वैट रिफंड का 700 करोड़ नहीं मिल रहा उद्योगपतियों को

जालन्धर, 24 मार्च (शिव शर्मा) : 12 वर्ष बाद केन्द्र सरकार ने वैट खत्म करके नया जीएसटी टैक्स कानून देश में लागू कर दिया था। परंतु वैट की तरह जीएसटी में भी उद्योगपतियों, कारोबारियों के लिए उनसे वसूल किया गया अधिक रिफंड वापिस करने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया। जिस कारण अधिकतर उद्योगपतियों की अपनी ही पूंजी वैट रिफंड के रूप में न सिर्फ पंजाब में बल्कि केन्द्र द्वारा भी रिफंड के रूप में फंस गई है। उद्योगपति बजट में इसका ज़िक्र न आने से भी परेशान रहे। वर्ष 2005 में पुराना बिक्री कर कानून खत्म करके नया वैल्यू एडिड टैक्स (वैट) यह कहकर लागू किया गया था कि इस कानून के लागू होने के बाद टैक्स भरना न सिर्फ आसान हो जाएगा बल्कि लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। परंतु वैट कानून चाहे लागू कर दिया गया था परंतु इस कानून में जिन उद्योगपतियों, कारोबारियों ने अधिक टैक्स सरकार की तरफ जमा करवाया था, उसे लेने की परेशानी अभी तक बनी हुई है। प्रदेश की तरह देशभर में चाहे वैट कानून माफ हो गया है परंतु वैट टैक्स से अभी भी उद्योगपतियों ने पंजाब में ही 700 करोड़ की राशि वसूल करनी है। इस बारे तो सभी उद्योगपतियों को जानकारी है कि मौजूदा वित्तीय संकट के कारण जीएसटी विभाग तो उद्योगपतियों के रिफंड के वाऊचर तो बना देता है कि वह खजाने से अपना रिफंड ले लें जबकि सभी को इस बारे जानकारी है कि अगर पंजाब सरकार के मुलाजिमों को वेतन नहीं मिल रहा तो उनकी रिफंड की राशि तो मिलनी काफी दूर है। उद्योगपति अपना यही प्रश्न उठा रहे हैं कि उद्योगपति जब सरकार के पास टैक्स जमा करवाते हैं तो अधिक टैक्स सरकार को देते हैं तो सरकार तो इसे समय पर वापिस करना होता है। अगर उद्योगपतियों की राशि ही सरकार के पास चली गई और वह राशि अब कहां गई है और लोगों को वह क्यों नहीं दी जा रही वैसे भी यह जानकारी सामने आती रही है कि उद्योगपतियों की वैट रिफंड की राशि अन्य कार्यों के लिए खर्च करने का काम पिछली सरकार के कार्यकाल में शुरू हो गया था। नोटबंदी, जीएसटी के कारण सभी कारोबारियों के अलावा औद्योगिक इकाइयों को काफी फर्क पड़ा है और सरकार की तरफ जो अधिक टैक्स के रूप में राशि पड़ी है वह उद्योगपतियों की अपनी पूंजी है। अगर वह अपनी पूंजी ही वापिस ही नहीं लेंगे तो उनकी उद्योगिक इकाइयों के समक्ष वित्तीय संकट खड़ा हो जाएगा। एक औद्योगपति का कहना था कि रिफंड के रूप में उनकी पूंजी सरकार की तरफ फंसी हुई है।