लालमिर्च में और मंदी संभव

नई दिल्ली, 23 मार्च (एजेंसी) : प्रमुख उत्पादक राज्यों में आवक का दबाव बना होने तथा मांग तुलनात्मक रूप से कमजोर बनी होने के कारण बीते कुछ दिनों से लालमिर्च दबाव में बनी हुई है। आगामी दिनों में भी इसमें और मंदी आने से इंकार नहीं किया जा रहा है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों के लालमिर्च किसान चालू सीजन के दौरान अपनी इस फसल की बिक्री इसकी कीमत देखकर कर रहे हैं। हाल ही में आई तेजी के बाद किसानों की बिकवाली का दबाव बढ़ने के कारण गुंटूर में लालमिर्च की दैनिक आवक कुछ दिनों तक पूर्व में सवा लाख बोरियों के स्तर पर पहुंच जाने के बाद थोड़ी घटकर फिलहाल 80-85 हजार बोरियों की हो रही है। आवक तुलनात्मक रूप से घटने के बाद भी इसकी थोक कीमत हाल ही में मंदी होने की जानकारी मिली। आवक बढ़ने के बाद भी मांग एवं उठाव सुस्त बना होने से बाजार की धारणा में अभी कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं हुआ है। इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय गुंटूर मंडी में तेजा लालमिर्च पिछले कुछ दिनों से 13,000/14,100 हजार रुपए प्रति क्विंटल पर रुकी हुई है। 334 नंबर लालमिर्च भी 12,000/ 12,200 रुपए पर बनी हुई है। 341 नंबर लालमिर्च 14,000/15,600 रुपए पर डटी हुई है। फटकी लालमिर्च भी 5/7 हजार रुपए के पूर्वस्तर पर ही रुकी रही। वारंगल मंडी में आवक बढ़कर करीब 7-9 हजार बोरियों की होने तथा देवनूर लालमिर्च 13,500/14,600 रुपए, तेजा 13,100/ 14,200 रुपए पर अपरिवर्तित बनी होने की जानकारी मिली। दूसरी ओर, पाईप लाईन खाली होने के कारण स्टॉकिस्टों को यह संदेश चला गया है कि लालमिर्च में लंबी मंइी की आशंका नहीं है। राजधानी स्थित थोक किराना बाजार में 334 नंबर लालमिर्च हाल ही में 500-800 रुपए मंदी होकर फिलहाल 15,300/ 15,500 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर बनी हुई है। बीते सीजन के दौरान रिकॉर्डतोड़ ऊंची कीमत को देखते हुए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस बार लालमिर्च की बुआई करीब एक चौथाई अधिक होने का अनुमान है। इस बार उत्पादन अच्छा होने की संभावना जताई जा रही है। उत्पादक मंडियों में लालमिर्च की आवक का नवीनतम स्तर वर्ष की वर्तमान समयावधि में होने वाली आमतौर पर आवक की तुलना में ऊंचा है। कीमत तुलनात्मक रूप से ऊंची बनी होने के कारण श्रीलंका और बंगलादेश जैसे परम्परागत आयातक देशों के साथ-साथ चीन की भी मांग सुस्त पड़ने की जानकारी मिली।