कश्मीर का लम्बा होता दुखांत


कश्मीर समस्या को लेकर एक बार फिर दोनों पड़ोसी देशों में संबंध तनावपूर्ण बनते दिखाई दे रहे हैं, जिसका कारण सर्दियों में हिमपात शुरू होने से पहले-पहले बड़े स्तर पर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठियों को पूर्णतया सशस्त्र करके भारत भेजे जाने का यत्न है। सेना ने दावा किया है कि इस समय घाटी में लगभग 300 आतंकवादी सक्रिय हैं। जबकि लगभग 250 आतंकवादी लांचिंग पैडों पर घुसपैठ की ताक में बैठे हैं। नि:संदेह अनेक कारणों के दृष्टिगत कश्मीरियों का एक वर्ग पाकिस्तान से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की मदद भी कर रहा है।
पिछले दिनों दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले में सीमा सुरक्षा बल का एक जवान शहीद हो गया था। पिछले महीने शौकत अहमद भट्ट जोकि आतंकवादी बन गया था, मारा गया था। इस आतंकवादी ने बारामूला की पत्तन पुलिस जांच चौकी पर ग्रेनेड से हमले की ज़िम्मेदारी ली थी। नि:संदेह आतंकवादियों ने पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद अपनी गतिविधियों में एक बार फिर तेजी ला दी है। पिछले दिनों कुलगाम एवं राजौरी में हुए मुकाबलों के दौरान जहां पांच आतंकवादी मारे गए थे, वहीं 4 जवान भी शहीद हो गए थे। इसके साथ ही 7 आम नागरिक भी मौत के मुंह में चले गए थे। राजौरी के सुंदरबनी क्षेत्र में दो पाकिस्तानी घुसपैठिये मारे गए, परन्तु इस कार्रवाई में सेना के 3 जवान भी शहीद हो गए थे। इसी प्रकार दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा में सी.आर.पी.एफ. के एक जवान को गोली का निशाना बनाया गया। जहां कहीं भी आतंकवादी छिपे होते हैं, उन पर सेना की कार्रवाई के समय स्थानीय लोगों को पथराव के लिए उकसाया जाता है, जिससे हालात और भी बिगड़ जाते हैं, परन्तु अब अधिकतर आतंकवादी कार्रवाइयों का केन्द्र दक्षिणी कश्मीर बन चुका है जबकि उत्तरी कश्मीर में इनका प्रभाव कम होते नज़र आता है। इसलिए हिज़बुल मुजाहीद्दीन एवं तहरीक-उल-मुजाहिद्दीन आदि आतंकवादी संगठन अधिक सक्रिय दिखाई देते हैं। बिगड़ते हुए इन हालात को देखते हुए कश्मीर की नैशनल कांफ्रैंस एवं पीपल्स डैमोक्रेटिक पार्टी ने भी एक बार फिर भारत सरकार पर बातचीत करने के लिए ज़ोर डालना शुरू किया है। 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर में चल रहे घटनाक्रम की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि भारत को पाकिस्तान के साथ कश्मीर समस्या पर बातचीत शुरू करनी चाहिए जबकि यह बात पूरी दुनिया को पता है कि प्राय: आतंकवादी कार्रवाइयों के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार है। पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान से घुसपैठ करने की कोशिश करते हुए 23 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया गया है। इमरान खान संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों की बात करते हैं, परन्तु ये प्रस्ताव अब अतीत की बात हो चुके हैं क्योंकि पाकिस्तान ने अपनी नीतियों से कश्मीर घाटी को पूर्णतया रक्त रंजित कर दिया है। भारत सरकार की नीतियों के अनुसार पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत तब तक सम्भव नहीं हो सकती जब तक वह अपनी आतंकवाद समर्थक नीतियों को नहीं छोड़ता। ऐसा करना उसके लिए बेहद कठिन है, क्योंकि पाकिस्तान की सेना आतंकवादियों का प्रत्येक ढंग से पक्ष-पोषण कर रही है। 
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शऱीफ जैसा व्यक्ति यदि यह कहता है कि मुम्बई हमलों में पाकिस्तान की धरती से भेजे गए आतंकवादियों का हाथ था, तो उन पर यह सच बोलने के लिए अदालतों में मुकद्दमे चलाए जा रहे हैं। ऐसी स्थितियों में पाकिस्तान के साथ बातचीत किया जाना सम्भव प्रतीत नहीं होता, जिसके दृष्टिगत कश्मीर का मौजूदा दुखांत और भी गम्भीर हो गया है। इसका निकट भविष्य में कोई समाधान होते दिखाई नहीं देता। इस समय भारत के पास इस स्थिति से  प्रभावपूर्ण ढंग से निपटने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द