स्मरण शक्ति की धनी भी होती हैं मधुमक्खियां

मधुमक्खियों का संसार भी बड़ा निराला है। यूं तो विश्व में इस मक्खी की 250 से भी अधिक प्रगतियां पाई जाती हैं। ये मक्खियां भिन्न-भिन्न जलवायु के कारण रंग रूप में भिन्न-भिन्न होती हैं। अफ्रीका के जंगलों में हरे, नीले, सफेद श्वेत, लाल और पीले रंग की मधुमक्खियां भी दिखाई देती हैं। ये अपने वर्ण के मुताबिक घने पेड़ों पर विशाल  छत्ते बनाकर रहती हैं। एक दल की मक्खी यदि दूसरे दल के छत्ते पर बैठने का प्रयास करती है, तो इनमें आपसी जंग छिड़ जाया करती है। जंग में हज़ारों मक्खियां बेमौत मारी जाती हैं। हमारे देश में तीन प्रकार की मधुमक्खियां पाई जाती हैं, शैल नन्हीं और मीना। शैल मक्खी का आकार औसतन आधा इंच का होता है तथा रंग भूरा होता है। इसकी रानी कुछ गहरा रंग लिये हुए थोड़ी बड़ी होती है। नन्हीं मधुमक्खी की आकृति अपने नाम के अनुरूप ही होती है। इसके छत्ते का आकार 7 से 10-11 इंच तक होता है। यह अपना छत्ता पेड़ों की डालें, झाड़ियों, मकान के खोखले हिस्सों और सूखी लकड़ी के ढेरों में लगाती हैं। इसके छत्ते में मधु बहुत रहता है।  मीना मधुमक्खी तो पूरे भारत में काफी संख्या में पाई जाती है। यूं इसकी कई प्रजातियां भी हैं जो मैदानों, पहाड़ों, रेगिस्तानी क्षेत्रों आदि में पाई जाती हैं। मैदानी मधुमक्खी कुछ छोटी एवं पीला रंग लिए हुए होती है। मधुमक्खियों के संदर्भ में एक अनोखी बात यह भी है- कोई मधुमक्खी जब कहीं पराग भरे फूलों का पता लगा लेती है तो अपने छत्ते पर लौटकर विचित्र प्रकार के नृत्यों द्वारा उस स्थान का पता दूसरे साथियों को बता देती है। इस तरह अन्य मधुमक्खियां भी पराग एकत्रित करने सीधे उसी स्थान पर पहुंच जाती हैं। हां, कहा जाता है कि मधुमक्खी में फोटोग्राफिक्स स्मरण शक्ति होती है, जिसके द्वारा वह नृत्य करते हुए विचित्र कोनों व ताल द्वारा दूरी एवं दिशा का ज्ञान देती है।