मेमोरेंडम

जैसे ही शैलेन्द्र घर पहुंचे पत्नी ने शिकायत भरे लहजे में कहा, ‘आज अल्ट्रासाऊंड कराना था पर तुम्हें क्या? देर हो गई तो तुम्हारा क्या बिगड़ेगा। अगर लड़की निकली तो भुगतना तो मुझे ही पड़ेगा।’ ‘सॉरी डार्लिंग थोड़ी देर हो गई। हम अभी चलते हैं अल्ट्रासाऊंड के लिए और लड़की हुई तो आज ही तुम्हें उससे मुक्ति दिला देंगे।’ शैलेन्द्र ने अत्यंत विनम्रतापूर्वक पत्नी को आश्वस्त करते हुए कहा। पत्नी को किंचित गम्भीर मुद्रा में चुपचाप खड़े देख शैलेन्द्र ने कहा कि अब और देर नहीं होनी चाहिए। चलो जल्दी से तैयार हो जाओ ताकि ज्यादा भुगतने की नौबत न आए। पत्नी ने पुन: शिकायत भरे लहजे में पूछा, ‘मगर आज आप इतने लेट हो कैसे गए? शैलेन्द्र ने कहा, ‘आज हमारी संस्था की तरफ से एक विरोध प्रदर्शन था और बाद में मुख्यमंत्री को भी मेमोरेंडम देना था इसी से थोड़ी देर हो गई।’ किस बारे में था आपका आज का विरोध प्रदर्शन? पत्नी ने जानना चाहा। ‘अरे वो मादा भ्रूण हत्या के खिलाफ था सारा नाटक और क्या? शैलेन्द्र ने कड़वा-सा मुंह बनाते हुए कहा। और इसके बाद दोनों अल्ट्रासाऊंड के लिए जाने की तैयारी में व्यस्त हो गए।

—सीताराम गुप्ता
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