गंगा : गोमुख गंगोत्री से गंगा सागर तक

भारतीय संस्कृति की तीन महान आधारभूत वस्तुओं गौ, गंगा और गायत्री में से गंगा का विशेष महत्त्व है। गंगा की पवित्रता को वैज्ञानिक परीक्षणों से भी जांचा परखा गया है जिनमें इसे आरोग्यवर्धक और शुद्ध पाया गया। वर्तमान में तो पर्यटकों की बढ़ती संख्या की वजह से गंगा अपने उद्गम स्थल गंगोत्री और गोमुख ग्लेशियर पर भी प्रदूषण की चपेट में है। गोमुख से चली गंगा, गंगासागर तक पहुंचते-पहुंचते एक लम्बी यात्रा करती है।अपने उदगम स्थल गोमुख से समुद्र तक गंगा की लम्बाई 2525 किलोमीटर है। ऋषिकेश से ऊपर के क्षेत्र में पांच अलग-अलग धाराएं (नदी) हैं-भागीरथी, अलकनन्दा, मंदाकिनी, धौलीगंगा और पिन्डार। ये सब मिलकर ऋ षिकेश के मैदानी क्षेत्र में गंगा का रूप धारण कर लेती हैं।इन पांच धाराओं में अलकनंदा सबसे लम्बी है। यह नन्दा देवी पर्वत शिखर के उत्तर में लगभग 30 मील दूरी से निकली है। भागीरथी लगभग 10 हजार फीट की ऊंचाई से गंगोत्री ग्लेशियर में एक बर्फ की गुफा से निकलती है। गंगा का उद्गम स्थल गोमुख ही माना जाता है जो इस स्थान से 13 मील की दूरी पर दक्षिण भी ओर है।गढ़वाल क्षेत्र में 5 प्रयाग हैं- देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, विष्णु प्रयाग, नन्दप्रयाग। प्रयाग अर्थात संगम। देवप्रयाग में आकर ही भागीरथी और अलकनंदा का संगम होता है। यहां भागीरथी का रूप उग्र है जबकि अलकनंदा शांत है। यहां से यह गंगा की धारा के रूप में ऋ षिकेश से होते हुए हरिद्वार पहुंचती है। गंगा की पृथ्वीलोक की यात्रा हरिद्वार से मैदानी क्षेत्र में शुरू हो जाती है। अपनी इस यात्रा में गंगा लगभग 111 महत्त्वपूर्ण नगरों व स्थानों से होकर निकलती है। यह उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल के जिस भाग से होकर बह रही है, उसी में संपूर्ण भारत की 25 प्रतिशत जनता निवास करती है। यह कृषि व्यापार की दृष्टि से उत्तम क्षेत्र है। गंगा की इस यात्रा में पटना पहुंचने पर गंगा की चौड़ाई और गहराई बढ़ जाती है। एक तट से दूसरे तट पर जाने के लिए बड़े-बड़े स्टीमर चलते हैं। यहीं पर बना है गांधी सेतु। यह गांधी सेतु गंगा की धारा पर भारत में बने पुलों में सबसे लम्बा पुल है। पटना तक पहुंचते-पहुंचते विभिन्न नगरों से होती हुई गंगा अपने साथ अवशिष्ट पदार्थ भी लाती है। औद्योगिक नगरों से गन्दगी आ जाने के कारण उसकी पवित्रता प्रभावित होने लगती है। एक तरह से सारा जल गन्दा ही होता है। गंगा में भारत और नेपाल से निकलने वाली नदियां सहायक रूप से मिलती हैं। इनमें यमुना, गोमती, घाघरा, चम्बल, सोन, कोसी, गण्डक व शारदा नदी प्रमुख हैं। ये नदियां गंगा को पानी देती हैं। तिब्बत की नदी मस्तांग सांपों (ब्रह्मपुत्र) भारत के ऊपर पूर्वी क्षेत्र से होती हुई बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश करती है। यहां फरीदपुर के उत्तरी क्षेत्र में फरक्का बांध बना है। इसी बांध पर गंगा के प्रवाह को रोककर उसी पानी को हुगली नदी के रूप में कलकत्ता की ओर छोड़ा जाता है। गंगा की यात्रा बंगाल की खाड़ी गंगा सागर में पहुंचकर पूर्ण हो जाती हैं।भारतीय जनमानस की आस्था का केन्द्र गंगा का जल कई स्थानों पर भले ही आचमन के योग्य भी न रहा हो किन्तु धर्म परायण जनता के लिए गंगाजल आज भी अमृत तुल्य है। (उर्वशी)

 —अनिल शर्मा ‘अनिल’