प्रयाग में महाकुम्भ से पहले शुरू हो गया अखाड़ों और बाबाओं की चर्चाओं का तिलिस्म

इलाहाबाद जो कि अब प्रयागराज है, में आगामी 14-15 जनवरी 2018 से शुरू होने जा रहे कुम्भ मेले का जितना महत्व धार्मिक, आध्यात्मिक और गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम में स्नान के कारण सदियों से चली आ रही आस्था का होगा, हर बार की तरह उतना ही आकर्षण यहां साधु-संतों के अखाड़ों को जानने, संन्यासियों के शाही-साम्राज्य को निहारने और उनके अनोखे अंदाज से रू-ब-रू होने का भी रहेगा। हर बार अलग-अलग स्थानों में पड़ने वाले कुम्भ में देश-विदेश से जो तीर्थयात्री खिंचे चले आते हैं, उसके पीछे ये महत्वपूर्ण कारण होते हैं। कुम्भ में मानव जीवन की भव्यता और सकारात्मकता का सहज एहसास होता है। लेकिन इसकी रहस्यमय गहराई में उतरने से पहले आइए आगामी कुम्भ की कुछ विशेष तारीखों पर नजर डाल लेते हैं। 14-15 जनवरी से शुरु होने वाला कुम्भ 4 मार्च 2019 तक चलेगा। जहां तक कुम्भ में बनने वाले अखाड़ों का सवाल है तो इनकी शुरुआत गुजरे 28 नवंबर से हो चुकी है। इस दिन जूना अखाड़े के संतों का हाथी-घोड़े, बैंड बाजे और लाव-लश्कर के साथ नगर में प्रवेश हुआ। फूलों की बारिश से उनका स्वागत किया गया। लहराती-फहराती धर्म ध्वजाओं और जूना अखाड़े के आराध्य भगवान दत्तात्रेय की स्थापित मूर्ति के साथ शहर में प्रवेश करने वाले लम्बे शाही जुलूस में रथों और चांदी के हौदों पर महामंडलेश्वर सवार थे।  इस जुलूस में स्वर्णाभूषणों से लदे गोल्डन बाबा को देखने के लिए लोग उमड़ पड़े। हजाराें संतों ने 2500 साल से अधिक पुरानी परंपरा निभाई और संगम क्षेत्र में अखाड़ों के लिए मेले के तमाम इंतजाम संभालने की जिम्मेदारी उठा ली। इसी क्त्रम में इस बार प्रयाग कुंभ में अखाड़ों से संबंधित जो दूसरी बड़ी बात होगी वह यह कि इस बार इसमें नागा साधुओं की संख्या बढ़ेगी। मीडिया को इसकी सूचना देते हुए जूना अखाड़े के कुम्भ मेला प्रभारी महंत विद्यानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि इस बार महाकुम्भ में देशभर से आने वाले नागा संन्यासियों की संख्या दो लाख होगी। प्रयाग कुम्भ में इस बार नागा संन्यासियों के लिए जो विशेष छावनी बनाई गई है, उसमें इतने संन्यासियों के रहने और खाने की व्यवस्था की गई है। गौरतलब है कि महाकुम्भ और अर्धकुम्भ जैसे आयोजनों में वस्त्रहीन नागा संन्यासी आम लोगों की जिज्ञासा का सबसे बड़ा केंद्र होते हैं। इस बार के कुम्भ मेला में कंप्यूटर बाबा का भी विशेष आकर्षण दिखेगा। क्योंकि चर्चित धर्मगुरु कंप्यूटर बाबा ने नया अखाड़ा बनाने की घोषणा की है। उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक मुद्दा उठाने के आरोप में दिगम्बर अनी अखाड़े द्वारा निष्कासित कर दिया गया था। वह इस अखाड़े के महामंडलेश्वर रहे हैं और मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकर में उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला था। आगामी प्रयाग कुम्भ में एक और अनोखी बात दिखेगी कि गंगा की सफाई की बात करने वाले अखाड़ों के साधु-संत इस बार बोतल बंद मिनरल पानी पियेंगे। क्योंकि यह लेख लिखे जाने तक इस बार कुम्भ आयोजन समिति द्वारा यहां के कुम्हार परिवारों को भंडारे समेत मेला के किसी भी प्रयोजन हेतु मिट्टी के बर्तन बनाने का विशेष आर्डर नहीं दिया गया। जबकि हर बार कई महीने पहले ये ऑर्डर दे दिये जाते रहे हैं। पिछले कुम्भ में इलाहाबाद के 100 से अधिक कुम्हार परिवारों को दस लाख से अधिक कुल्हड़ बनाने का आर्डर मिला था। हालांकि पर्यावरण मंत्रालय ने कुम्भ मेले को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त रखने का दावा किया है लेकिन बिना प्राकृतिक बर्तनों के कैसे प्लास्टिक से मुक्ति मिलेगी। अभी तक इसका कोई ठोस तर्क सामने नहीं आया। इस बार के कुम्भ में कुछ विवादों की भी छाया रहेगी मसलन- बलात्कार के आरोप में फंसे और श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े से निलम्बित संत दाती महाराज को कुम्भ में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। अखाड़े के सचिव महंत रामसेवक गिरी के अनुसार अपनी शिष्या के यौन शोषण के आरोपों की वजह से अखाड़े ने उनसे महामंडलेश्वर की पदवी छीनकर अखाड़े की सदस्यता खत्म कर दी थी। हालांकि मुंबई की विवादित आध्यात्मिक गुरु राधे मां उर्फ सुखविंदर कौर को माफ कर दिया गया है। उनकी जूना अखाड़े में वापसी हो गई है। गौरतलब है कि पहले उन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने फर्जी बाबाओं की सूची में शामिल कर लिया था और महामंडलेश्वर की पदवी छीन ली थी, लेकिन कुम्भ में शामिल होने के वास्ते उनकी वापसी लिखित माफीनामे के बाद हो गई है। एक और विवादित संत पायलट बाबा को भी कुछ हिदायतों के साथ माफी मिल गई है। मालूम हो कि जमीन और काले धन को लेकर कानूनी विवाद में फंसे योगी और धर्मगुरु महामंडलेश्वर पायलट बाबा को भी जूना अखाड़े ने कुछ हिदायतों के साथ माफ कर दिया है। उन पर 2013 में प्रयाग कुम्भ से पहले जूना अखाड़े की मंशा के विपरीत 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वरों को मिलाकर महामंडलेश्वर परिषद बनाने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। तब उन्हें महामंडलेश्वर पद से निलम्बित किये जाने के साथ-साथ 10 फरवरी 2013 को पड़ने वाले मौनी अमावस्या के मुख्य शाही स्नान से भी वंचित कर दिया गया था। उन्हें स्नान से रोकने के लिए नजरबंद कर बाहर फोर्स का कड़ा पहरा लगवा दिया गया था। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

-शंभु सुमन