मोबाइल, कम्प्यूटर व इंटरनेट यही हैं आज की जिंदगी के पंख 

अभी ज्यादा पुरानी बात नहीं है। दो दशक से भी कम यानी पिछली सदी के आखिरी दशक के अंतिम सालों और इस सदी के शुरुआती सालों में गिने-चुने लोगों के पास ही मोबाइल होता था। तब इनकमिंग कॉल्स भी पेड होती थी। इसलिए तब किसी को भी लोग अपना मोबाइल नंबर बताने से हिचकिचाते थे। मगर अब मोबाइल समाज के हर तबके के लिए सर्वसुलभ है। घर में काम करने वाली बाइयों, पैर रिक्शा चलाने वाले और गलियों का कूड़ा उठाने वालों के पास भी आज की तारीख में मोबाइल है। इसी के चलते ग्लोबलाइजेशन, विज्ञान व तकनीक से आज आम से आम आदमी का नाता जुड़ा है। सूचना क्रांति ने भारतीय समाज को बहुत विस्तृत ढंग से प्रभावित किया है। पिछले कुछ वर्षो या एक-डेढ़ दशक में ही भारतीय समाज और जीवनशैली में इतना जबर्दस्त बदलाव आ गया है कि उसका स्पष्ट प्रभाव आज जीवन के हर क्षेत्र में नजर आता है। चाहे वह रहन-सहन और खानपान की शैली हो या फिर लोगों के कामकाज और सोचने का तरीका हो। 
इस सामाजिक बदलाव की इस दौड़ में हर वर्ग पूरे जोश-खरोश के साथ शामिल है क्योंकि सभी को यह मालूम है कि आज जो इंसान वक्त के साथ कदम मिलाकर नहीं चलेगा वह पिछड़ जाएगा। यही वजह है कि हर कोई  अपने ढंग से विरोध के बावजूद मोबाइल यानी क्लिक एंड व्हाट्स अप की कल्चर में पूरी तरह से रंगा है। क्योंकि हर कोई जानता है कि इससे कम खर्च और कम समय में आप दूसरों तक अपना संदेश पहुंचा सकते है। इसके जरिये एक-दूसरे को बधाई संदेश और जरूरी सूचनाओं के साथ ही जोक्स खूब भेजे जाते हैं। अब युवाओं के बीच ही नहीं अधेड़ों और उम्रदराज घरेलू महिलाओं के बीच भी मोबाइल के जरिये चैटिंग काफी लोकप्रिय हो रही है। फोटो खींचने, रिकॉर्डिग करने और गाने सुनने के लिए तो मोबाइल का इस्तेमाल होता ही है। अब चूंकि थ्री जी और फोर जी की डाटा सर्विस उपलब्ध है तो रोज़मर्रा के तमाम काम भी आसानी हो रहे हैं मसलन बिजली का बिल जमा करना, कोई डॉक्यूमेंट कहीं भेजना या मंगाना आदि।
इसने हमारे भावनात्मकबोध और रिश्तों में भी खूब असर डाला है मसलन दो दशक पहले किसी को ‘आई लव यू’ बोलना होता था तो हम अनगिनत बार सोचकर भी हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। लेकिन मोबाइल के कारण आज के युवाओं के लिए यह बहुत आसान हो गया है। क्योंकि आपको इसके जरिये पूरी निजता और एकांत हासिल हो रहा है। सिर्फ  फोन ने ही नहीं, कम्प्यूटर ने भी हमारे जीवन को आमूलचूल ढंग से बदला है। याद करिए उन दिनों को जब ऑफिस में सिर्फ एक अदद कम्प्यूटर होता था। उसी पर बारी-बारी से सभी अपना हाथ आजमाते थे। दरअसल उन दिनों कम्प्यूटर काटने को भी दौड़ा करता था, क्योंकि तब हमेशा लोगों के मन में यही डर बना रहता था कि सिस्टम छूते ही कहीं कोई गड़बड़ी न हो जाए। आज उस जमाने के तमाम ब्लैक एंड व्हाइट स्क्रीन वाले कंप्यूटर्स म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं। लेकिन हमारे जीवन में आज जो पंख लगे हैं उन पंखों को उन्हीं ने उगाया था और शुरुआती उड़ान भी हमने उन्हीं से सौगात हासिल की थी। 
नेचुरल कलर और एलईडी मॉनिटर और आधुनिकतम सॉफ्टवेयर्स से लैस कम्प्यूटर अब हमारी जरूरत बन चुके है। आज हर काम कम्प्यूटर में हो रहा है। आज लंबी रेल यात्राओं में जाइए तो 90 प्रतिशत लोग अपने लैपटॉप या पॉम टॉप में काम करते मिलेंगे। कम्प्यूटर ने जीवन को बहुत उत्पादक और आसान बना दिया है। आज कम्प्यूटर समाज के हर वर्ग की जरूरत बन चुका है। गुजरात और मध्य प्रदेश, झारखण्ड, छतीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ गांवों में स्वयंसेवी संस्थाओं में काम करने वाली अल्पशिक्षित स्त्रियां भी अपने कामकाज के लिए कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने लगी है। यह बदलाव निश्चय ही सुखद है। सही मायनों में कम्प्यूटर के बहुतायत चलन के कारण ही  आज इंटरनेट व्यवहारिक बन सका है और इसके माध्यम से आने वाली सूचना क्रांति जीवन में जबरदस्त बदलाव कर रही है।
इंटरनेट ने बिजली के बिल का भुगतान, रेलवे के रिजर्वेशन और एल.आई.सी. का प्रीमियम जमा करना बाएं हाथ का खेल ही नहीं बना दिया है, बल्कि मनोरंजन में तबदील कर दिया है। पहले ये बहुत उबाऊ काम थे क्योंकि इनके लिए घंटों लाइन में लगने की जरूरत होती थी। बहुत जगहों पर आज भी उसी पुरानी पद्धति के साथ काम करना पड़ता है और वहां ये बड़े भारी तथा थकाऊ काम हैं। आज इंटरनेट ने बैंकिंग को मोबाइल के की बोर्ड में महज कुछ खिटफिट ध्वनियों तक सीमित कर दिया है। स्कूल कॉलेज में एडमिशन के लिए भी अब आसानी से ऑनलाइन आवेदन-पत्र दाखिल किए जा सकते हैं। इस तरह देखा जाए तो जो आधुनिक तकनीक की बुराई करता है वह इनकी अच्छाई नहीं देख पाता। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर