सीमांत ज़िलों की सार
पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित ने 27 अगस्त, 2021 को अपना पद सम्भाला था। उन्होंने कैप्टन अमरेन्द्र सिंह तथा चरणजीत सिंह चन्नी की कांग्रेसी सरकारों के साथ काम किया है। पिछले लगभग 15 मास से वह भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के साथ भी सरकारी तौर पर विचरण कर रहे हैं। राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है। प्रदेश के काम चुनी हुई सरकार ने करने होते हैं। पंजाब में यह आम तौर पर देखा गया है कि सामयिक सरकारों तथा मुख्यमंत्रियों के साथ तत्कालीन राज्यपालों के संबंध अच्छे एवं सुखद रहे हैं परन्तु भगवंत मान की सरकार बनने के बाद राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री की दूरियां बढ़ती गई हैं।
राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को भिन्न-भिन्न संगठनों तथा विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल अक्सर मिलते रहते हैं तथा उनसे अपनी भावनाएं भी व्यक्त करते रहते हैं तथा लिखित ज्ञापन भी देते रहते हैं। यदि उनमें से कुछ उठे संवैधानिक सवालों या अन्य सामाजिक एवं राजनीतिक मामलों को लेकर राज्यपाल मुख्यमंत्री से लिखित तौर पर कुछ पूछते भी हैं तो सरकार का व्यवहार इसके प्रति अक्सर नकारात्मक ही दिखाई देता रहा है। यहीं बस नहीं, कई बार मुख्यमंत्री ने ऐसे बयान भी दिये हैं, जो उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देते। धारण किया गया ऐसा बेध्यानी रवैया राज्यपाल के रुतबे के योग्य नहीं हो सकता। यह भी सुनने में आया है कि पिछले कई मास से श्री बनवारी लाल पुरोहित द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्रों का समय पर जवाब नहीं मिलता रहा या उन्हें दृष्टिविगत किया जाता रहा है, जिससे दोनों के रिश्तों में दरार आई है, जिसे प्रदेश के लिए सुखद नहीं माना जा सकता।
इस समय पंजाब के समक्ष कुछ ऐसी गम्भीर समस्याएं खड़ी हैं, जिन्हें पूरी शिद्दत के साथ सम्बोधित होना बहुत ज़रूरी है। इनमें एक गम्भीर समस्या प्रदेश भर में फैला नशों का प्रचलन है, जिसने बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्त में ले लिया है। पूर्ववर्ती सरकारें भी फैले इस प्रचलन पर नियन्त्रण करने की योजनाएं बनाती रही हैं तथा इस संबंध में अक्सर बयान भी देती रही हैैं परन्तु वे इस समस्या को हल करने में सफल नहीं हुईं। अन्य अनेक उम्मीदों के साथ-साथ पंजाब-वासियों ने आम आदमी पार्टी की नई सरकार से ये उम्मीदें भी लगाई थीं कि वह प्रभावशाली ढंग से इस ओर कुछ कदम उठाने में समर्थ हो सकेगी परन्तु इस मुहाज़ पर वह कोई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल नहीं कर सकी। इसके साथ ही सरकार द्वारा रोज़गार के बड़े स्रोत पैदा करने की बातें भी की जाती रही हैं परन्तु पिछले समय में सरकार द्वारा कुछ कदम उठाये जाने के बावजूद बेरोज़गारों की संख्या बढ़ती दिखाई दे रही है। अमन-कानून की स्थिति भी बद से बदतर होती जा रही है तथा विकास कार्यों में एक तरह से जड़ता की स्थिति है।
पंजाब एक सीमांत प्रदेश है। इसके पाकिस्तान की सीमा से लगते ज़िलों की हालत इन पक्षों से और भी बेज़ारी वाली दिखाई देती है। इस सन्दर्भ में ही राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित के सीमांत ज़िलों के दौरे बड़ी चर्चा में रहे हैं। अब तक इन ज़िलों का उनका यह तीसरा दौरा है, जिसमें वह विशेष रूप से डेरा बाबा नानक क्षेत्र में भी गये। उनका रुख गुरदासपुर तथा पठानकोट ज़िलों के दौरों के दौरान उन कुछ सीमांत गांवों की ओर भी रहा, जहां उन्होंने लोगों के साथ ज्वलंत मामलों के अलावा उनकी अन्य समस्याओं को भी ध्यानपूर्वक सुना। वह अमृतसर तथा तरनतारन ज़िलों में भी गये तथा एक फेरी में उन्होंने फिरोज़पुर तथा ़फाज़िल्का के गांवों का भी दौरा किया। यहां उन्होंने सीमा पार से आने वाले नशों पर विशेष रूप से चिन्ता भी व्यक्त की तथा संबंधित अधिकारियों को इसका हल निकालने के लिए भी प्रेरित किया। इसके साथ ही उन्होंने सीमा पर सुरक्षा बलों तथा पुलिस की मुस्तैदी का भी निरीक्षण किया ताकि वह अपने अनुभवों को प्रदेश सरकार के साथ साझा कर सकें। पहले भी उन्होंने अपने दौरे के बाद प्रदेश सरकार के समक्ष इन मामलों को उठाया है तथा मिल बैठ कर इनका कोई प्रभावशाली हल निकालने के लिए प्रेरित किया है परन्तु इन दौरों का लाभ तभी हो सकता है यदि प्रदेश सरकार उनके साथ मिल-बैठ कर गम्भीरता से इन मसलों के हल करने में रुचि दिखाए। नि:संदेह राज्यपाल के पद की सीमाएं भी होती हैं परन्तु सरकार तथा राज्यपाल को इन गम्भीर विषयों के संबंध में विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श करने की ज़रूरत को समझना चाहिए। प्रदेश की बेहतरी के लिए राज्यपाल द्वारा उठाया गया यह कदम भी एक सार्थक पहल मानी जानी चाहिए। इसके अच्छे परिणाम तभी सम्भव हो सकते हैं यदि आपसी मेल-मिलाप तथा विचार-विमर्श के लिए कोई सुखद माहौल पैदा किया जाये।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द