मुआवजा नहीं मिलने पर अदालत ने ट्रेन के इंजन को जब्त करने का दिया आदेश 

कांचीपुरम (तमिलनाडु), 2 दिसम्बर (भाषा) : रेलवे की एक परियोजना के लिए बीस साल पहले हुए एक ज़मीन के अधिग्रहण का लोगों को मुआवजा देने में विफल रहने पर यहां की एक स्थानीय अदालत ने ट्रेन के इंजन और कलेक्टरेट के दो वाहनों को जब्त करने का आदेश सुना दिया। कांचीपुरम की इस अदालत के अधिकारियों ने रेलवे स्टेशन पर जाकर एक यात्री ट्रेन के इंजन को जब्त करने की कोशिश भी की। दरअसल करीब 20 साल पहले रेलवे की एक परियोजना के लिए यहां जमीन का अधिग्रहण किया गया था लेकिन उसका मुआवजा अब तक नहीं दिया गया है। निचली अदालत के आदेश को पूरा करने के लिए उसके अधिकारी याचिकाकर्ताओं के साथ रेलवे जंक्शन पहुंचे और तिरुपति-पुडुचेरी फोस्ट पैसेंजर ट्रेन के इंजन को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की। रेलवे परियोजना के लिए ज़मीन अधिग्रहण का यह मामला 1999 का है। यहां की स्थानीय निवासी मुमताज बेगम और अन्य की ज़मीन अधिग्रहित की गई थी।बेगम और अन्य ने इस संबंध में अधिक मुआवजे की मांग के लिए अदालत से संपर्क किया था। जब राज्य प्रशासन ने बढ़ा हुआ मुआवजा संबंधित लोगों को नहीं दिया तो याचिकाकर्ताओं ने कांचीपुरम की उप-अदालत में याचिका दायर की। इसके बाद उप अदालत ने रेलवे और राज्य सरकार की चल संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया। अदालत ने अपने आदेश में कांचीपुरम जंक्शन से गुजरने वाली तिरुपति-पुडुचेरी फास्ट पैसेंजर ट्रेन के इंजन और जिला कलेक्टर की दो कारें, टेबल, कुर्सी और चार कम्प्यूटर भी जब्त करने का आदेश दिया। हालांकि दक्षिणी रेलवे के अधिकारी ने  बताया कि इस संबंध में मुआवजे के लिए राज्य सरकार को पांच करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है।