई देता है। शहरों में नशे का सेवन करने वालों की तादाद बढ़ी है, तो गांवों में भी गली-गली नशा बिकने लगा है। इसका पता इस तथ्य से भी चल जाता है कि नशे के कारोबार में संलिप्त पकड़े जाने वाले लोगों में से बड़ी संख्या ग्रामीण धरातल से जुड़े लोगों की होती है।
राज्यपाल ने अपने भाषण में जहां समाज के प्रबुद्ध वर्गों और जन-साधारण से इस हेतु सहयोग की मांग की है, वहीं उन्होंने प्रदेश की सरकार से भी आह्वान किया है कि वह अपनी ज़िम्मेवारी को समझे। हम समझते हैं कि सरकार की ज़िम्मेदारी इसलिए भी बढ़ जाती है, कि इसके नेताओं ने इस एक मुद्दे पर बढ़-चढ़ कर दावे करके ही अपने लिए सत्ता का राजनीतिक फतवा लिया था। ‘आप’ नेताओं के इन दावों से भ्रमित होकर लोगों ने इस पार्टी को दो-तिहाई से भी अधिक बहुमत देकर सत्तारूढ़ किया था। सरकार बना लेने के बाद भी, स्वयं मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य मंत्रियों, विधायकों, नेताओं ने दावा किया था कि अगले छह मास के भीतर प्रदेश को नशे की लाअनत से मुक्त कर दिया जाएगा, किन्तु सरकार द्वारा दर्ज किये गये नशे के मामलों संबंधी उसके अपने आंकड़े ही उसे चुनौती देने लगे हैं। राज्यपाल के समक्ष प्रदेश के बुद्धिजीवियों, शिक्षा-विदों एवं अन्य प्रबुद्ध जनों द्वारा व्यक्त की गई चिन्ता स्थितियों की गम्भीरता को दर्शाने के लिए काफी है। राज्यपाल का यह कथन भी बहुत कुछ सोचने हेतु विवश करता है कि नशे के इस कारोबार में प्रदेश के कुछ सफेद-पोश लोग भी संलिप्त बताये जाते हैं। नि:संदेह इस तथ्य में कोई दो राय नहीं  कि पंजाब में नशीले पदार्थों के इस घृणित कारोबार को सत्तारूढ़ एवं राजनीतिक शक्तिशाली नेताओं का वरद् हस्त संरक्षण प्राप्त रहा है। नशीले पदार्थों की तस्करी में पुलिस प्रशासन से जुड़े कुछ लोगों की संलिप्तता इन आरोपों को पुष्ट करने के लिए काफी है। राज्यपाल की इन बातों का महत्त्व तब और बढ़ जाता है जब यह पता चलता है कि उन्होंने प्रदेश के सीमावर्ती ज़िलों के दौरे के बाद भी ऐसे दावे सार्वजनिक रूप से किये थे।
हम समझते हैं कि प्रदेश में नशे की ओवर-डोज़ से मरने वाले लोगों के आंकड़े भी प्रदेश का हित-चिन्तन करने वाले लोगों को डराने के लिए काफी हैं। सरकार की अपनी पुलिस द्वारा नशे के कारोबार में लिप्त तत्वों की गिरफ्तारी के आंकड़े भी वास्तविक तस्वीर को सामने लाने हेतु काफी हैं। नशे के प्रसार के कारण प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में वृद्धि होते जाने का सत्य भी किसी ़खतरनाक, गम्भीर चुनौती से कम नहीं। प्रदेश में विगत वर्षों में हिंसा, हत्याओं, लड़ाई-झगड़े और छीना-झपटी की घटनाओं में पकड़े गये लोगों में से अधिकतर नशे के सेवन के आदी हो पाये  गये हैं। नशे के कारोबार में महिलाओं की कथित संलिप्तता भी पंजाब की बेहतरी की तस्वीर पर स्याह रंग पोतने के लिए काफी है। हम समझते हैं कि नि:संदेह पंजाब में नशे के कारोबार का आकाश विस्तृत हुआ है। प्रदेश में आपराधिक घटनाओं एवं हिंसा-हत्याओं की घटनाओं में वृद्धि का कारण भी कमो-बेश नशे का कारोबार ही है। इसने प्रदेश की बेहतरी को तो ग्रहण लगाया ही है, पंजाब की युवा-शक्ति को भी अपने नागपाश में जकड़ रखा है। नशे के कारण ही, शहरों में कारोबार और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य प्रभावित हुआ है। हम समझते हैं कि ऐसी स्थितियों में नि:संदेह प्रदेश की सरकार को अपनी राजनीतिक मसलहतों और स्वार्थों से ऊपर उठकर अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास करते हुए प्रदेश को नशे से मुक्त करने हेतु ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ आगे आना चाहिए।