़गरीब जोगी परिवार की बेटी रवीना का फर्श से अर्श तक का गौरवमय स़फर

झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले कुछ  व्यक्तियों को ही पढ़-लिख कर समाज में नाम कमाने का सौभाग्य प्राप्त होता है। लड़कियों को उच्च स्तर की पढ़ाई करवाने को लेकर ऐसे कबीलों में अधिकतर लोगों का दृष्टिकोण आज भी अच्छा नहीं है। लेकिन धूरी में जोगियों की बस्ती में पिता श्री संतनाथ के घर, माता प्रकाशो देवी की कोख से जन्म लेने वाली रवीना ने बताया कि वह धूरी में जन्मी है तथा 8 भाई-बहनों में से सबसे छोटी है। उसके भाई-बहन आज भी धूरी और पंजाब में रहते हैं। जब वह दो माह की थी तो रोजी-रोटी की तलाश में अपने माता-पिता के साथ नेपाल चली गई थी और वहां प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही 10 वर्ष की आयु में वह एक एन.जी.ओ. में अंग्रेज़ी ट्रांस्लेटर के तौर पर सेवाएं देने लग पड़ी थी। रवीना ने बताया कि अपने सभी भाई-बहनों एवं 500 के करीब जनसंख्या वाले गांव में से उसको ही पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 
रवीना के अनुसार वह तीन बार परिवार के कहने पर शादी के बंधन में फंसने से मुश्किल से ही बच सकी क्योंकि जोगियों की बिरादरी में अक्सर छोटी आयु में ही लड़कियों की शादी करवा दी जाती है। वर्ष 2018 में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस वाले दिन रवीना ने यूनाईटेड नेशनज़ फाऊंडेशन के सहयोग से नेपाल में एक संस्था बना कर अपनी बिरादरी की लड़कियों के लिए काम करना शुरू किया तथा बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के साथ-साथ लड़कियों को शिक्षा संबंधी जागरूक करवाया। 
रवीना ने बताया कि जब वह 10वीं कक्षा की छात्रा थी तो उसकी समाज के प्रति सेवाओं की गतिविधियों को देखते हुये अमरीका की एन.जी.ओ. ‘द जार्जिया बी. राइडर फाऊंडेशन’ ने उसे उच्च शिक्षा के लिए अमरीका आकर पढ़ाई करने की पेशकश की और इस संस्था की ओर से रवीना की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का विश्वास दिलाया गया। इसी के चलते आजकल वह बिजनेस एवं साइक्लॉजी के क्षेत्र में पढ़ाई करके आगे बढ़ रही है तथा विश्व भर में अमरीका की प्रसिद्ध हार्वड यूनिवर्सिटी की ओर से उसे मास्टर की पढ़ाई करने की पेशकश मिली हुई है। उसे वर्ष 2020 में लीडरशिप रिकोगनीशन सर्टीफिकेट ((Leadership Recognition Certificate)मिलने के साथ पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करके उसका नाम अकादमिक डीन्ज़ की सूची में भी शामिल है। रवीना के अनुसार वह अपने कालेज में पिछले तीन वर्षों से इंटरनैशनल कल्चर क्लब की अध्यक्ष बनती आ रही है तथा प्रत्येक वर्ष होने वाली अध्यक्षता के चुनाव भी वह लगातार जीतती आ रही है। रवीना को अपने कालेज में बोर्ड ऑफ डाइवर्सिटी की सदस्य के तौर पर काम करने का सम्मान हासिल है। रवीना को इस वर्ष इंग्लैंड एवं फ्रांस में जाकर विजूयल आर्ट्स कोर्स करने के लिए स्कालरशिप मिली है। अंत में रवीना ने बातचीत के दौरान कहा कि मैं स्पैशल नहीं हूं, परन्तु मेरी पढ़ाई और मेहनत ने मेरी कहानी को स्पैशल बनाया है तथा मेरी जैसी लाखों ही अन्य लड़कियां आज सही अवसर की तलाश में हैं। आओ, उनके लिए कुछ नया करते हुये ऐसे बच्चों का साथ देकर उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाएं। अंत में रवीना ने कहा कि जिस दिन मेरी यह कहानी समाचार पत्र में प्रकाशित हो जाएगी तो आप मेरे घर जाकर मेरे अनपढ़ माता-पिता को यह कहानी पढ़ कर अवश्य सुनाना क्योंकि उन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता। उनकी इस आंतरिक इच्छा ने मुझे कुछ पल के लिए भावुक कर दिया।
-पत्रकार, धूरी।
मो. 88472-77517