अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी साबित होंगे हरियाणा के प्रदीप ढिल्लों

प्रदीप ढिल्लों वह युवा खिलाड़ी हैं, जिसने विकलांग होते भी अपनी खेल कला से हरियाणा राज्य का नाम ऊंचा किया है और नि:संदेह प्रदीप ढिल्लों आने वाले दिनों में हरियाणा का ही खिलाड़ी नहीं होगा, बल्कि पूरा देश उस पर गर्व करेगा। इसलिए तो वह अपने बहुत ही मेहनती कोच सुंदर सिंह के नेतृत्व में लगातार मेहनत कर रहे हैं। प्रदीप ढिल्लों का जन्म हरियाणा के ज़िला फतियाबाद की तहसील बुन्ना के गांव नेहला में पिता राम चंद्र के घर माता संतोष देवी की कोख से हुआ। प्रदीप ने बचपन में ही पांव रखा था कि वह पोलियो की नामुराद बीमारी का शिकार हो गए और वह बाईं टांग से लंगड़ा कर चलते हैं, लेकिन उनके हौसले की दाद देनी बनती है कि उन्होंने हिम्मत और हौसले से पढ़ाई के साथ-साथ खेलों को भी अपनाया और आज वह लम्बी छलांग के माने हुए खिलाड़ी हैं। प्रदीप ने अपने गांव के खेल मैदान से लम्बी छलांग के खिलाड़ी के तौर पर अपना सफर शुरू किया था और आज वह बोद्धिया खेड़ा स्टेडियम में अपने अंतर्राष्ट्रीय मुकाम को हासिल करने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। प्रदीप ढिल्लों की अगर अब तक की खेल उपलब्धियों की बात करें तो वर्ष 2015 में उन्होंने पहली बार गाज़ियाबाद में हुई 15वीं सीनियर पैरा नैशनल एथलैटिक चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और उसके बाद वर्ष 2016 में 16वीं सीनियर पैरा एथलैटिक चैम्पियनशिप जो पंचकूला में हुई, में 100 मीटर लॉंग जम्प में स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2017 में जयपुर में हुई 17वीं सीनियर पैरा नैशनल एथलैटिक चैम्पियनशिप में 400 और 100 मीटर लॉंग जम्प में स्वर्ण पदक और एक रजत पदक हासिल किया। वर्ष 2018 में 18वीं सीनियर पैरा एथलैटिक चैम्पियनशिप जो पंचकूला में हुई, में खेलते 400 मीटर और 100 मीटर में स्वर्ण पदक और रजत पदक जीत कर अपने राज्य का गर्व से सिर ऊंचा किया। दुबई में हुई फाजा पैरा एथलैटिक चैम्पियनशिप में भी लॉंग जम्प में दूसरा स्थान हासिल किया। प्रदीप ढिल्लों दुबई में होने वाली एशियन पैरा खेलों के लिए भी चुने गये हैं। प्रदीप कहते हैं कि, ‘न थके कभी पैर न कभी हिम्मत हारी है, जज्बा है ज़िन्दगी में परिवर्तन का, इसलिए सफर जारी है।’

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