अस्थमा के लक्षणों को अपने स्वास्थ्य पर हावी न होने दें


मौसम में परिवर्तन आते ही अस्थमा के रोगियों की परेशानियां बढ़ जाती हैं। चाहे किसी भी उम्र का रोगी हो, उसे कफ, जुकाम, बलगम, नाक बंद होना, सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई आदि शिकायतें अक्सर होती हैं।
श्वसनी अस्थमा को उसके लक्षणों व कारणों के अनुसार चार प्रकारों॒ में विभाजित किया गया है। यह मौसम में बदलाव, कार्य करने की जगह के वातावरण, पर्यावरण व भावात्मक कारणों से हो सकता है। पर्यावरण से संबंधित कारणों में मुख्य हैं आंतरिक और बाह्म प्रदूषण, परागकण, डस्टलाइट आदि। इसके अतिरिक्त कालीन, भारी पर्दे, पालतू जानवर, मच्छर मारने की दवा, स्प्रे, गीला पेंट भी एलर्जी का कारण बनते हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ रोगी सांस लेने में कठिनाई, कफ व अस्थमा के अन्य लक्षण तब भी अनुभव करते हैं जब वे बहुत अधिक दुखी या चिंता में होते हैं। कभी-कभी कुछ रोगियों जैसे विद्यार्थियों में परीक्षा के दिनों में या परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु या लंबी बीमारी आदि से चिंताग्रस्त रहने के कारण अस्थमा के लक्षण उभरकर सामने आ जाते हैं।
कई बार काम करने की जगहों के सही न होने के कारण भी अस्थमा के लक्षण उभरने लगते हैं। खासकर जो लोग फैक्टरियों में काम करने वाले या बिजली से टांका लगाने का काम करना छोड़ देते हैं, वे स्वत: ही इस रोग से छुटकारा पा लेते हैं।
कई बार यह रोग वंशानुगत भी देखने को मिलता है। अगर माता-पिता या दादा दादी को यह रोग है तो कई बार बच्चे में भी यह रोग होने की संभावना होती है पर यह जरूरी नहीं कि जिन अभिभावकों को अस्थमा हो, उनके बच्चे भी इसी का शिकार हों।
बचपन में बच्चे की श्वासनलिका छोटी होती है और थोड़ी सी रुकावट से खांसी व सांस फूल जाना आदि समस्याएं हो जाती हैं पर जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसका एअर पैसेज बढ़ जाता है और उसका पेशीतंत्र अधिक विकसित होता है जिससे वह और अच्छी तरह से सांस लेता है और स्वास्थ्य में सुधार आता है।
इस रोग से दूर रहने के लिए पहले से ही सुरक्षा कदम उठाएं। अगर कारण इमोशनल हैं तो आप काउंसलिंग से इस कारण को दूर करने का प्रयत्न करें। तनाव, चिंता व्यक्ति को रोगग्रस्त करती है इसलिए किसी भी बात को दिल से न लगाएं।
मौसम में परिवर्तन के समय आप घर से कम बाहर निकलें। अधिक समय घर में ही व्यतीत करें। इसके अतिरिक्त एलर्जी देने वाली वस्तुओं से बचें। पालतू पशुओं के शरीर से गिरने वाले बाल, धूल व प्रदूषण आदि से स्वयं को बचाएं। (स्वास्थ्य दर्पण)
-सोनी मल्होत्रा