संत सीचेवाल एनजीटी की सलाहकार कमेटी में शामिल

सुल्तानपुर लोधी, 1 अगस्त (शर्मा/ बलविंद्र लाडी) : नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सतलुज दरिया के द्वारा बुड्ढा नाला, सफेद बेईं और काला संघिया ड्रेन का जहरीला पानी राजस्थान को जाने की रोकथाम हेतु सलाहकार निगरान कमेटी बनाई है। खास बात यह है कि इस कमेटी में विश्व विख्यात वातावरण प्रेमी पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल को सदस्य लिया गया है। इस समिति की पहली बैठक 10 अगस्त तक की जानी है। गौरतलब हो कि प्राकृतिक जल स्रोतों एवं वातावरण की शुद्धता हेतु लंबे अर्से से संघर्षशील संत सीचेवाल के नेतृत्व मेें संगतों ने 22 फरवरी, 2008 को काला संघिया ड्रेन में गिराए जा रहे कैमिकल युक्त पानी एवं गंदगी की रोकथाम हेतु ड्रेन में पहली बार बांध लगाया था। साल 2009 में बुड्ढा नाला, सफेद बेईं और काला संघिया ड्रेन से चेतना मार्च शुरु किया था, जो बीकानेर तक गया, जहां कैंसर का अस्पताल है। फिर साल 2011 में 18 मई को दोबारा काला संघिया ड्रेन को बांध लगाया गया था, जिसमें राजस्थान के लोग विशेष रुप में शामिल हुए थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के नेतृत्व तले बनाई गई सलाहकार समिति को समयबद्ध रिपोर्ट देने की हिदायतें की गई हैं। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को नोडल एजेंसी बनाकर जो सलाहकार समिति बनाई है, उसमें वातावरण प्रेमी पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल, राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को सदस्य लिया है। यह समिति बुड्ढा नाला, सफेद बेईं और काला संघिया ड्रेन के माध्यम से जो कोई जहरनुमा पानी सतलुज दरिया में पड़ रहा है, बारे 31 अक्तूबर तक रिपोर्ट तैयार करेगी और यह रिपोर्ट नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की 14 नवम्बर को होने वाली सुनवाई में पेश करेगी। श्री हनुमानगढ़ से शबनम गोदारा के नेतृत्व में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चार साल पहले 29 मई 2014 को रिट दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि पंजाब से आ रहा प्रदूषित पानी राजस्थान के 8 ज़िलों में कैंसर फैला रहा है। पंजाब सरकार और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड सतलुज दरिया में पड़ रहे  जहरीले पानी की रोकथाम हेतु सख्त कार्यवाही नहीं कर रहा। शबनम गोदारा ने बातचीत करते बताया कि चार सालों में पंजाब सरकार की तरफ से कोई भी सख्त कार्यवाही न किए जाने से नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह समिति बनाने का फैसला किया है। एनजीटी की तरफ से इस मामलों में  की जा रही सुनवाई दौरान गत 23 जुलाई को उपरोक्त समिति बनाने का फैसला किया गया था। इस सुनवाई दौरान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बताया था कि 650 एमएलडी के प्रदूषित पानी में से 466 एमएलडी पानी ही ट्रीट हो रहा है। लगभग 200 एमएलडी पानी बिना सुधारे ही इन नहरों के द्वारा आगे जा रहा है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह भी सख्त हिदायतें की हैं कि किसी तरह का भी गंदा और जहरीला पानी दरियाओं में नहीं पड़ना चाहिए।