राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों की हत्याएं करवाते रहे बैंकों वाले

1850 में प्रेजीडेंट जाचारी टेलर के राष्ट्रपति बनने के 16 महीने बाद ही विषाक्त दूध पीने से मौत हो गई। उन्होंने कहा था कि The idea of National Bank is dead. It will not be revived in my time.  नैशनल बैंक (वास्तव में प्राइवेट बैंक) का समय समाप्त हो चुका है। 
यह मेरे काल में पुनर्जीवित नहीं हो सकेगा। क्योंकि दूसरे बैंक का कार्यकाल समाप्त होने से और सरकार द्वारा स्वीकृति न दिए जाने के कारण यह बैंक एक सामान्य बैंक के तौर पर कार्य करने लगा था और पांच वर्ष में फेल हो गया था तथा नैशनल बैंक अर्थात् पहले ही तरह प्राइवेट बैंक जिसको नोट छापने का अधिकार हो, की मांग की जा रही थी, जिसका प्रेजीडेंट टेलर विरोध कर रहे थे। प्रेजीडेंट टेलर के बाद बने प्रेजीडेंट जेम्स बुकानन ने 1857 में भीषण आर्थिक स्थिति पर काबू पाने के लिए आदेश दिया कि बैंक अपनी वित्तीय क्षमता से बाहर जाकर ऋण न दें और बैंक का वित्त उतना ही होगा जितनी सरकार की आर्थिक हैसियत होगी और मुद्रा नोट इस सीमा से अधिक छापे नहीं जायेंगे, तो प्रेजीडेंट के एक डिनर में ज़हर डाल दिया गया, जिससे 38 लोग मर गए परन्तु प्रेजीडेंट बच गए। 1860 के दशक में अमरीका के लगभग दो हिस्से हो गए थे। इब्राहिम लिंकन की गुलामों को स्वतंत्र करने की नीति के विरोध में कुछ राज्यों ने देश से अलग होने का ऐलान कर दिया था, तो बैंकों वालों ने लिंकन को कहा कि यदि आप युद्ध लगाकर अलग हुए राज्यों को अपने देश के साथ मिलाना चाहते हैं, तो हम आपको जितने चाहे पैसे देकर सहायता करने को तैयार हैं, परन्तु 30 प्रतिशत ब्याज़ लेंगे, तो लिंकन ने कहा कि मैं गोरों को बैंकों के गुलाम बनाकर कालों को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हूं। मैं अपना रास्ता स्वयं ढूंढ लूंगा। लिंकन ने अपने राष्ट्रपति के अधिकारों का प्रयोग करते हुए आदेश दे दिया कि आगे से डॉलर सरकार स्वयं छापेगी और डॉलर छापने शुरू कर दिये, जिनको ग्रीन बैक डॉलर कहा गया। सैंट्रल बैंक ने इसको अपने अस्तित्व पर खतरे का निशान समझा और तत्काल बयान दिया  : यदि यह शैतान पॉलिसी जिसका जन्म नॉर्थ अमरीका में हुआ है स्थापित हो गई, तो सरकार बिना किसी कीमत के अपनी करंसी पैदा कर लेगी और बिना ऋण उठाये अपने ऋण अदा कर देगी और अपने कारोबार के लिए स्वयं ही करंसी पैदा कर लेगी। इस तरह सरकारें हिस्ट्री में किसी पहली मिसाल के बिना स्वयं ही विकसित हो जायेंगी। इस किस्म के देश को तबाह कर देना चाहिए, नहीं तो यह हर देश की बादशाहत को तबाह कर देगा। यह रिपोर्ट लंदन टाइम्स के पत्रकार ने दी। परन्तु ग्रीन बैक डॉलर लिंकन की सरकार द्वारा छापे गये, चलते रहे। सरकार अपने खर्च बिना किसी बैंक के ऋणी हुए पूरे करने लगी। 14 अप्रैल, 1865 को इब्राहिम लिंकन की हत्या कर दी गई। ग्रीन बैक डॉलर के खिलाफ लड़ाई जारी रही। 1872 में न्यूयॉर्क में बैंकों ने अमरीका में स्थित अपनी शाखाओं को लिखा कि वह उन सभी समाचार-पत्रों की आर्थिक सहायता करें, जो ग्रीन बैक डॉलर का विरोध करें। फ्रांस तथा इंग्लैंड ने अलग हुई रियासतों की सहायता शुरू कर दी परन्तु रूस के जार ने अपना समुद्री बेड़ा भेजकर उनको उलझा लिया। लिंकन द्वारा शुरू किया गया युद्ध तो जीता गया परन्तु ग्रीन बैक डॉलर लिंकन के बाद बंद कर दिये गए। इब्राहिम लिंकन ने कहा था मेरे दो बड़े दुश्मन है एक दक्षिणी सेना जो मेरे सामने है, दूसरे बैंकों के मालिक जो मेरे पिछवाड़े हैं। इन दोनों में से मेरे पिछले तरफ वाले ज्यादा खतरनाक हैं। लिंकन की मौत के बाद 1878 में प्रेजीडेंट एंड्रयू जॉनसन के काल के दौरान रौथ्स चाईल्ड बैंक ने मुद्रा छापने के अधिकार पुन: प्राप्त कर लिए, जिसका उसके बाद बने प्रेजीडेंट जेम्ज़ गारफील्ड और प्रेजीडेंट विलियम मैकिनले ने विरोध किया। दोनों गोलियों का शिकार हुए परन्तु कुछ इतिहासकार उन दोनों की मौत को मारने वाले के निजी हितों से जोड़ते हैं और कुछ उनके बैंकों के प्रति विरोध से। इस समूचे इतिहास में जो घटनाक्रम आया, वह वुड्रो विल्सन के प्रधान बनने के बाद 1913 में हुआ। यूरोप के प्राइवेट बैंकों के मालिक खासतौर पर इंग्लैंड के रौथ्स चाईल्ड और जर्मनी के वारबर्गज़ अपने अमरीका में मौजूद साथियों के साथ जॉर्जिया के एक टापू पर गुप्त तौर पर एकत्रित हुए तथा अमरीका में तीसरा यू.एस. बैंक खोलने की योजना बनाई, जिसका नाम उसको सरकारी रंगत देने के लिए यू.एस. फैडरल रिज़र्व रखा और वुडरो विल्सन को इसकी स्वीकृति के लिए मजबूर किया। इस प्राइवेट बैंक ने भी बैंक ऑफ इंग्लैंड तथा यू.एस. बैंक, प्रथम यू.एस. बैंक और दूसरे की तरह डॉलर छापकर लोगों और सरकार को ब्याज़ पर देने थे। वुडरो विल्सन मान गए। फैडरल रिज़र्व बैंक 1913 में अस्तित्व में आ गया, करंसी नोट छापने का कार्य अब इसी बैंक को मिल गया परन्तु युद्ध के दौरान विल्सन को इस बैंक का कड़वा अनुभव हुआ। युद्ध समाप्त होने पर 1919 में वुडरो विल्सन को यह कहना पड़ा : ‘मैं बहुत नाखुश इन्सान हूं, मैंने न चाहते हुए अपने देश को तबाह किया है। एक महान बड़ी उद्योगपति कौम को एक उधार लेने का सिस्टम (फैडरल बैंकों से करंसी) नियंत्रित कर रहा है। हम अपनी आज़ाद इच्छा वाली सरकार नहीं हैं, न ही अपने विचारों और बहुसंख्यक वोटों के सहारे सरकार चला रहे हैं। हम इस छोटे से समूह के लोगों की राय और दबाव में कार्य करते हैं।’जर्मनी में भी इसी तरह का प्राइवेट बैंक नोट छाप रहा था और सरकार इसकी ऋणी थी। नोटों का ब्याज़ सरकार पर भारी बोझ था। जर्मनी में जब नैशनल सोशलिस्ट सत्ता में आए, उन्होंने यह बैंक नैशनेलाइज़ कर लिया और नोट स्वयं छापने शुरू कर दिए, जिससे जर्मनी न सिर्फ ऋण मुक्त हो गया अपितु यूरोप की एक बड़ी आर्थिक और औद्योगिक शक्ति बन गया। जर्मनी के सिक्के के मुकाबले इंग्लैंड के पाऊंड की कीमत गिरने लगी। चर्चिल ने जर्मनी को तबाह करने के लिए युद्ध का माहौल बनाना शुरू कर दिया और यह कहा करते थे मैं जर्मनी को युद्ध छेड़ने के लिए मजबूर कर दूंगा। दूसरे विश्वयुद्ध ने इंग्लैंड को आर्थिक तौर पर तबाह कर दिया। युद्ध के दौरान भी चर्चिल को पैसों के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड की मिन्नतें करनी पड़ती थीं। अंतत: युद्ध समाप्त होने के बाद और चर्चिल के बाद बने प्रधानमंत्री ऐटली ने बैंक ऑफ इंग्लैंड का 1946 में राष्ट्रीयकरण कर दिया।