करियाना स्टोरों पर सरेआम बिक रहे हैं आक्सीटोसिन के टीके

लुधियाना, 8 अगस्त (सलेमपुरी) : भारत सरकार द्वारा नशायुक्त आक्सीटोसिन नाम के टीके पर रोक लगाई गई है, परंतु फिर भी यह टीके सरेआम करियाना स्टोरों पर उपलब्ध हैं। फार्मेसी के विशेषज्ञ मनीश कथूरिया  ने बताया कि यह टीका केवल महिलाओं के लिए है और इसका प्रयोग आसान और सरल प्रसूति के लिए की जाती है। नशायुक्त टीका होने के कारण अस्पतालों व फार्मेसियों के प्रबंधकों को इसकी खरीदो फरोख्त संबंधी पूरा रिकार्ड रखना पड़ता है और एक ऐसी गर्भवती महिला के प्रसूति के लिए प्रयोग होता है, उस महिला के बारे में भी पूरा विवरण दर्ज होता है। जानकारी के अनुसार पिछले लम्बे समय से इस टीके का प्रयोग पशु पालन दूधारूओं के दोहते समय करते आ रहे हैं, जोकि मनुष्य स्वास्थ्य के पर बुरा असर डाल रहे हैं और अब जब से समाज में हैल्थ क्लबों का प्रचलन शुरू हुआ है और उनमें शरीर को सुडोल बनाने के लिए जो नौजवान लड़के-लड़कियां आ रहे हैं वह भी इन टीकों का प्रयोग करने लग गए हैं। देखने वाली बात है कि सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद भी यह टीका करियाना स्टोरों पर सरेआम बिक रहा है, जबकि स्वास्थ्य विभाग व पुलिस विभाग इस टीके की बिक्री रोकने के लिए दवाइयों की दुकानों पर दिन-रात छापेमारी कर रही है। जानकारी के अनुसार इस टीके की कीमत एक रुपए है, एक टीके में एक मिली लीटर तरल पदार्थ के रूप में टीका होता है। हैमोफार्मसिटीकल मुम्बई नाम की कंपनी यह टीके तैयार  करती थी, जबकि सरकार द्वारा इस पर रोक लगा दी गई है। पंजाब के मुख्य डिस्ट्रीब्यूटर गुरप्रीत सिंह नारंग ने बताया कि इस समय वह इस टीके की खरीदो फरोख्त कर रहे हैं, क्योंकि सरकार द्वारा इस पर रोक लगाई गई है, परंतु बहुत ही सितम की बात है कि यह टीके करियाना स्टोरों तक कैसे पहुंच जाते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले यह टीका चोरी छिपे ढंग से चीन से दवाईयां बनाने वाली कंपनियां दो ग्राम आक्सीटोसिन का पाऊडर, 10-12 हज़ार रुपए में खरीदती थीं और दो ग्राम पाऊडर से अवैध ढंग से चल रही दवाई वाली कंपनिया दो लाख टीके तैयार करके दो लाख रुपए कमा लेती थीं। सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त टीका तैयार करने वाली कंपनी कांच के खोलों के रूप में बंद करके सप्लाई करती हैं, जबकि इस समय यह टीका प्लास्टिक के खोल में प्लास्टिक और कांच के खोल में बड़ी शीशियों में तैयार होकर भी आ रहा है, जिससे स्पष्ट हो रहा है कि स्वास्थ्य विभाग व पुलिस टीका तैयार करने वाली कंपनियों व टीके खरीदो फरोख्त वालों को पकड़ने में नाकाम है। दवाइयों के कारोबार से जुड़े कारोबारियों ने बताया कि कुछ समय यह टीका बिहार से भी गैर-कानूनी ढंग से पंजाब में दाखिल हो रहा है। देखने में आया है कि कई नौजवान लड़़के-लड़कियां इस टीके का प्रयोग नशे के रूप में कर रहे हैं और उनको एक एम.एल. का एक टीका 50 रुपए से 500 रुपए तक बिकता है। वर्णनीय  है कि शराब के धंधे से जुड़े कई लालचवश ठेकेदार या अवैध शराब निकालने वाले भी इस टीके को शराब की बोतल में डालते हैं, जोकि पुरी तरह खतरनाक है।