मिलिए दुनिया के वीवीआईपी पेड़ से

 

आपने कई ऐसे वीवीआईपी लोग देखें होंगे और कई ऐसे लोगों के बारे में सुना होगा, जो हमेशा अपने सुरक्षा रक्षकों के साय में रहते हैं। आजकल सारे बड़े नेता भी वीवीआईपी सिक्योरिटी से घिरे रहते हैं। लेकिन क्या आपने ऐसा कोई पेड़ भी देखा है, जिसकी 24/7 सुरक्षा की जाती है? देखा न हो तो क्या ऐसे किसी पेड़ के बारे में सुना है, जिसका एक पत्ता भी टूट जाए तो इसकी देखरेख करने वालों की हलक सूखने लगती है। पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच जाता है। जी हां, दुनिया में एक ऐसा पेड़ है और वह कहीं और नहीं अपने हिंदुस्तान में ही है, जिसकी चौबीसों घंटे और सातों दिन 4 सशस्त्र पुलिस वालों द्वारा सुरक्षा की जाती है।
यह वीवीआईपी पेड़ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पास स्थित सांची में है। इस पेड़ की सिर्फ  वीवीआईपी लोगों की तरह सुरक्षा भर नहीं होती बल्कि इस पेड़ का समय-समय पर वीआईपी लोगों की तरह ही मैडीकल चैकअप भी होता है। इस पेड़ को कोई दूर से भी हानि न पहुंचा सके, इसके लिए इसके चारो तरफ 15-15 फीट ऊंची लोहे की मजबूत जालियां लगायी गई हैं। इतना सब जानकर आपके दिल में यह जिज्ञासा तो जरूर पैदा हुई होगी कि आखिर यह पेड़ इतना वीवीआईपी है क्यों? और इस बारे में भी आपमें जिज्ञासा पैदा होगी कि आखिर यह किस प्रजाति का पेड़ है? तो जनाब जान लीजिए कि यह पीपल का पेड़ है, जो देश में हर कहीं पाया जाता है। लेकिन यह सामान्य पीपल का पेड़ नहीं है, सामान्य होता तो इसकी वीवीआईपी लोगों की भांति दिन रात सुरक्षा नहीं की जाती। यह इस वजह से खास है, क्योंकि यह श्रीलंका में स्थित अनुराधापुर के उसी बोधि वृक्ष का हिस्सा है, जिसे कभी मूल बोधि वृक्ष की टहनी से विकसित किया गया था। 
इस पेड़ से प्रधानमंत्री मोदी का भी एक खास रिश्ता है। क्योंकि इस बोधि व़ृक्ष की टहनियों से विकसित किये गये कई और पौधों को प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के कई बौद्ध धर्म मानने वाले देशों के राजनेताओं को उपहार के तौर पर भेंट किया है। दरअसल इस पेड़ के इतने वीवीआईपी होने के पीछे इसकी ऐतिहासिक पवित्रता है। क्योंकि ईसा से लगभग 531 साल पहले महात्मा बुद्ध को जिस बोधि व़ृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, कालांतर में उस पेड़ को कई बार लोगों ने नष्ट करना चाहा और एक बार तो यह प्राकृतिक आपदा के चलते नष्ट ही हो गया। लेकिन सम्राट अशोक ने इस बोधि वृक्ष की एक टहनी देकर अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघा मित्रा को श्रीलंका भेजा था, तब उस टहनी को श्रीलंका के अनुराधापुर में लगाया गया था। बाद में जब बोधगया में स्थित बोधि वृक्ष अपराधियों से बचने के बाद भी प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गया तो तत्कालीन अंग्रेज अफसर लार्ड कुनिंघम ने 1880 में अनुराधापुर स्थित बोधि वृक्ष की शाखा मंगवाकर बोधगया में फिर से मूल बोधि वृक्ष को रोपवाया था, जो बाद में लहलहाता वृक्ष बना।
पूरी दुनिया में सलामतपुर का जो वृक्ष वीवीआईपी बना हुआ है, उसकी खासियत यही है कि वह भी अनुराधापुर के उसी मूल बोधि वृक्ष की टहनी से विकसित हुआ है। यह पेड़ दुनियाभर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। 21 सितम्बर 2012 को श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने सांची और सलामतपुर के बीच हाइवे के किनारे एक छोटी सी पहाड़ी पर इस पेड़ को रोपा था। इसकी विकास संबंधी देखरेख देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक कर रहे हैं। इस पेड़ के निकट ही साल 2012 में श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे एक बौद्ध यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखने आये थे, तभी उन्हें मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके सम्मान में इस पवित्र पौधे को भेंट किया था और उसे वहीं पर श्रीलंका के राष्ट्रपति द्वारा रोपा था, तब से इसकी निरंतर देखभाल की जा रही है। इस पेड़ की सुरक्षा और मेंटेनस में हर साल करीब 15 लाख रुपये का खर्च आता है। इस तरह देखें तो जब से यह  लगाया है, अब तक करीब दो करोड़ रुपये से ज्यादा इसकी देखरेख में खर्च किये जा चुके हैं। दरअसल इस पेड़ का कनेक्शन महात्मा बुद्ध से भी है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर