नशे की समस्या से निपटने हेतु : पंचकूला में गठित होगा केन्द्रीय सचिवालय 

चंडीगढ़, 20 अगस्त (राम सिंह बराड़) : नशे की बढ़ती समस्या से पार पाने के लिए पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, संघ शासित क्षेत्र की आज यहां बैठक बुलाईगई जिसकी मेजबानी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने की। बैठक में तीन राज्यों के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, खट्टर,उत्तराखंड के टीएस रावत और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तथा राजस्थान, दिल्ली और चंडीगढ़ के वरिष्ठ प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारी शामिल हुए। मुख्यमंत्रियों के क्षेत्रीय सम्मेलन में नशे के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए डाटा तथा सूचना लेन-देन को लेकर सर्व सम्मति से पंचकूला में एक कामन सेंट्रल सेकटेरियेट गठित करने का फैसला किया। आपसी तालमेल के लिए हर राज्य अपना नोडल अधिकारी तैनात करेगा। नशे को लेकर चुनौती तथा रणनीति पर विचार-विमर्श करने तथा एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत पाकिस्तान सीमा से लगा होने के कारण पंजाब नशे से सबसे अधिक प्रभावित है तथा नशे की गिरफ्त में आये युवकों की मौत ने राज्य को झकझोर दिया। हरियाणा तथा राजस्थान भी पड़ोसी होने के कारण इससे प्रभावित हैं। राजस्थान से भी तस्करी करके नशा पंजाब लाया जाता है। चंडीगढ़ में भी नशे की बिक्री बढ़ी है तथा हिमाचल भी इसकी चपेट में है। दिल्ली भी नशे से कम प्रभावित नहीं है। बैठक में कैप्टन सिंह ने नशे की समस्या से निपटने के लिए नियमित बैठकें किये जाने पर बल दिया। बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि ‘हमें, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों तथा राजस्थान, दिल्ली और केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों को नशे के प्रकोप से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक अति-रचनात्मक बैठक कर  खुशी हुई है।  हमने नशे के खिलाफ  अपने राज्य विशिष्ट संघर्षों में अब तक के अपने अनुभव सांझा किए हैं और नशे के नुक्सान से अपने युवाओं, बच्चों और भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए हमारी सरकारों द्वारा बनाई जाने वाली रणनीतियों और कार्यों के लिए अपने सांझा सरोकारों को पहचाना है। अपनी तरह की यह पहली बैठक पेशेवर और रचनात्मक तरीके से आयोजित की गई। हम आज की बैठक में तीन आयामों पर सहमति के विभिन्न कार्य बिंदुओं पर प्रगति की समीक्षा करने के लिए प्रत्येक 6 महीने में मिलने के लिए सहमत हुए। हम भविष्य में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और जम्मू एवं कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारियों को आमंत्रित करने पर भी सहमत हुए। इसके अलावा निवारक पक्ष पर हम एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर सहमत हुए हैं जो हमारे युवक-युवतियों को हमारे संयुक्त प्रयासों के केंद्र में रखे। जो अतिसंवेदनशील हैं, चाहे वे स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में हो, उनके आवासीय भवन या आस-पास के क्षेत्र पर हमारे द्वारा विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी बच्चा निराशावाद का शिकार न हो, हम गैर-सरकारी और सामुदायिक संगठनों के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास जैसे विभिन्न विभागों की मदद से जागरुकता उत्पन्न करने के लिए ठोस प्रयास करेंगे।  हमारे युवाओं को नशे को स्पष्ट रूप से ‘ना’ कहने में सक्षम बनाने के लिए सोशल मीडिया की शक्तियों का उपयोग किया जाना अति महत्वपूर्ण होगा। नशा मुक्ति की दिशा में हम सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में अधिक केंद्रों की स्थापना करने और मौजूदा केन्द्रों को मज़बूत करने के लिए और अधिक संसाधनों का निवेश करने पर सहमत हुए हैं। हम ‘उच्च जोखिम’ वाले व्यक्तियों और नशे के आदी लोगों की गहन पहचान करने और उनके त्वरित चिकित्सा उपचार के लिए सहमत हैं। हम अपने अधिक से अधिक गांवों, मोहल्लों और शहरों को नशा मुक्त बनाने के लिए सभी संभावित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके निचले स्तर पर कार्यों को मज़बूत करने पर सहमत हुए।’ कैप्टन का सुझाव मंजूर एनएस परवाना के अनुसार नशों के विरुद्ध जंग में प्रगति पर नज़र रखने और इस समस्या से निपटने के लिए विभिन्न स्तरों पर नियमित तौर पर बैठकें करने बारे कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के सुझाव को बैठक के दौरान प्रवान कर लिया गया है। कैप्टन के प्रस्ताव के आधार पर नशों के विरुद्ध साझी रणनीति की प्रगति पर नज़र रखने के लिए हर 6 महीने के बाद बैठक करने का भी फैसला लिया गया। प्रत्येक तिमाही दौरान अधिकारियों के लिए उच्च स्तर पर बैठक करने का भी फैसला लिया गया जिसकी अध्यक्षता बारी-बारी संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव/ डी.जी.पी. करेंगे। बैठक के दौरान यह भी फैसला किया गया कि विभिन्न राज्यों के साथ लगते ज़िलों के एस.एस.पी. रोजमर्रा के स्तर पर तालमेल करेंगे। राज्यों द्वारा अपने-अपने स्कूलों में बड़़े स्तर पर जागरूकता मुहिम चलाने का भी बैठक के दौरान फैसला किया गया। नौजवानों को ग्रामीण स्तर पर खेलें व अन्य सरगर्मियों में सक्रिय करने का भी फैसला किया गया। नशों के प्रसार पर रोक लगाने के लिए बड़े स्तर पर नौजवानों के लिए हुनर विकास कार्यक्रम चलाने का भी फैसला किया। सभी राज्यों की राय थी कि नशों के विरुद्ध  सफलतापूर्वक लड़ाई के लिए सूचना व डाटा साझा करना बहुत अहम है। मुख्यमंत्री पंजाब ने उनकी सरकार द्वारा नशों रोकू अधिकारी कार्यक्रम और हाल ही में शुरू किए बड्डी कार्यक्रम सहित उनकी सरकार द्वारा इस ओर उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया। उन्होंने आऊंट पेशैंट ओपियड असिस्टड ट्रीटमैंट क्लीनिकों की सफलता का भी जिक्र किया जहां अब तक 26,000 नशा पीड़ितों का इलाज किया जा चुका है जबकि इन पर ओ.पी.डी. पर आने वालों की संख्या 5.3 लाख से अधिक है।