बहार से भी खूबसूरत कनाडा में पतझड़स का मौसम

गत दिनों एडमिंटन से कई-कई सौ मील दूर घूमने का अवसर मिला। यहां पतझड़ सितम्बर माह के द्वितीय सप्ताह से विभिन्न रंगों की सृजनात्मक व्याख्या का बिगुल बजा देती है। कनाडा के लैंड स्केपिंग के विशेषज्ञ वैज्ञानियों ने कई प्रकार की श्रेणियों, स्वरूप, आकार, प्रकार के वृक्षों को इस तरतीब-शैली से सड़कों, सीलों, नहरों, चौकों, जंगल-वन्य के इर्द-गिर्द तथा पर्वतों में लगाया है कि वृक्षों की तरतीब (क्रमानुसार), तामोर, तासीर, दिशा, ऊंची-नीची तकसीम विधि को इस खूबसूरत प्रयोगमयी-खोजमयी ढंग से शिल्पगत किया है कि आंखें जब इन भव्य रंग-बिरंगे वृक्षों को अपनाती हुई दिल-दिमाग, रूह में प्रवेश करती है तो रंगों की नवीन विरासत, रंगों का सभ्याचार शोखियां में तबदील हो कर स्वर्ण युग में आ जाता है। एडमिंटन से वेनकूवर तक सड़क मार्ग से जाते समय वृक्षों पर रंगीली, छबीली, नशीली अहमियत देख कर रूह आनंदित हो जाती है। इस तरह महसूस होता है जैसे कुदरत ने समस्त सुंदरता पतझड़ में विभाजन कर दी हो। जैसे प्रकृति के मुखबिर ने अमूर्त बिम्बों की व्यापक यथार्थ चित्रण किया हो। जहां बहार के मौसम में विभिन्न दिलकश सुरभियों का संतोषजनक आनंद, वहां पतझड़ में बहार से कहीं ज्यादा रंगों की भव्य निरालेपन में एक फीकी-फीकी अजीब सी बीअर के स्वाद जैसी सुगंध फैलती हुई पूरे जिस्म में एक सुकून उत्पन्न कर देती है। पौ-फुटाले के समय की पतझड़ का मौसम ठंडा अलबेला मर्मस्पर्शी अनुभव को मंथन करके कई हिलोरे आत्मसात करता है। जब तरह-तरह के रंगीन पत्तों पर सूर्य की उज्जवल गुनगुनी किरणें अपना प्रिय चुम्मन (बोसा) रखती है, तो रंगीन पत्तों के ऊपर कलोल करती शबनम की बूंदें आलिंगन में ओत-प्रोत हो कर मौसम से सब कुछ न्यौछावर कर देती है। मखमली एहसास अंगड़ाई लेकर कुदरत के अद्भुत सृजन की तपस्या में मग्न हो जाता है। इस मौसम में लोग सैर का सम्पूर्ण लुत्फ उठाते हुए रंगों के तलिस्मी नज़ारे को धमनियों-सिराओं में शामिल करते हुए आनंद-विभोर हो जाते हैं। भव्य दृश्य, ठंडकदार मौसम जिस्म में ताज़गी और स्फूर्ति भर देता है। सुंदर मौसम जैसे सुंदर लोग हैं इधर के। वृक्षों के स्वभाव जैसे बेफिक्र। दोपहर को रंग-बिरंगे वृक्षों के ऊपर चमचमाती रंगों की रंगीनता अपने प्रथम एहसास के सुखद पलों की महसूसन हृदय में छोड़ती है। दोपहर के समय गिरगिट की भांति रंग बदलते पत्ते ऐसे प्रतीत होते जैसे विभिन्न रंगों के दीए झिलमिला रहे हों।  शाम को मौसम पतझड़ को खामोश से रूमानी प्रभाव में ठंडी हवाओं से झूमते पलों का एहसास करवा कर, अपनी आत्म-कथा रंगों की अद्वितीयता में पिरो देता है। शाम का डूब रहा सूर्य जब रंग-बिरंगे वृक्षों में मद्धम-मंथन लौ में परिपूर्ण हो कर वृक्षों की रंगीन शाखाओं में घंस (फंस) जाता है तो अलौकिकता की प्रभुसत्ता से धरती की गोदी में व्यापक भव्यता, मानवता-सांझीवालता का संदेश दे देती है। कुदरत जीवन का नमक है और खुशबू इसकी मिठास, एक जीवन को सुरक्षित रखता है तो दूसरा उसको मधुर बनाता है। चांदनी रात में रंगों से लदे वृक्षों के पत्ते चांदनी को अपनाते हुए गठीला आकर्षण तथा भव्यता का गुनगुना-सा स्वाद, संतोष तथा सुख के संस्कार का निर्माण करता है। कुदरत के रंग ही धर्म भूमि, कर्म, पुण्य भूमि को स्वर्ग का रूप देकर भव्यता को मानवता के लिए मखमूर क्रियाओं की लज्ज़त देती है। पतझड़ के वृक्ष बर्फ के तोदों की भरमार से लदे जाते हैं। सफेद रंग की बर्फीली चादर अपनी अस्तित्व से एक बेइंतहा नज़ारा देकर भविष्य की मुख्याकृति से व़ािकफ करवा देती है। यह मौसम मुश्किलों तथा परवाह का मौसम होता है। कनाडा का राष्ट्रीय ध्वज इस बात की गवाही भरता है कि कनाडा के ध्वज में ग्यारह नुकीले दिशा वाले एक लाल रंग के पत्तों को रखा गया है। ध्वज के दाएं-बाएं की ओर लाल रंग तथा बीच में सफेद रंग के ऊपर लाल रंग का पत्ता है, जिस का अभिप्राय है समस्त दुनिया, काएनात के प्राणियों के लहू का रंग लाल होता है। सांझीवार्ता का संदेश, इन्सानी नैतिक मूल्यों का संदेश। लाल रंग गौरव शक्ति का प्रतीक। तरक्की पसंद का प्रतीक है। यह पतझड़ का लाल रंग का पत्ता। यहां की पतझड़ भी मानवता को संदेश देती है।

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