क्या 90 मीटर से दूर भाला फैंक सकेंगे नीरज चोपड़ा ?

पिछले साल जब नीरज टोक्यो-2020 ओलम्पिक में जैवलिन थ्रो यानी भाला फेंक प्रतियोगिता का गोल्ड मैडल लेकर लौटे तो कृतज्ञ राष्ट्र ने उनके लिए जगह-जगह सम्मान सम्मेलन आयोजित किये, जिससे उन्हें ट्रेनिंग के लिए समय ही नहीं मिला, जबकि दूसरे देशों के ट्रैक व फील्ड सितारे वापस प्रतिस्पर्धा में लौट गये।नीरज को अपनी ही शोहरत से भागना पड़ा। कोच क्लॉस बर्तोनिएत्ज, जर्मनी के बायोमैकेनिस्ट जो थ्रो में विश्व के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ समझे जाते हैं, के साथ नीरज ने पहले तो इस साल के शुरू में कैलिफोर्निया के चुला विस्टा ओलम्पिक ट्रेनिंग सैंटर पर ट्रेनिंग की, फिर तुर्कीये में और फिनलैंड के कुओर्टने ओलम्पिक ट्रेनिंग सैंटर में। फिनलैंड में 24 वर्षीय नीरज बर्फीली झील के पानी के पास ग्रीष्म संक्रांति के आगमन पर पावो नुर्मी गेम्स में हिस्सा लेंगे। यहां नीरज का मुकाबला विश्व नंबर एक व करीबी दोस्त 29 वर्षीय जोहंनेस वेट्टेर (जिनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 97.76मी, आज तक की रिकॉर्ड की गई सबसे अच्छी दूसरी थ्रो है), वर्तमान विश्व चैंपियन 24 वर्षीय एंडरसन पीटर्स (जिन्होंने पिछले माह दोहा की डायमंड लीग में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 87.31 मी. में जबरदस्त सुधार करते हुए उसे 93.07 मी. किया) और 31 वर्षीय चेक जाकुब वाद्लेज्च (टोक्यो में रजत पदक विजेता व इस साल 90मी., 90.88 मी. से ऊपर थ्रो करने वाले केवल दूसरे खिलाड़ी) से होगा। इससे यह सवाल उठता है कि क्या नीरज, जिनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 88.07 मी. है और जिन्होंने टोक्यो स्वर्ण के बाद 90मी. पार करने का लक्ष्य रखा था, ने ट्रेनिंग में अपने मकसद की पूर्ति की? उनके कोच क्लॉस बर्तोनिएत्ज के अनुसार, ‘नीरज ने इस जादुई अंक का रिलीज़ वेग तो पहले ही हिट कर लिया था। बात यह नहीं है कि आप कितना हार्ड थ्रो करते हैं बल्कि आप कितने स्मार्ट हो सकते हैं। मुद्दा आपके लम्बे व तगड़े होने का नहीं है बल्कि आप में कितना समन्वय है यानी आप अपनी मांसपेशियों, टेंडन व लिगामेंट्स को अधिकतम संभावना से हार्नेस कर रहे हैं या नहीं। इस समय वेट्टर में यह सब कुछ है, वह लम्बे तगड़े होने के बावजूद समन्वय के साथ हार्नेस भी कर लेते हैं। नीरज छोटे कद के व लचीले हैं, लेकिन उनका बायोमैकेनिकल समन्वय गजब का है। वह जिमनास्टिक ट्रेनिंग भी करते हैं। उनमें मूवमेंट इंटेलिजेंस है यानी वह अपने शरीर के बारे में जानते हैं कि वह कैसे काम करता है और वह उसके साथ रचनात्मक भी हो जाते हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के लिए वह ओवरहेड प्रेस्सिंग, स्कुअटस, बॉडीवेट वर्क और ओलम्पिक लिफ्ट्स का मिश्रण जैसे स्नैच, क्लीन व जर्क करते हैं। भाला फेंकना अति कठिन कार्य है। जोड़ों पर विशेष रूप से बहुत जोर पड़ता है। एथलीट जब स्प्रिंट व ब्रेक करता है तो अगले पैर पर वजन उसके बॉडीवेट से दस गुणा अधिक हो सकता है। नीरज का स्नैच में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 100 किलो और स्कुअट में 200 किलो है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह इससे अधिक उठा नहीं सकते। इलीट एथलीट बहुत अधिक प्रेरित होते हैं, इसलिए अगर आप उनसे उनका सर्वश्रेष्ठ दिखाने के लिए कहेंगे तो वह इतनी मेहनत कर बैठते हैं कि मांसपेशी भी फट सकती हैं। इसलिए ट्रेनिंग में बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। इन बातों से तो यही लगता है कि नीरज ने ट्रेनिंग में 90 मी. की सीमा को पार कर लिया है, लेकिन सही बात तो तभी सामने आएगी जब टोक्यो के बाद नीरज पहली बार मैदान में मुकाबले के लिए उतरेंगे। गौरतलब है कि 2011 में ही नीरज ने लखनऊ में आयोजित जूनियर नेशनल्स में 68.40 मी. की थ्रो के साथ नया जूनियर नेशनल रिकॉर्ड स्थापित किया था। सीनियर वर्ग में नीरज ने 70 मी. मार्क पहले 2014 में पार किया, फिर 80 मी. मार्क और इसके बाद 2015 की आल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी एथलैटिक्स मीट में 81.04 मी. की थ्रो से विश्व जूनियर रिकॉर्ड स्थापित किया। लेकिन रिओ 2016 की क्वालिफिकेशन प्रक्रिया समाप्त होने के एक माह बाद नीरज 86.48 मी. की थ्रो के साथ पोलैंड में आयोजित आईएएएफ  विश्व अंडर-20 एथलैटिक्स चैंपियनशिप में विश्व अंडर-20 चैंपियन बने। ध्यान रहे कि जर्मनी के होह्न विश्व के एकमात्र एथलीट हैं जिन्होंने 100 मी. या उससे अधिक दूर भाला फेंका है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर