बॉलीवुड में फिल्में हिन्दी, नाम अंग्रेज़ी

फिल्में जितना बड़ा मनोरंजन का जरिया बनती हैं, उससे कहीं ज्यादा हमारे आसपास की कहानियों को रूपहले पर्दे पर दर्शा कर हमारी भावनाओं की अच्छी वाहक बनती हैं। कभी समय था जब फिल्मों के नाम हिन्दी में होते थे, परन्तु आज फिल्मों के नाम गीतों की तर्ज पर नहीं, पंजाबी तड़के वाले भी नहीं बल्कि अंग्रेज़ी भाषा पर आधारित नामों का दौर चल पड़ा है। जिससे कहानी और नाम दोनों ही एक-दूसरे से नाराज़ लगते हैं। यूं लगता है कहानी और नाम का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। बॉलीवुड में फिल्मों के नाम अंग्रेज़ी में रखना बेशक पुराना रुझान है जैसे 70-80 के दशक में फिल्में थीं लव इन टोक्यो, अराऊंड द वर्ल्ड, द ट्रेन, बाम्बे, 450 माइल्स और गाइड इत्यादि। लेकिन फिर भी इन अंग्रेज़ी शीर्षक फिल्मों का प्रतिशत कम था। जब से विज्ञापनों और व्यक्तिगत ज़िंदगी में अंग्रेज़ी भाषा का प्रचलन बढ़ा है। बॉलीवुड की फिल्मों के नाम भी इससे अछूते नहीं रहे। फिल्म निर्माताओं के मन में यह बात बैठ गई है कि आज की युवा पीढ़ी हिन्दी को कम महत्व देती है। इसीलिए आज से थोड़े समय पहले आने वाली फिल्मों के नाम हिन्दी की जगह अंग्रेज़ी में रखे गए हैं। एक समय था जब हिन्दी फिल्मों में यानि बॉलीवुड में सिर्फ हिन्दी भाषा में नाम होते थे। अंग्रेज़ी तो आसपास फटकती भी नहीं थी। शहरी लोगों को फिल्मों के नाम से ही फिल्म के अंदर की कहानी पता चल जाती थी। जैसे प्रेम रोग, सत्यम शिवम सुन्दरम, अनुपमा, दो आंखें बारह हाथ, मदर इंडिया, साजन, बाप, कटी पतंग इत्यादि ऐसी अनेकों फिल्में हैं जिनके हिन्दी नाम या शीर्षक हैं। लेकिन अब संख्या कम तो क्या ऐसी रीति ही खत्म हो गई है। पश्चिमी सभ्यता का असर हमारे पहरावे पर तो पड़ता ही है, साथ ही साथ यह असर फिल्मों के नाम पर भी पड़ा है। नाम ऐसे होते हैं, आधुनिक फिल्मों के जैसे कहानी और नाम का दूर-दूर तक कोई नाता ही न हो। पहले जब अंग्रेज़ी शीर्षक वाली फिल्में अगर कोई बन भी जाती थी तो बदकिस्मती से वह फ्लाप हो जाती थी तो दोष फिल्म के नाम को दिया जाता था या उस फिल्म को बनाने वाले को। आज का समय मल्टीप्लेक्स का है। फिल्में आजकल ग्रामीण या शहरी लोगों की सोच के अनुसार नहीं बनती, क्योंकि लोग चाहे गांव के हों या शहर के अगर उन्होंने सलमान की फिल्म देखनी है तो देखनी है चाहे उसका नाम हिन्दी में हो या अंग्रेज़ी में हो। आज के समय में सब लोग थियेटर में बैठ कर फिल्में देखने का शौक रखते हैं।  कुल मिलाकर कई ऐसी फिल्में हैं, जोकि अंग्रेज़ी नाम पर हैं और सुपरहिट की लिस्ट में भी शामिल हैं। इनमें कुछ फिल्में ऐसी हैं, जोकि रिलीज़ हो चुकी हैं जैसे लखनऊ सैंटर राजकुमार राव की, गली ब्वॉय रणबीर सिंह, वॉय चीट इंडिया इमरान हाशमी, रेस, रैड अजय देवगन की, वनस अपॉन ए टाइम इन मुंबई रिटर्न अक्षय कुमार, एंटरटेनमैन, फाइडिंग फैनी, थ्री इडियट्स आमिर खान, क्वीन कंगना राणावत, मॉम श्रेदेवी की, टू स्टेट्स आलिया की, हॉलीडे सोनाक्षी सिन्हा की,  टाइगर सलमान खान की, हाऊसफुल पहली दो फ्रैंचाइजी मल्टी स्टारर फिल्म हैलिकाप्टर ईला काजोल, उड़ी ‘द सर्जिकल स्ट्राइक विद्युत जामवाल, फोर्स,  वीरे दी वैडिंग करीना इत्यादि ऐसी अनेक फिल्में हैं, जिनकी गिनती करनी मुश्किल है। इन फिल्मों के नाम ज्यादातर अंग्रेज़ी में हैं और इनमें से काफी फिल्में हिट और सुपरहिट हुई हैं। कुल मिलाकर ऐसे नामों और कहानियों से निर्मित फिल्में न तो दर्शकों का मनोरंजन कर पाती हैं और न ही अपने आप से न्याय। हमारी ज़िंदगी का आईना मानी जाती फिल्में जब तक पटकथा और नाम के साथ इन्साफ नहीं करती तब तक यह आइना धुंधला है। इनमें से कई फिल्में ऐसी हैं, जोकि तैयार हैं रिलीज़  होने को जैसे रेमो डिसूजा की एबीसीडी 3, अक्षय कुमार की हाऊसफुल 3, जैकलीन की ड्राइव, गुड न्यूज़ करीना कपूर की इत्यादि। सफलता बटोरने के नाम पर इनमें अजीबो-गरीब लिबास और गीतों, संवादों का सहारा लिया जाता है। यह सब कुछ चकाचौंध के नशे में और फिल्मों की रेटिंग के लिए होता है। काश! एक उम्र तक याद रहने वाली फिल्मों का वह सुनहरी दौर एक बार फिर से लौट आए।