विश्व की प्राचीनतम मछली है  बोफिन 

बोफिन एक जीता जागता जीवाश्म है। यूरोप में प्राप्त बोफिन के पूर्वजों के कुछ जीवाश्म की एक जाति के विषय में माना जाता है कि यह 5 करोड़ वर्ष पूर्व तक यूरोप में थी, बाद में यह समाप्त हो गई। बोफिन का संबंध भूतकाल में पाये जाने वाले जीवों से जोड़ा जाता है। यह ताजे पानी की मछली है। इसे कीचड़ की मछली यानी मडफिश, धब्बे वाली मछली यानी स्पाट फिश, ताजे पानी की कुत्ता मछली यानी डॉग फिश तथा ताजे पानी की भेडिया मछली यानी वुल्फ फिश आदि नामों से जाना जाता है। यह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र अमरीका के दक्षिणी पूर्वी भागों में नदियों और झीलों में ही बची है। यह गर्म पानी की ऐसी मछली है जो उथले पानी में वहीं रहना पसंद करती है जहां बहुत बड़ी संख्या में छोटे छोटे जलीय पौधे हों। यह सरलता से हवा में सांस ले सकती है और चौबीस घंटे तक पानी के बाहर भी जीवित रह सकती है। यह ऐसे पानी में भी जिंदा रह जाती है, जिसमें ऑक्सीजन कम हो या हो ही न। यह पानी की सतह पर हवा लेने के लिए आती है फिर लौट जाती है। इसका शरीर लंबा तथा बेलनाकार होता है। लंबाई 60 सेंटीमीटर से 90 सेंटीमीटर तक होती है। शरीर पर शल्कों का भारी कवच होता है। सिर और थूथन गोल, जबड़े मजबूत और दांत नुकीले होते हैं। नर बोफिन के पूंछ के मीनपंख के आधार पर गहरे काले रंग का एक अंडाकार गोल धब्बा होता है। मादा बोफिन में यह धब्बा काले रंग का होता है। बोफिन सांस लेते समय घंटी जैसी एक आवाज़ निकालती है। 
इसकी आंतों में शॉर्क मछली की तरह स्पाइरल वॉल्व पाया जाता है। इसके अलावा सिर के नीचे की ओर नीचे के जबड़े की दो हड्डियों के बीच एक बड़ी हड्डी वाली प्लेट पायी जाती है। इसकी यह विशेषताएं इसे प्राचीन प्राणी सिद्ध करती हैं। बोफिन एक मासाहारी मछली है। यह छोटे कृमि, छोटे मेढक तथा छोटी छोटी मछलियां खाती हैं। यह पेटू मछली है और यह मरे हुए जीवों तक का मांस खा जाती है। यह जहां भी पहुंच जाती है, वहां जीव जंतुओं की कमी पड़ने लग जाती है। यही कारण है कि इस विध्वंसक मछली समझा जाता है और इसे समाप्त कर दिया जाता है। यह मानव द्वारा खायी जाने वाली मछलियों का भी बहुत जल्दी सफाया कर डालती है।
बोफिन के बच्चों का तेज़ी से विकास होता है और ये शीघ्र ही अपना पालन पोषण करने वाले नर की उपस्थिति में घोंसला छोड़कर पानी में चले जाते हैं। बोफिन का मांस न तो स्वादिष्ट होता है न ही पौष्टिक होता है। यह मानव के लिए ज्यादा उपयोगी नहीं होती। कुछ लोग इसका केवल मछली पकड़ने के लिए चारा बनाकर डालने के लिए इसका शिकार करते हैं, लेकिन जीव वैज्ञानिकों के लिए यह अनमोल मछली है और अध्ययन की दृष्टि से इसका अपना खासा महत्व है।
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