हिटलर की रोचक बातें

विश्व का शायद ही कोई व्यक्ति हिटलर के नाम से अपरिचित होगा। दूसरे विश्वयुद्ध के लिये उत्तरदायी हिटलर विशेषकर अपने सनकी व्यक्तित्व के कारण हमेशा चर्चित रहा है। आज भी हिटलर की याद ताजा बनी हुई है। हाल ही के वर्षों में हुई नीलामियों में हिटलर की अनेक वस्तुओं ने महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किये हैं। इंग्लैंड के रायल एयर फोर्स के फ्लाइट लेफ्टिनेंट अर्ल्ट विलियम्स ने हिटलर के संदूक तथा मेडल को एक नीलामी के अंतर्गत अच्छे मूल्य पर बेचने में सफलता प्राप्त की। जर्मनी में विभिन्न इमारती लकड़ियों से बनाया गया बक्सा 1937 में हिटलर की 50वीं जन्म तिथि पर जर्मन जनता ने हिटलर को भेंट किया था। इसी बक्से ने नीलामी में पचास हज़ार रुपए प्राप्त किये तथा उनके मेडल 6,000 रुपए में बिके। हिटलर की खाकी कमीज जो वह विशेष अवसरों पर पहनता था, की चार लाख रुपए की नीलामी हिटलर के कट्टर विरोधियों के कारण रोक दी गयी। अब वह कमीज इजराइल के उस संग्रहालय को दान दी जा चुकी है जहां युद्ध की अन्य निशानियां भी मौजूद हैं। हिटलर का जीवन अनेक रोचक प्रसंगों से भरा हुआ है। उनके रहन-सहन तथा खान-पान की कुछ झलकियां इस लेख में हम दे रहे हैं। हिटलर को पक्षियों से बहुत प्यार था। उसने निवास स्थान पर दुनिया भर के पक्षी संग्रह किये थे। हिटलर उन पक्षियों को अपने हाथों से दाना देता था। एक बार उसका एक प्यारा पक्षी मर गया तो हिटलर की आंखों में आंसू आ गये। उस पक्षी की लाश को बाकायदा दफनाया गया तथा उसकी स्मृति में कब्र पर कांस्य की एक तख्ती लगायी गयी। जर्मनी का तानाशाह बनने के बाद हिटलर अपनी सुरक्षा के सम्बन्ध में इतना अधिक चिंतित रहता था कि दिन रात उसे केवल यही गम सताने लगा कि उसकी कभी भी हत्या हो सकती है। इस कारण वह काफी हद तक अंधविश्वासी, शंकालू तथा आत्मविश्वासी बन गया। हिटलर के महल में पांच कमरे ऐसे थे जिनमें सिर्फ हिटलर और उसका ज्योतिषी अवस्तेज ही जा सकते थे। उन कमरों का नाम ‘चैंबर्स आफ स्टार्स’ यानी नक्षत्र कक्ष था। अवस्तेज 35 वर्ष का था। दुबले-पतले और काले रंग के इस व्यक्ति का दावा था कि वह सितारों की सहायता से भविष्य के बारे में बहुत कुछ बता सकता है। जब वह हिटलर के पास होता तो कोई भी हिटलर के कमरे में नहीं जा सकता था। हिटलर के निवास स्थान के इर्द-गिर्द हवाई जहाजों को मार गिराने वाली तोपें लगी हुई थी। महल की ओर जाने वाली हर सड़क के नीचे बारूदी सुरंगें बनी हुई थी। हर दरवाजे पर इलेक्ट्रिक आई (बिजली की आंख) लगी हुई थी। अगर कोई छिप कर किसी दरवाजे पर घुसने की कोशिश करता तो फौरन पता चल जाता तथा अपने आप महल के सभी दरवाज़े बंद हो जाते। अंतिम दो वर्षों में हिटलर की आंखें काफी कमजोर हो गयी लेकिन वह इस दोष को स्वीकार करने में अपना अपमान समझता था। गोपनीय मंत्रणाओं में तो वह अवश्य चश्मा लगा लेता था लेकिन भारी भीड़ के सम्मुख उसने कभी चश्मा नहीं लगाया। उसके भाषण मुख्यत: मोटे अक्षरों वाले टाइपराइटर पर ही टाइप किये जाते थे। हिटलर के महल के एक कमरे में दुनिया भर के नक्शे थे। लंदन का तो एक नक्शा ऐसा था कि उसमें लंदन का एक एक घर चित्रित था। यहां यूरोप और जर्मनी का कांस्य का बना एक ग्लोब भी इस कमरे में था। सबसे महत्त्वपूर्ण कमरा टेलीफोन स्विच बोर्ड वाला था। विभिन्न पत्रों को लिखते समय वह भिन्न-भिन्न रंग की पैंसिलें प्रयोग में लाता था। शत्रु को लाल रंग की पेंसिल से, मित्र को हरे रंग की पेंसिल से और अति गोपनीय संदेशों को वह बहुधा नीली पेंसिल से लिखा करता था।