पंजाब में बढ़ती आपराधिक घटनाएं

पंजाब के तरनतारन में गुण्डा तत्वों द्वारा एक घर में घुस कर, सरेआम तीन बहनों के एकमात्र भाई की गोलियां मार कर की गई नृशंस हत्या की घटना ने प्रदेश के जन-साधारण को न केवल चौंकाया है, अपितु भयभीत भी किया है। हत्या तक पहुंचा यह विवाद हत्यारों को मृतक द्वारा अपनी बहनों से छेड़छाड़ किये जाने को लेकर उपजा था। इस घटना से न केवल गुण्डों के बढ़ते दु:साहस का पता चलता है, अपितु पुलिस तंत्र की परवशता भी उजागर होती है। इसी प्रकार अबोहर की अपहरण एवं लूट की घटना भी बदमाशों के इसी दु:साहसिक चरित्र को दर्शाती है जिसमेें एक स्वर्ण व्यापारी का अपहरण कर उससे 73 लाख को सोना लूट लिया गया। इस घटना के दोषी बेशक पकड़े गये हैं किन्तु बड़ी चिन्ता की बात यह भी है, कि यह घटना क्षेत्र के पुलिस थाना से लगभग एक सौ मीटर की दूरी पर घटित हुई। इससे भी यह संकेत मिलता है कि न केवल अपराधियों के मन से पुलिस और सरकार का डर उठ गया है, अपितु वे नि:शंक होकर उलटा सरकार, प्रशासन और समाज को चुनौती भी देने लगे हैं। बहुत स्वाभाविक है कि इससे समाज और प्रदेश में अराजकता की स्थिति पैदा होने का खतरा बढ़ेगा। प्रदेश के विगत डेढ़-दो वर्ष के रिकार्ड को देखें तो स्वत: पता चल जाएगा कि आपराधिक घटनाओं में एकाएक फिर भारी वृद्धि होते दिखाई दी है। हिंसा और हत्या की घटनाएं जैसे आम हो गई हैं। लूट-पाट और छीना-झपटी की वारदात भी खुलेआम होने लगी हैं। महिलाओं के विरुद्ध अपराध और हिंसा का ग्राफ भी अबाध रूप से बढ़ा है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि लूट-पाट की घटनाएं पहले इक्का-दुक्का तौर पर और पुलिस प्रशासन एवं भीड़-भाड़ वाले इलाकों से बच कर हुआ करती थीं, किन्तु आज आलम यह है कि झपटमार न केवल सरेआम लूटपाट करते हैं, अपितु ज़बरदस्ती मारपीट भी करते हैं। यहां तक कि लूट-पाट का विरोध करने वालों पर हथियारों से हमला करके उन्हें गम्भीर रूप से घायल भी कर देते हैं। लुटेरों की निर्ममता का आलम यह है कि विरोध करने वाली लड़कियों पर भी घातक हथियारों से हमलावर होने लगे हैं। गैंगस्टर और माफिया का नाम कभी-कभार समाचार-पत्रों में आ जाने पर लोग-बाग आश्चर्य चकित होकर प्रश्न-सूचक दृष्टि से एक-दूसरे की ओर देखने लगते थे, किन्तु आजकल ये दोनों शब्द जैसे पंजाब के गली-बाज़ारों में आम सुनाई देने लगे हैं। ये गैंगस्टर और माफिया वाले पुलिस तंत्र के मुकाबले में कितना ताकतवर हो गये हैं, इसका पता इस तथ्य से भी चल जाता है कि ये लोग जेलों में बंद होने के बावजूद, बाहरी समाज में न केवल जब्री वसूलियां करते हैं, अपितु मन-माफिक रंगदारी न मिलने पर हत्याएं तक कराने में भी संकोच नहीं करते। पुलिस प्रशासन अथवा जेल प्रशासन के लोग बेशक लाख इन्कार करते रहें, किन्तु जेलों के भीतर की दीवारों में एकाधिक छिद्र हैं जिनके ज़रिये आपराधिक आदेश/निर्देश छन कर अन्दर-बाहर आते-जाते हैं।
पंजाब में आपराधिक धरातल पर लगे आईने के पार देखें तो यह भी पता चलता है कि इस सम्पूर्ण तंत्र को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। विगत दिवस अमृतसर और तरनतारन से सम्बद्ध आम आदमी पार्टी के एक नेता की सरेआम दिन-दिहाड़े हुई हत्या और मृतक एवं हत्यारों के बीच गैंगस्टर-सम्पर्क होने का रहस्योद्घाटन इस सांठ-गांठ को जाहिर कर देने के लिए काफी है। मोहाली के निकट गोलियां मार कर की गई हत्या भी इसी गैंगस्टरवाद का ही हिस्सा प्रतीत हुई है। इसी तरह नरोट मेहरा में एक आप्रवासी की गोलियां मार कर की गई हत्या भी ऐसी ही किसी गिरोहबाज़ी से जुड़ी घटना प्रतीत होती है। कपूरथला में विगत दिवस अस्पताल के भीतर घुस कर की गई हत्या भी आपराधिक जगत के लोगों के बढ़ते हुए दु:साहस को ही ब्यां करती है। उपलब्ध सूचना के अनुसार मरने वाला युवक हत्या करने वाले गुट से पहले हुई लड़ाई में घायल होने के पश्चात उपचार हेतु अस्पताल आया था कि दूसरे पक्ष ने घेर कर पुन: हमला कर दिया। यह घटना भी आपराधिक जगत से जुड़े लोगों में पुलिस, प्रशासन और सरकार के प्रति उपजे दुराग्रह को ही दर्शाती है।
हम समझते हैं कि नि:संदेह पंजाब को अपराध के रसातल तक धंसने की स्थिति से बचाने हेतु पुलिस की सख्ती, प्रशासनिक दक्षता और राजनीतिक इच्छा-शक्ति, सभी के संयुक्त प्रयासों की बड़ी आवश्यकता है। अनुमान लगाइये कि, माफिया और गैंगस्टर लोग अब सीधे-सीधे प्रशासन और पुलिस से भी टकराने लगे हैं। जालन्धर में पिछले दिनों एक मुठभेड़ में घायल हुए दो गैंगस्टर भी इसी दु:साहस के तहत पुलिस से जा भिड़े थे। हम समझते हैं कि किसी भी सभ्य देश और समाज के लिए यह स्थिति ठीक नहीं है। इससे समाज में अराजकता जैसे हालात पनपने का खतरा पैदा होता है। हम समझते हैं कि जैसे भी हो, इस स्थिति को और विकृत होने से रोक कर, समाज को चैन से जीवन व्यतीत करने वाले हालात उपलब्ध कराना ही किसी लोकतांत्रिक शासन का प्रथम दायित्व होता है।