35 अरब रुपए खर्च होंगे पाकिस्तान के चुनावों पर

25लजुलाई आने में बहुत कम दिन शेष हैं, इस बार राजनीतिक पार्टियों को चुनाव मुहिम के लिए समय बहुत कम मिला है, जबकि चुनाव मुकाबले बहुत कड़े हैं। नवाज़ शरीफ परिवार को कई मोर्चों का सामना है, पीपल्ज़ पार्टी तथा आसिफ अली ज़रदारी परिवार भी मुश्किलों में घिरा हुआ है, तहरीक-ए-इन्साफ भी आलोचना के घेरे में है, धार्मिक दलों के लिए भी मैदान साफ नहीं है। अब यह फैसला लोग 25 जुलाई को ही करेंगे कि वह अपने वोट की शक्ति से किस पार्टी को सत्ता सौंपते हैं। पाकिस्तान चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय तथा प्रांतीय असैंबलियों के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। जनरल तथा आरक्षित 1070 विधानसभायी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए 12,570 उम्मीदवार मैदान में हैं। राष्ट्रीय असैंबली की 272 जनरल सीटों पर 3459 और 60 आरक्षित सीटों पर 216 उम्मीदवार मैदान में हैं। पंजाब असैंबली की 297 जनरल सीटों के लिए 4036 जबकि 74 आरक्षित सीटों पर 206 उम्मीदवारों के बीच दंगल होगा। सिंध असैंबली की 129 जनरल सीटों पर 824 जबकि आरक्षित 38 सीटों पर 130 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा। खैबर-पख्तूनख्वा असैंबली की 99 जनरल सीटों पर 1165 और 25 आरक्षित सीटों के लिए 99 उम्मीदवारों में मुकाबला होगा। 
बलोचिस्तान असैंबली में 51 जनरल सीटों पर 943, आरक्षित 14 सीटों पर 64 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा। सिंध की प्रांतीय असैंबली के लिए पीपल्ज़ पार्टी का एक उम्मीदवार बिना मुकाबला चुनाव जीत गया है। पहली जुलाई से चुनावों के लिए 22 करोड़ बैलेट पेपर छापने का कार्य जारी है। न्यायिक फैसलों के बाद कुछ क्षेत्रों के लिए बैलेट पेपर दोबारा छापे जायेंगे। बैलेट पेपरों की छपाई के लिए विशेष कागज़ ब्रिटेन और फ्रांस से आयात किया गया है। बैलेट पेपर इस्लामाबाद, लाहौर तथा कराची में सेना की निगरानी में छापे जा रहे हैं। राष्ट्रीय असैंबली के लिए हरे जबकि प्रांतीय असैंबलियों के लिए सफेद बैलेट पेपर छापे जा रहे हैं।  राष्ट्रीय तथा प्रांतीय असैंबलियों की कुल 9747 जनरल सीटों पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के कुल खर्च का बजट 26 अरब 40 करोड़ 60 लाख रुपए तक का हो सकता है। देश में सरकारी तथा गैर-सरकारी स्तर पर इन चुनावों के लिए 35 अरब रुपए से ज्यादा की आर्थिक गतिविधियां होने की उम्मीद है। चुनावों के कारण मज़दूरों तथा बेरोज़गारों के लिए कार्य के अवसर पैदा हुए हैं। उम्मीदवारों द्वारा गरीबों के लिए लंगर लगाए गए हैं तथा चुनाव कार्यालयों में मतदाताओं की शरबत और भोजन से मेहमाननवाज़ी की जा रही है। इन गतिविधियों से संबंधित लोगों के लिए आर्थिक अवसर पैदा हुए हैं। नैशनल असैंबली के उम्मीदवार के लिए चुनाव खर्च की सीमा 40 लाख निश्चित है। इस तरह नैशनल असैंबली के उम्मीदवारों के खर्च का अनुमान 13 अरब 83 करोड़ 60 लाख रुपए लगाया गया है। प्रांतीय उम्मीदवार के लिए चुनाव खर्च की सीमा 20 लाख रुपए है। इस तरह चारों प्रांतीय असैंबलियों के उम्मीदवारों के कुल खर्च का अनुमान 12 अरब 57 करोड़ 60 लाख रुपए लगाया गया है। निगरान सरकार ने देश में शान्तमयी और पारदर्शी चुनावों के लिए रणनीति तैयार कर ली है। प्रधानमंत्री जस्टिस सेवानिवृत्त नासिर मलिक की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें आम चुनावों में सुरक्षा तथा अन्य मामलों संबंधी रणनीति तैयार की गई है। बैठक में रक्षा मंत्री द्वारा चुनावों की सुरक्षा के बारे में बातचीत की गई। इस अवसर पर निगरान प्रधानमंत्री नासिर मलिक का कहना था कि आम चुनावों के लिए पहले भी सेना की नियुक्ति का फैसला सही साबित हुआ था। पारदर्शी तथा शान्तिपूर्ण चुनावों के लिए चुनाव आयोग द्वारा भरपूर कोशिश की जायेगी। दूसरी तरफ चुनावों का समय निकट आते ही चुनाव आयोग की वैबसाइट पर साइबर हमलों में वृद्धि हो गई है। इसके अलावा पारदर्शी चुनावों के लिए  चुनाव आयोग ने आधुनिक टैक्नॉलाजी का फायदा उठाने की ठान ली है। खास मोबाइल ऐप तैयार कर ली गई है, जो चुनावों के दिन ही सक्रिय होगी। कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 
चुनाव परिणामों को विवादों से बचाने के लिए चुनाव आयोग ने आधुनिक टैक्नालॉजी पर निर्भर करने का फैसला किया है, जैसे ही वोटों की गिनती पूरी होगी परिणाम की कॉपी मोबाइल एप्लीकेशन द्वारा चुनाव आयोग को भेज दी जायेगी।  आई.टी. माहिर चुनाव कर्मचारियों को परिणाम आगे भेजने के प्रयोग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। प्रशिक्षण के दौरान कर्मचारियों को रिजल्ट फार्म की तैयारी संबंधी भी विशेष निर्देश दिए जा रहे हैं। चुनाव ट्रांसमिशन ऐप सब रिटर्निंग अधिकारी के मोबाइल में मौजूद होगी। मोबाइल ऐप सिर्फ मतदान वाले दिन पर एक दिन के लिए चालू होगी, जिसके बाद उसको इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। मीडिया रैगुलेटरी अथॉरिटी (पैमरा) के प्रधान ने मुख्य चुनाव आयुक्त तथा सचिव चुनाव आयोग के साथ मुलाकात में चुनावों के पारदर्शी प्रबंध के लिए पूरा-पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिलाया है। सचिव चुनाव आयोग ने मीडिया अथॉरिटी द्वारा मीडिया को प्रार्थना की है कि जारी नियमों के अनुसार निष्पक्ष चुनाव कवरेज़ को सुनिश्चित बनाया जाए और कोई भी परिणाम मतदान के दिन सायं सात बजे से पहले प्रसारित न किया जाए।इसके अलावा चुनाव मुहिम के दौरान कई उम्मीदवारों के खिलाफ सार्वजनिक रोष के मद्देनज़र शांति बरकरार रखना पुलिस के लिए नई चुनौती बन गई है। पुलिस इस संबंध में रणनीति बना रही है कि किसी को भी कानून हाथ में न लेने दिया जाए। उम्मीदवार अपने कार्यकर्ता अपने साथ निजी सुरक्षा के लिए भी रख सकते हैं। पुलिस को यह निर्देश मिले हैं कि जिन उम्मीदवारों की मुहिम का कार्यक्रम पुलिस के पास हो, उनकी चुनाव मुहिम के दौरान रास्ते साफ रखे जाएं और इस दौरान कानून हाथ में लेने की कोशिश करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। चुनावों में एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा या मामला पैसे के लेन-देन (मनी लांड्रिंग) का है। सिंध प्रांत में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का घोटाला सामने आया है। सात लोगों के पहचान-पत्र कार्डों पर 29 जाली खाते खोले गए, जिनके द्वारा 30 अरब से ज्यादा का लेन-देन किया गया। राज्य की महत्वपूर्ण राजनीतिक शख्सीयत के निकटतम साथी के कर्मचारी के खातों द्वारा अरबों का लेन-देन करने के लिए तीन बैंकों में खाते खोले गए थे। सिर्फ एक बैंक के 16 खातों द्वारा 20 अरब का लेन-देन हुआ है। इन खातों में एक महत्वपूर्ण कारोबारी शख्सीयत के दामाद और एक अन्य प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार से संबंधित व्यक्ति ने भी पैसे जमा करवाए थे। केन्द्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों ने संदेह प्रकट किया है कि उन खातों को अलग-अलग प्रोजैक्टों से मिलने वाली ‘रिश्वत’ लेने के लिए इस्तेमाल किया गया है। इस एजेंसी का दावा है कि जाली खाते खोलना और गैर-कानूनी धन-राशि जमा करवाना और फिर उसको अलग-अलग खातों में तबदील करना स्टेट बैंक के कानून के अनुसार पैसों के अवैध लेन-देन की श्रेणी में आता है। इस गम्भीर मामले का पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार ने भी नोटिस लिया है। उन्होंने अपने चैंबर में केन्द्रीय खुफिया एजेंसी के डी.जी. के साथ जानकारी लेने के लिए मुलाकात की। इस केस के और विस्तार तो बाद में सामने आयेंगे। कहा जा रहा है कि इन जाली खातों द्वारा लेन-देन करने वालों में पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी और उनकी बहन फैराइल तालपुर का भी हाथ है। इसका आवश्यक तौर पर सिंध के चुनाव परिणामों पर असर पड़ेगा।