पैट्रोल व डीज़ल की कीमतों में वृद्धि 

पंजाब सरकार ने एक बार फिर पैट्रोल व डीज़ल की कीमतों में भारी वृद्धि कर दी है। इस सरकार द्वारा चार मास में दूसरी बार पैट्रोल व डीज़ल की कीमतों में वृद्धि की गई है। रविवार को पैट्रोल की कीमत में 92 पैसे प्रति लिटर तथा डीज़ल की कीमत में 88 पैसे प्रति लिटर की बढ़ोतरी की गई है। इसी वर्ष फरवरी में भी सरकार की ओर से पैट्रोल व डीज़ल पर 90 पैसे प्रति लिटर वैट बढ़ाया गया था। ताज़ा वृद्धि से अब राज्य में पैट्रोल की कीमत 98.65 रुपये प्रति लिटर तथा डीज़ल की कीमत 88.95 रुपये प्रति लिटर हो गई है। इस वृद्धि से पड़ोसी राज्यों के मुकाबले पंजाब में इन पदार्थों की कीमतें अधिक हो गई हैं। इस समय चंडीगढ़ में पैट्रोल 96.20 रुपये तथा डीज़ल 84.16 रुपये है। हिमाचल में पैट्रोल 96.79 रुपये तथा डीज़ल 85.44 रुपये प्रति लिटर है। हरियाणा में पैट्रोल 97.34 रुपये तथा डीज़ल 90.19 रुपये है। जम्मू में पैट्रोल 97.50 रुपये तथा डीज़ल 83.26 रुपये है। सिर्फ हरियाणा में ही डीज़ल पंजाब से थोड़ा-सा महंगा है। कीमतों में की गई इस वृद्धि से पंजाब सरकार 600 करोड़ रुपये की वार्षिक आय जुटाने की इच्छुक है। 
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले तत्कालीन चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली सरकार ने पैट्रोल की कीमत में प्रति लिटर 10 रुपये तथा डीज़ल की कीमत में प्रति लिटर 5 रुपये की कटौती की थी क्योंकि उस समय केन्द्र सरकार ने भी एक्साइज़ टैक्स में कुछ सीमा तक कमी कर दी थी। जिस प्रकार कि हमने ऊपर ज़िक्र किया है कि ताज़ा वृद्धि के बाद पंजाब में पैट्रोल व डीज़ल की कीमतें पड़ोसी राज्यों के मुकाबले अधिक हो गई हैं और इससे पड़ोसी राज्यों से पैट्रोल व डीज़ल की गैर-कानूनी ढंग से पंजाब में तस्करी बढ़ सकती है। वैसे भी ट्रकों, बसों तथा अन्य वाहनों वाले उपभोक्ता जिनका पड़ोसी राज्यों में आना-जाना रहता है, वे पंजाब के पड़ोसी राज्यों से ही पैट्रोल व डीज़ल भरवाने को प्राथमिकता देंगे। एक अनुमान के अनुसार इससे राज्य को लगभग 700 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो सकता है। इसी कारण राज्य के पैट्रोल पम्पों की एसोसिएशन ने इस वृद्धि का विरोध किया है। 
इससे पंजाब सरकार के उन दावों कि वह आम लोगों पर आर्थिक बोझ डालने की समर्थक नहीं है, इसी कारण उसके द्वारा 90 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली सहित अन्य अनेक सुविधाएं मुफ्त में दी जा रही हैं, का दोगलापन भी सामने आ गया है। वोट राजनीति के दृष्टिगत एक तरफ पंजाब सरकार समाज के कुछ वर्गों को कुछ सुविधाएं मुफ्त में देती है, लेकिन दूसरी तरफ उन लोगों पर ही हर दिन चीज़ों, वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि करके और आर्थिक बोझ डाल देती है। पैट्रोल और डीज़ल की कीमतों में दूसरी बार की गई इस वृद्धि के साथ भी इस बात की ही पुष्टि होती है। आम आदमी पार्टी की सरकार के इस दोगलेपन को आधार बना कर ही विरोधी पार्टियों ने सरकार द्वारा पैट्रोल और डीज़ल के मूल्यों में वृद्धि किये जाने की सख्त आलोचना की है और यह वृद्धि वापिस लेने के लिए कहा है। दूसरी तरफ ‘आप’ सरकार का पक्ष यह है कि केन्द्र ने पंजाब का ग्रामीण विकास फंड तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सहित अन्य अनेक ग्रांटें रोकी हुई हैं, इसीलिए तेल की कीमतों में वृद्धि करनी पड़ी है।
यदि आम लोगों पर पैट्रोल और डीज़ल की कीमतों में की गई वृद्धि के प्रभावों की बात करें तो इसके साथ ट्रांस्पोर्ट, उद्योग तथा कृषि आदि के सभी क्षेत्र प्रभावित होंगे। इसके परिणाम के तौर पर सभी क्षेत्रों में महंगाई में भी वृद्धि होगी। कृषि के क्षेत्र में भी डीज़ल का बहुत उपयोग होता है। इस कारण किसान भी इससे काफी प्रभावित होंगे। इसी बात के दृष्टिगत भारतीय किसान यूनियन के नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने पैट्रोल और डीज़ल की कीमतों में वृद्धि का विरोध करने के लिए प्रदर्शन आयोजित करने का आह्वान किया है।
हमारी यह स्पष्ट राय है कि राजनीतिक पार्टियों को वोट राजनीति के अन्तर्गत लोगों को भ्रमित करने के लिए कुछ सेवाएं मुफ्त देने और फिर सरकार को पड़ने वाले घाटे की पूर्ति के लिए कुछ अन्य क्षेत्रों में लोगों पर अधिक आर्थिक बोझ डालने की रणनीति नहीं अपनानी चाहिए, बल्कि सेवाओं और चीज़ों-वस्तुओं की कीमतों में एक संतुलन बना कर रखना चाहिए। और सरकार का यह भी प्रयत्न होना चाहिए कि समाज के कुछ वर्गों पर ज़रूरत से ज्यादा बोझ न डाला जाए। जिस प्रकार कि इस समय कृषि के लिए और घरेलू उपभोक्ताओं को तो बिजली मुफ्त दी जा रही है लेकिन उद्योगों और व्यापारिक संस्थानों को महंगी बिजली दी जा रही है, जिससे व्यापारिक तथा औद्योगिक संस्थानों को दूसरे राज्यों के व्यापारियों और उद्योगपतियों का मुकाबला करने में मुश्किल पेश आती है, क्योंकि उनकी उत्पादन दरें पड़ोसी राज्यों के मुकाबले अधिक हो जाती हैं। आशा करते हैं कि पैट्रोल और डीज़ल की कीमतों में की गई वृद्धि संबंधी दोबारा विचार करके सरकार संतुलन कायम करने की नीति अपनाएगी।